खिलजी को भी मिली चुनौती बलबन के पश्चात जब जलालुद्दीन ख़िलजी सुल्तान बना तो उसके लिए भी एक से एक बढ़कर हिन्दू योद्धा एक चुनौती के रूप में खड़ा रहा । हम्मीर देव चौहान एक ऐसा ही शूरवीर हिन्दू योद्धा था , जिसने इस शासक के लिए बड़ी प्रबल चुनौती खड़ी की थी । जलालुद्दीन […]
Category: भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा
फिर बनाया गया एक हिन्दू संघ इस सुल्तान के काल में विद्रोह की जन्मस्थली दिल्ली बन गई । राजपूतों ने अपने खोए हुए राज्यों की प्राप्ति के लिए हुंकार भरनी आरम्भ कर दी। जालौर के राजा उदयसिंह ने इस सुल्तान के पैर उखाड़ कर अपना हिन्दू राज्य स्थापित करने के लिए 1221 ई0 में तत्कालीन […]
हमारे देश में ऐसे लोग आपको बहुत मिल जाएंगे जो बड़ी सहजता से यह कह देते हैं कि हमारा देश एक हजार वर्ष तक विदेशी जातियों का गुलाम रहा। इतिहास के तथ्यों की पड़ताल किए बिना ऐसा कहना निश्चय ही राष्ट्र के गौरव और शौर्य के प्रति किया जाने वाला एक अक्षम्य अपराध है । […]
वीरभोग्या वसुंधरा की सार्थक अनुगूंज है मां भारती मोहम्मद गोरी के हाथों से पृथ्वीराज चौहान की पराजय का उल्लेख करते हुए डॉ. आशीर्वादीलाल कहते हैं :- “सभी विजित स्थानों में हिन्दुओं के मंदिरों को विनष्ट कर दिया गया और उनके स्थान पर मस्जिदों का निर्माण किया गया । इस्लाम की परंपरा के अनुसार सभी […]
देश धर्म की रक्षा के लिए बनाई गईं राष्ट्रीय सेनाएं ऐसी राष्ट्रीय सेनाओं का गठन हमारे राजाओं ने एक बार नहीं अनेकों बार किया । विनोद कुमार मिश्र (प्रयाग) ने अपनी पुस्तक ‘विदेशी आक्रमणकारी का सर्वनाश : भारतीय इतिहास का एक गुप्त अध्याय’ – में किया है । वह हमें बताते हैं : – “1030 […]
इन परिस्थितियों पर विचार करते हुए लेखक ने अपनी पुस्तक “भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास”- भाग 1 , के पृष्ठ संख्या 26 पर लिखा है कि – “दक्षिण भारत और उत्तर भारत सहित पूरब और पश्चिम के सभी शासकों को संस्कृतिनाशक इतिहासकारों ने नितान्त उपेक्षित करने का प्रयास किया है – हमें […]
हिन्दू समाज का संप्रदायों में विभाजन हो जाना और नए-नए सम्प्रदायों का जन्म होते जाना निश्चित ही हमारे सामाजिक जीवन के लिए हानिकारक सिद्ध हुआ । इस प्रकार के सम्प्रदायों ने हमारी सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को क्षतिग्रस्त किया। नये-नये सम्प्रदायों के धर्माचार्यों ने भी कहीं न कहीं महात्मा बुद्ध के उपदेशों को ग्रहण कर […]
डॉ राकेश कुमार आर्य संपादक उगता भारत गुप्त वंश के पतन के पश्चात सम्राट हर्षवर्धन भारत के एक महान शासक हुए । इस सम्राट ने भी अपना एक सम्मानजनक और विशाल साम्राज्य स्थापित किया। 606 ईस्वी में हर्षवर्धन का राज्याभिषेक हुआ । उसके राज्यारोहण के 4 वर्ष पश्चात ही अरब के शुष्क रेत में एक […]
प्राचीन भारतीय इतिहास में गुप्त वंश के शासन काल को स्वर्ण युग की संज्ञा दी जाती है। इस वंश में एक से बढ़कर एक कई महान शासकों की स्वर्णिम श्रंखला हमें दृष्टिगोचर होती है । यद्यपि इस वंश से पूर्व अशोक के पश्चात कई शासकों एवं वंशों ने शासन किया , जिनमें शुंग , सातवाहन […]
राष्ट्रकवि इकबाल की निम्नलिखित पंक्तियां बहुत ही सार्थक हैं :— यूनानियों को जिसने हैरान कर दिया था, तुर्कों का जिसने दामन हीरों से भर दिया था, मिट्टी को जिसकी हमने जर का असर दिया था, सारे जहां को जिसने इल्मो – हुनर दिया था , मेरा वतन वही है , मेरा वतन वही है ।। […]