हम टाइम पास करते रह गए …. हम संसारीजन जब परस्पर एक दूसरे से कुशलक्षेम पूछते हैं तो अक्सर कुशल क्षेम बताने वाला व्यक्ति यह कहता हुआ पाया जाता है कि ‘बस कर रहे हैं टाइम पास।’ युद्धिष्ठिर परिव्राजक जी इस विषय में अपने प्रवचनों में कहते हैं कि जैसे कोई व्यक्ति रेलवे स्टेशन पर […]
श्रेणी: आज का चिंतन
ओ३म् ========= रविवार दिनांक 28-3-2021 को वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून में दिनांक 7 मार्च, 2021 से चल रहे तीन सप्ताह के चतुर्वेद पारायण एवं गायत्री यज्ञ का समापन हुआ। यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य सन्दीप जी थे। यज्ञ में मन्त्रोच्चार गुरुकुल पौंधा-देहरादून के चार ब्रह्मचारियों ने किया। स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में […]
यहां पर हम यह स्पष्ट करने का प्रयास करेंगे कि राष्ट्र का निर्माण किस प्रकार हुआ ? राष्ट्र जैसी संस्था के खड़े करने में वेद का क्या योगदान रहा ? सरस्वती जी महाराज कहते हैं कि”जब स्वयंभूव मनु महाराज ने देखा कि सृष्टि में कुछ सूक्ष्मता आ गई है और लोगों के विचारों में […]
आजकल ‘सिफारिश’ शब्द इतने गलत अर्थों में प्रयोग किया जाता है कि जैसे ही हम किसी के बारे में यह सुनते हैं कि उस व्यक्ति की ‘सिफारिश’ अमुक व्यक्ति ने की, जिससे वह अमुक कार्य को कराने या अमुक नौकरी को पाने में सफल हुआ – वैसे ही हमें यह लगने लगता है कि […]
🌼🌼हवन का महत्व 🌼🌼 फ़्रांस के ट्रेले नामक वैज्ञानिक ने हवन पर रिसर्च की। जिसमें उन्हें पता चला कि हवन मुख्यतः *आम की लकड़ी पर ही किया जाता है। जब आम की लकड़ी जलती है, तो फ़ॉर्मिक एल्डिहाइड नामक गैस उत्पन्न होती है। जो कि खतरनाक बैक्टीरिया और जीवाणुओं को मारती है तथा वातावरण को […]
संसार में एक व्यक्ति मुमुक्षु है एक मुमूर्षु है। मुमुक्षु वह है जो मुक्त की इच्छा लेकर चलता है, मोक्षाभिलाषी है और जो संसार के सारे बंधनों को काटकर ईश्वर के प्रति प्रीति पैदा करने का प्रयास करता रहता है। मुमूर्षु वह है जो मृत्यु की इच्छा करता रहता है, मृत्यु का चिंतन करता […]
ओ३म् =========== महाभारत के बाद वैदिक धर्म का सत्यस्वरूप विलुप्त हो गया था और इसमें अनेक अन्धविश्वास, पाखण्ड एवं मिथ्या परम्परायें सम्मिलित हो गई थी जिससे आर्य जाति का नानाविध पतन व पराभव हुआ। ऋषि दयानन्द ने वेदों का पुनरुद्धार करने सहित वेद प्रचार करते हुए आर्यसमाज की स्थापना कर वैदिक धर्म को देश देशान्तर […]
कंकर से शंकर (दार्शनिक विचार) #डॉविवेकआर्य आज महाशिवरात्रि का पर्व है। यह वही रात है जब बालक के रूप में मूल शंकर ने शिवरात्रि का व्रत रखा। निराहार रहकर शिवजी के दर्शन का संकल्प लिया। शिवलिंग पर चूहों की उछल-कूद देखकर बालक के मन में उठी जिज्ञासा ने मूल शंकर को स्वामी दयानन्द बना दिया। […]
प्रियांशु सेठ वेदों के शिव– हम प्रतिदिन अपनी सन्ध्या उपासना के अन्तर्गत नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च(यजु० १६/४१)के द्वारा परम पिता का स्मरण करते हैं। अर्थ- जो मनुष्य सुख को प्राप्त कराने हारे परमेश्वर और सुखप्राप्ति के हेतु विद्वान् का भी सत्कार कल्याण करने और […]
देवियो और भद्र पुरुषो! मैं तो मथुरा नगरी में शिष्य रूप से आया था, न कि इस वेदी पर खड़ा होकर व्याख्यान देने के लिए। मैं तो यह विचार मन में रखकर आया था कि अब गुरु की नगरी में चलता हूं। वहां पद-पद पर शिक्षा ग्रहण करूंगा और उन शिक्षाओं को अपने जीवन का […]