लगता है कि कश्मीर घाटी में सामान्य जनजीवन पटरी पर लौट रहा है। जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में बीते कुछ महीनों के दौरान खासी कमी आई है। वर्ष 2010 में अलगाववादियों के बहकावे में आकर पत्थरबाजी पर उतारू होने के बाद लहुलुहान हुई घाटी में यह बदलाव सबको महसूस हो रहा है। इस बार […]
Category: भारतीय संस्कृति
नये पथ पर दस जनपथ
प्रणव मुखर्जी को राषट्रपति पद के उम्मीदवार बनाये जाने का जिस तरह खुद सोनिया ने यूपीए की बैठक में चार लाइनें पढ़कर ऐलान किया, उसके बाद से दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में चर्चा यही है कि क्या गांधी परिवार बदल गया है? या सोनिया गांधी बदल गई है? चर्चा की वजह एक ही है। जिस […]
नशाबन्दी सन्देश
जो शराब पीता है वह विद्यादि शुभ गुणों से रहित होकर उन दोषों में फंसकर अपने कर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, फलों को छोड़कर पशुवत प्रवृत्त होकर अपने जीवन को व्यर्थ कर देता है। इसलिए नशा अर्थात मद कारक द्रव्यों का सेवन कभी भी नहीं करना चाहिए।स्वामी दयानंद सरस्वती (आर्य समाज)हिंदू, सिक्ख, ईसाई, जैन, मुस्लिम धर्मों […]
भाई ने दिलाई बहन को शिक्षा
हजारी राम बाड़मेर जिला के खारा गांव का रहने वाला है। इसका एक छोटा भाई और एक बड़ी बहन है। हजारी राम 10 वीं कक्षा का छात्र है। वह युवा समूह की बैठकों से जुड़ा हुआ है। जहां अन्य मुद्दों के साथ-साथ सामाजिक विषयों पर भी चर्चा की जाती है। जब वह इस समूह की […]
कुदरती खेती का एक अनूठा प्रयोग
भारत एक कृषि प्रधान देश है। प्रकृति की कृपा तथा हमारे किसानों कि आर्थिक मेहनत से हमारी भूमि सदा उपजाऊ रही है। प्राचीन समय में हमारी खेती प्राकृतिक संपदा व संसाधनों पर ही निर्भर थी और देश की खाद्यान्नों सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा कर पाती थी। जैसे-जैसे देश में शहरीकरण व औद्योगिकरण बढते गये , […]
ममता और काँग्रेस की आपसी कशमकश
ममता बनर्जी, एक ऐसा नाम जो काँग्रेस की हर राह में रोड़ा बन कर खड़ा हो जाता है। पिछले 3 सालों में ममता ने ना जाने कितनी बार काँग्रेस के लिए मुसीबतें खड़ी की हैं। जिसके कारण काँग्रेस की स्थिति ममता के हाथों कई बार कठपुतली की तरह नाचने जैसी दिखाई देने लगती है। हालांकि […]
धर्म,संस्कृति और संस्कार
भारतीय संकृति का आर्थ प्राचीनकाल से चले आ रहे संस्कारों के पालन से है। संकृति शब्द का आधुनिक अर्थ प्राचीनकाल के आचार-सदाचार, मान्यताओं एंव रीति-रितीरिवाजों से भी है। एक अर्थ में मनुष्य की आधिभौतिक, आधिदैविक एंव आध्यात्मिक उन्नति के लिये की गई भारतीय परिवेश की सम्यक चेष्टाये ही संकृति हैं। भारतीय संस्कृति किसी एक वर्ण […]
अपना जीवन यज्ञमय बनाएं
यज्ञ का बहुत व्यापक अर्थ है। परमात्मा परमेश्वर को यज्ञरूप भी कहा गया है क्योंकि ईश्वर का प्रत्येक कार्य-सृष्टि का निर्माण, पालन, संहार तथा प्रत्येक जीव के कर्मानुसार फल देना सभी यज्ञ ही हैं। क्योंकि ईश्वर के कार्यों में उनका स्वयं का कोई लाभ स्वार्थ नहीं है अपितु परमपिता परमेश्वर के सभी कार्य स्पष्टï अथवा […]
निराकार ईश्वर का ध्यान कैसे?
शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध, भार, लंबाई, चौड़ाई, गुण, प्रकृति, के है और पदार्थों में भी आते हैं, किन्तु ये गुण ईश्वर में नहीं है। इनका आश्रय हम लोग लेंगे जो यह प्रकृति का आश्रय हो गया। इश्वर का आश्रय कैसे कहलायेगा?ईश्वर का ध्यान करने वाले साधकों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह आती है […]
माता-पिता और संतान
वेद में परिवार में सब सदस्यों को सामान्य रूप से सहृदयता आदि का उपदेश किया गया है। वेद के माध्यम से भगवान गृहस्थ आश्रम में संतान के (पुत्र वा पुत्री) के अपने माता पिता के प्रति एवं माता पिता के अपने पुत्र (वा पुत्री) के प्रति क्या कर्तव्य हैं इस पर प्रकाश डालता है। माता […]