शुभकामनाएं एवं सुप्रभातम। परमपिता परमात्मा प्राण को देने वाला है। प्राण आत्मा का सहायक है। प्राण इस शून्य प्रकृति को चलाने वाला है। इंद्र हमारे जीवन का संचालक है, जो अपने जीवन को ऊंचा करना चाहते हैं जो अपने जीवन का कल्याण करना चाहते हैं, वह इंद्र की उपासना करें। अंबर में चंद्र मंडल, सूर्य […]
श्रेणी: आज का चिंतन
ओ३म ========== हम अपने जीवन के प्रथम दिन से ही इस सृष्टि को अपनी आंखों से देख रहे हैं। इस सृष्टि का अस्तित्व सत्य है। यह सृष्टि विज्ञान के नियमों के अनुसार चल रही है। इस सृष्टि तथा इसके नियमों का नियामक कौन है? इस प्रश्न पर विचार करने पर इसका एक ही समाधान मिलता […]
#डॉ_विवेक_आर्य (दार्शनिक विचार) पाप और पुण्य कर्मों को लेकर अनेक मित्र पूछते है कि ईश्वर की प्रार्थना करने से पाप कैसे नष्ट हो जाते है? मनुष्य कर्म करने के लिए स्वतन्त्र है मगर फल पाने के लिए परतन्त्र है। पाप कर्मों का फल दुःख और पुण्य कर्मों का फल सुख है। यही सुख विशेष स्वर्ग […]
ओ३म् “ ============ हम मनुष्य के रूप में जन्मे व जीवन जी रहे हैं परन्तु हमें यह पता नही होता कि हमारा जन्म क्यों हुआ तथा हमें करना क्या है? संसार के अधिकांश व प्रायः सभी मनुष्यों की यही स्थिति है। इस प्रश्न का उत्तर केवल वेद व वैदिक साहित्य से ही प्राप्त होता है […]
ओ३म् ============= आर्यसमाज एक सार्वभौमिक संगठन है जो संसार से धर्म व मनुष्य जीवन के क्षेत्र में सभी प्रकार की अविद्या को दूर करने के प्रयत्न करता है। आर्यसमाज की मुख्य विशेषता इसका ईश्वरीय ज्ञान वेदों पर आधारित होना है। आर्यसमाज के पास वेदों के सत्य अर्थों से युक्त ज्ञान प्राप्त है। आर्यसमाज के संस्थापक […]
🔥 ओ३म् 🔥 भूपेश आर्य प्राचीन काल में हमने देखा कि जितने भी धर्म का पालन करनेवाले राजा हुए, उनका राज्य काफी समय तक चला और सुदृढ़ता युक्त चला। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, योगीराज श्रीकृष्णजी, महाराज दशरथ, महाराज अश्वपति, राजा विक्रमादित्य, महाराज युधिष्ठिर आदि अनेक धार्मिक राजाओं ने अपने राज्य को धर्म की मर्यादा में रहकर […]
ओ३म् ============== संसार में किसी भी बात के दो पक्ष हो सकते हैं एक सत्य और दूसरा असत्य। अपने जीवन में हमें कई बार इन दोनों में से एक का चुनाव करना पड़ता है। कई बार असत्य कार्य करने पर हमें लाभ और सत्य को अपनाने पर हानि होती है। ऐसी स्थिति में अधिकांश लोग […]
ओ३म् ================ मनुष्य अपनी माता से इस संसार में जन्म लेता है। आरम्भ में शैशव अवस्था होती है। समय के साथ उसके शरीर व ज्ञान में वृद्धि होती है। वह माता की बोली को सुनकर उसे समझने लगता है व कुछ समय बाद बोलने भी लगता है। शैशव अवस्था बीतने पर किशोर व कुमार अवस्था […]
ओ३म् ================ मनुष्य इस संसार में भौतिक स्थूल पदार्थों, जो आकार वाले हैं, उन्हें ही अपनी आंखों से देख पाता है। सूक्ष्म भौतिक पदार्थ वायु, अग्नि, आकाश व गैस अवस्था में जल को भी हम इनके होते हुए भी नहीं देख पाते। अग्नि सभी पदार्थों में निहित व छिपी रहती है। बादलों में भी अग्नि […]
ओ३म् =============== मनुष्य का आत्मा अभौतिक पदार्थ है। आत्मा से इतर मनुष्य का शरीर भौतिक पदार्थों से बना होता है। मनुष्य शरीर को पांच भौतिक पदार्थों पृथिवी, अग्नि, वायु, जल एवं आकाश से बना होने के कारण पंचभौतिक शरीर कहते हैं। आत्मा पांच भूतों व पदार्थों से पृथक अनादि, नित्य तथा चेतन पदार्थ है। यह […]