* 🚩🔱🚩 यह पोस्ट उन लोगों के लिये नहीं है— – जो जीवन के सुख त्याग कर जंगलों में कन्द-मूल-फल खा कर तपस्या कर रहे हैं, – जिन्होंने परद्रव्य को लोष्ठवत समझा, – जिन्होंने जीवन में कभी रेड लाइट जम्प नहीं की, – जो पूरी ईमानदारी से टैक्स भरते हैं, – जो अपने बाथरूम में […]
Category: भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा
ओउम् पू०गुरुदेव ब्रह्मऋषि कृष्णदत्त जी(त्रेतायुगीय श्रृंगी ऋषि) का अमूल्य ज्ञान भगवान श्री कृष्ण के विषय में।शायद किसी की अन्य किसी पुस्तक में न मिले।ऋषि दयानंद ने भी बहुत सुंदर दृष्टिकोण श्रीकृष्ण के लिए दिया जो इस पाखंड का खंडन करते है जो आज उस समाज में व्याप्त है। 1- श्री कृष्ण सोलह कलाओं के ज्ञाता […]
श्री कृष्ण का अवतरण दिवस जन्माष्ठमी की आप हम सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएँ ,बधाई । एक निवेदन श्रीमदभागवत गीता पढ़ो… कृष्ण का मतलब है कि सर्व आकर्षित अर्थात सबको आकर्षित करने वाला अपने ज्ञान से, अपने लीलाओं से, अपने वीरता से, अपने सौंदर्य से, अपने प्रेम और वात्सल्य से ।श्री कृष्ण परम भगवान है […]
आप इतिहास की किताबों में समूचा मध्यकाल भले खिलजी, सैयद, लोदी या मुगल नाम से पढ़ लें, पर समूचे मध्यकाल में आपको एक भी बाहरी योद्धा ऐसा नहीं मिलेगा जिसने अपने जीवन मे दस बड़ी लड़ाइयां लड़ी हों। यहाँ तक कि गजनवी जैसे लुटेरे भी योद्धा कहे जाते हैं जो चोरों की तरह घुसते और […]
प्रो लल्लन प्रसाद चन्द्रगुप्त मौर्य का शासन काल भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग माना जाता है। इसके विधाता निर्माता, सलाहकार सब कुछ आचार्य कौटिल्य थे। राज्य को उन्होंने एक सशक्त प्रशासनिक ढांचा दिया, विभागध्यक्षों में स्पष्ट कार्य विभाजन किया, उनकी कार्यशैली, आपसी सहयोग के नियम, उनके कामों के निरीक्षण की प्रणाली, उनको प्रोत्साहन तथा दण्ड […]
राजेन्द्र शर्मा सवाल तो यह है कि क्या ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ की नरेंद्र मोदी की कल्पना, इस भयानक त्रासदी को याद रखने के अब तक के प्रयासों की मुख्यधारा के काम में कुछ जोड़ती है, उसे आगे बढ़ाती है? शायद नहीं। बेशक, यह दिन विभाजन की विभीषिका के स्मरण के लिए है। लेकिन, ऐसी […]
#डॉविवेकआर्य . कुछ दिन पहले मैं किसी मित्र की MA की इतिहास की पुस्तक पढ़ रहा था.उसमे लिखा था प्राचीन भारत में जाति को वर्ण कहा जाता था. संस्कृत भाषा में वर्ण का अर्थ है रंग. अतः रंग के आधार पर उत्तर भारतीयों ने गौरे रंग वालों को ब्राह्मण कहा. उत्तर भारत के काले […]
राष्ट्र-चिंतन *अर्नब से ज्यादा जहरीला तो* *रबिस,बरखा,प्रनब राजदीप आदि हैं* *विष्णुगुप्त* आप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सरेआम चोर कह सकते हैं, आप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सरेआम दंगाई कह सकते हैं, आप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सरेआम भ्रष्ट कह सकते हैं, आप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जहरीला कह सकते हैं, आप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को […]
इस पुस्तक का उपसंहार इस प्रकार है :- स्वाधीनता प्राप्ति के पश्चात भारत जब अपने वर्तमान दौर में प्रविष्ट हुआ तो भारत की सत्ता की कमान गांधीजी के राजनीतिक शिष्य नेहरू जी के हाथों में आई। दुर्भाग्यवश नेहरु जी ने भारत की छद्म अहिंसा को इस देश का मौलिक संस्कार बनाने का प्रयास किया । […]
अंग्रेज चाहते थे देश को कई टुकड़ों में बांटना भारत के इतिहास का यह एक विडम्बना पूर्ण तथ्य है कि जिस स्वतन्त्रता की लड़ाई को यह देश 1235 वर्ष तक ‘वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति’ – के आधार पर लड़ता रहा , उसी स्वतन्त्रता के मिलने का जब समय आया तो स्वतन्त्रता के आन्दोलन पर […]