सिकन्दर और भारत का क्षत्रिय धर्म महाभारत के युद्ध में अपने सगे – सम्बन्धी , मित्र , पुत्र- कलत्र को अपने सामने युद्ध के लिए खड़ा देखकर अर्जुन बहुत अधिक दुखी हो गया । अबसे पहले उसने यद्यपि कितनी ही बार अपने क्षत्रियपन का परिचय दिया था , परन्तु आज कुछ और ही बात थी […]
Category: भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा
भारतीय राजधर्म और अहिंसा देश की वर्तमान परिस्थितियों पर यदि चिंतन किया जाए तो पता चलता है कि देश का नेतृत्व और विशेष रूप से अभी तक की कांग्रेस की सरकारें इस दुर्दशा के लिए उत्तरदायी हैं । किसी कवि ने ठीक ही तो कहा है :– न बिजली की अनाइतों से न बादे फसले […]
वैदिक राष्ट्र और अहिंसा यजुर्वेद में एक सुन्दर ऋचा आयी है :– ओ३म आ ब्रह्मन् ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायताम आ राष्ट्रे राजन्य: शूरऽइषव्योऽतिव्याधी महारथो जायतां दोग्ध्री धेनुर्वोढानड्वानाशु: सप्ति: पुरन्धिर्योषा जिष्णू रथेष्ठा: सभेयो युवास्य यजमानस्य वीरो जायतां निकामे निकामे न: पर्जन्यो वर्षतु फलवत्यो नऽओषधय: पच्यन्तां योगक्षेमो न: कल्पताम्।। -यजु० २२/२२ अर्थात हे सर्वाधार सर्वेश्वर सर्वव्यापक प्रभो […]
अध्याय 1 वैदिक धर्म और अहिंसा भारतवर्ष के पास उसका गौरवपूर्ण सांस्कृतिक इतिहास है । यह इतिहास भारत को शेष संसार से सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है। भारत की संस्कृति अनुपम है , अप्रतिम है । इसका अध्यात्मवाद अनोखा और निराला है , तो वेदज्ञान बेजोड़ और अद्वितीय है , जो कि संसार […]