अमरसिंह राठौर अप्रतिम बलिदान इसी प्रकार शाहजहाँ के दरबार में सलावत खां को दिनदहाड़े मारने वाले अमरसिंह राठौर की वीरता और बलिदानी भावना को भी कोई छद्मवेशी ही भूल सकता है। जिसने अपने सम्मान के लिए अपने प्राण गंवा दिये थे। इसके बाद सरदार बल्लू और उसके घोड़े चम्पावत के बलिदान को भी कोई देशभक्त […]
Category: भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा
उदार शासक नहीं था शाहजहाँ मुगल बादशाह शाहजहाँ को मुगल काल का सबसे महान और उदार बादशाह सिद्ध करने का प्रयास किया जाता है । जिसके विषय में यह धारणा फैलाई गई है कि शाहजहां स्थापत्य कला का बहुत बड़ा प्रेमी था और उसने आगरा का ताजमहल व दिल्ली का लाल किला जैसी कई ऐतिहासिक […]
सर्वत्र क्रान्ति की ही गूँज थी 1605 ईस्वी में अकबर का देहान्त हुआ तो उसके पुत्र सलीम ने जहाँगीर के नाम से राजसत्ता प्राप्त की। जहाँगीर का शासनकाल 1627 ईस्वी तक रहा। लगभग 22 वर्ष शासन करने वाले इस मुगल बादशाह को भी हिन्दुओं ने चैन से शासन नहीं करने दिया । क्योंकि वह भी […]
हिन्दू सम्राट हेमचन्द्र विक्रमादित्य, महाराणा प्रताप और झालाराव मन्नासिंह की वीरता 21 जनवरी 1556 ई0 को बाबर के बेटे हुमायूँ का देहान्त हो गया तो उसके पश्चात 14 फरवरी 1556 को अकबर का राज्यारोहण हुआ । उस समय हमारे एक महान शासक हेमचन्द्र विक्रमादित्य ने सत्ता पर अपना अधिकार कर लिया था। जिस समय हुमायूँ […]
जिनका महा ऋणी है यह देश 1530 ई0 में बाबर की मृत्यु हो गई तो उसके पश्चात उसका बेटा हुमायूँ गद्दी पर बैठा । हुमायूँ के साथ भी हिन्दुओं का परम्परागत दूरी बनाए रखने का संकल्प यथावत बना रहा । हुमायूँ अपने शासनकाल में कभी स्थिर रहकर शासन नहीं कर पाया । उसे शेरशाह सूरी […]
राजा मेहताब सिंह के नेतृत्व में जिस सेना ने राम मन्दिर की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया था उसके बारे में इतिहासकार कनिंघम ने कहा है कि :-” जन्मभूमि का मन्दिर गिराए जाने के समय हिन्दुओं ने अपनी जान की बाजी लगा दी थी और 173000 हिन्दुओं के शव गिरने के पश्चात ही मीर […]
हुमायूँ को भी मिली चुनौती बाबर के पश्चात उसका उत्तराधिकारी हुमायूँ बना था। हुमायूँ के शासनकाल में चित्तौड़ पर गुजरात के शासक बहादुर शाह के आक्रमण की प्रसिद्ध घटना का उल्लेख हमें इतिहास में मिलता है । उस युद्ध में रानी कर्णावती ने हुमायूँ के लिए कथित रूप से राखी भेजी थी । जब तक […]
जहीरूद्दीन बाबर ने 1526 ई0 में भारत पर आक्रमण किया । जब वह भारत में एक बादशाह के रूप में काम करने लगा तो उसे भारत के लोगों से उपेक्षा और सामाजिक बहिष्कार के अतिरिक्त कुछ नहीं मिला। उसने स्वयं ने लिखा है :- “मेरी दशा अति शोचनीय हो गई थी और मैं बहुत अधिक […]
सिकन्दर लोदी के शासनकाल में अवध में 24 हिन्दू रायों सामन्तों ने वहाँ के प्रान्तपति मियां मोहम्मद फर्मूले के विरुद्ध स्वतन्त्रता आन्दोलन आरम्भ किया । 24 हिन्दू रायों एवं सामन्तों का इस प्रकार एक साथ आना एक उल्लेखनीय घटना है । जो हिन्दुओं के भीतर की वेदना और स्वतन्त्रता के प्रति तड़प को स्पष्ट करती […]
दलन बनाम पराक्रम तुगलक वंश के सुल्तान गयासुद्दीन तुगलक ने अपने शासनकाल में वारंगल पर आक्रमण किया था । उस समय वीर हिन्दू शासक राय लद्दर देव वहाँ शासन कर रहा था । लददरदेव की राष्ट्रभक्ति बहुत ही वन्दनीय है। इस युद्ध के बारे में बरनी ने जो कुछ लिखा है वह यद्यपि अपने सुल्तान […]