लेखक- श्री प्रोफेसर विश्वनाथजी विद्यालंकार प्रस्तोता- प्रियांशु सेठ अथर्ववेद ७/९५/१-३, तथा ७/९६/१ में दो गीधों का वर्णन मिलता है। गीध-पक्षियों का काम है मांस भक्षण, मुर्दे के मांस को खाना। अथर्ववेद के इन दो सूक्तों में दो आध्यात्मिक गीधों का वर्णन है। गीधों को इन मन्त्रों में “गृध्रौ” कहा है। ये गृध्र गर्धा के […]
श्रेणी: आज का चिंतन
ओ३म् ========= भारतीय धर्म व संस्कृति विश्व की प्राचीनतम, आदिकालीन, सर्वोत्कृष्ट, ईश्वरीय ज्ञान वेद और सत्य मान्यताओं व सिद्धान्तों पर आधारित है। सारे विश्व में यही संस्कृति महाभारत काल व उसकी कई शताब्दियों बाद तक भी प्रवृत्त रहने सहित सर्वत्र फलती-फूलती रही है। इस संस्कृति की विशेषता का प्रमुख कारण यह था कि यह ईश्वरीय […]
एक सभा में गुरु जी ने प्रवचन के दौरान एक 30 वर्षीय युवक को खडा कर पूछा कि – *आप मुम्बई मेँ जुहू चौपाटी पर चल रहे हैं और सामने से एक सुन्दर लडकी आ रही है तो आप क्या करोगे ? युवक ने कहा – उस पर नजर जायेगी, उसे देखने लगेंगे। गुरु […]
अजय कुमार 12 सदस्यीय टीम में दिल्ली के अस्पतालों से तीन डॉक्टरों, महाराष्टु और तमिलनाडु से दो-दो, गुरुग्राम और पश्चिम बंगाल से एक-एक के अलावा केन्द्र सरकार के सचिव स्वास्थ्य और परिवार कल्याण एवं केन्द्रीय कैबिनेट सचिव को भी शामिल किया गया है। देश की सर्वोच्च अदालत का कोरोना महामारी के चलते होने वाली मौतों […]
रमेश सर्राफ धमोरा देश में आवश्यकता के मुताबिक ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं है। इसलिये केंद्र सरकार विदेशों से भी ऑक्सीजन का आयात कर रही है। भारतीय नौसेना ने विदेशों से ऑक्सीजन और चिकित्सा सामग्री समुद्री मार्ग से लाने के लिए ऑपरेशन समुद्र सेतु-दो शुरू किया है। भारत में चल रहा कोरोना संक्रमण विकराल होता जा रहा […]
ओ३म् ============== मनुष्य जानता है कि वह एक चेतन सत्ता है। जीवित अवस्था में चेतन सत्ता जीवात्मा शरीर में विद्यमान रहती है। मृत्यु होने पर जीवात्मा शरीर को छोड़कर चली जाती है। जीवात्मा का शरीर में रहना जीवन और उसका शरीर से निकल जाना ही मृत्यु कहलाता है। किसी ने न तो जीवात्मा को देखा […]
कुछ विद्वान साथी ऐसा भी सुझाव दे रहे हैं कि कोरोना की वर्तमान वैश्विक महामारी (जो हमारे देश भारतवर्ष में भी फैली हुई है ) की भयावहता की जानकारी सोशल मीडिया पर अधिक न दी जाए, जिससे कि भय का वातावरण कम से कम निर्मित हो पाए और समाज में सकारात्मकता का वातावरण उत्पन्न […]
गलती हो जाती है। यह तो मनुष्य का स्वभाव है। दूसरों की गलतियां माफ़ करना सीखें। थोड़ी सहनशक्ति भी बढ़ाएं। संसार में ऐसा कौन व्यक्ति है, जो गलती नहीं करता? ईश्वर को छोड़कर, सभी मनुष्य आदि प्राणी गलतियां करते हैं। छोटी या बड़ी, किसी न किसी प्रकार की, कोई न कोई, गलती सबसे होती है। […]
ललित गर्ग इन हालातों में कोरोना मरीजों को तत्काल राहत देने के लिये जरूरी है कि देश में सभी कोरोना उपचार की आर्थिक गतिविधियों को कुछ समय के लिये बन्द कर दिया जाये और सरकारी के साथ गैर-सरकारी अस्पतालों को कोरोना उपचार के लिये निःशुल्क कर दिया जाये। कोरोना संक्रमण के तीन लाख से अधिक […]
आलोचना ,समीक्षा और निंदा यह तीनों शब्द समानार्थक से प्रतीत होते हैं यद्यपि तीनों शब्दों में मौलिक अंतर है। तीनों शब्दों का एक विस्तृत आयाम है। एक शब्द होता है लोचन, उसी से जब ‘आ’ प्रत्यय हुआ तो वह आलोचन हो गया। लोचन का अर्थ है देखना। इसी से आलोचना शब्द की उत्पत्ति होती […]