अंधेरा सदा नहीं रह पाता…. रखना ईश्वर पर विश्वास, अंधेरा सदा नहीं रह पाता जीवन है आशा की डोर , आनंद है इसका छोर, हो जा उसी में भावविभोर, मनवा कभी नहीं कह पाता ….. जगत में बांटो खुशियां खूब, तुमसे पाए न कोई ऊब, जीवन का हो ये दस्तूर, हर कोई […]
श्रेणी: आज का चिंतन
आयुर्वेद लिखनेवाले पुरुष को आप्त कहा जाता है, जिनको त्रिकाल (भूत, वर्तमान, भविष्य) का ज्ञान था। यद्यपि आयुर्वेद बहुत पुराने काल में लिखा गया है, तथापि वर्तमान में नये रूप में उभरनेवाली हर बीमारियों का समाधान इसमें समाहित है। आयुर्वेद मतलब जीवनविज्ञान है। अतः यह सिर्फ एक चिकित्सा-पद्धति नहीं है, जीवन से सम्बधित हर […]
यदि आप के कारण कोई प्रसन्न होता है, तो इससे आपको पुण्य मिलता है। यदि आप के कारण कोई दुखी होता है, तो इससे आपको पाप लगता है। अतः पुण्य कमाएँ, पाप नहीं। व्यक्ति सुबह से रात्रि तक प्रायः खाली नहीं बैठता, दिनभर कुछ न कुछ कर्म करता रहता है। उन कर्मों में से कुछ […]
लेखक :- स्वामी ओमानन्द सरस्वती हरियाणा संवाद :- 10मई 1975 प्रस्तुति :- अमित सिवाहा महर्षि दयानन्द जी ने संसार का उपकार करने के लिए बम्बई में चैत्र शुक्ला प्रतिपदा विक्रमी सम्वत् १९३२ को आर्यसमाज की स्थापना की। उस समय आर्य जाति की रीति – नीति , सभ्यता , संस्कृति को पाचात्य सभ्यता का झंझावात […]
के. सी. जैन कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में नौकरशाही को लेकर एक बयान दिया। उन्होंने कहा कि आईएएस अफसर हर क्षेत्र के एक्सपर्ट नहीं हो सकते। सरकारी मशीनरी को चलाने के लिए इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि आईएएस अधिकारी सब कुछ कर सकते हैं। प्रधानमंत्री के इस बयान को […]
ओ३म् “मनुष्य जीवन की उन्नति के सरल वैदिक साधन” संसार में अनेक प्रकार के प्राणी हैं जिनमें से एक मनुष्य है। मनुष्य उसे कहते हैं जिसमें मनन करने का गुण व सामथ्र्य है। मनन करना सत्य व असत्य के विवेक वा निर्णय करने के लिए होता है। मनुष्य के पास अन्य प्राणियों की तुलना में […]
ईश्वर के अस्तित्व का खण्डन करने से पहले, हमें अपना निरीक्षण करना चाहिए, कि हम स्वयं भी मनुष्य हैं या नहीं? संसार में चार प्रकार के लोग होते हैं। एक – नास्तिक। दूसरे – भ्रांति में पड़े हुए आस्तिक। तीसरे – शाब्दिक रूप से ईश्वर को ठीक ठीक मानने वाले आस्तिक। चौथे – ठीक ठीक […]
ओ३म् ============ अग्निहोत्र यज्ञ से होने वाले लाभों में अनागत रोगों से बचाव, प्राप्त रोगों का दूर होना, वायु-जल की शुद्धि, ओषधि-पत्र-पुष्प-फल-कन्दमूल आदि की पुष्टि, स्वास्थ्य, दीर्घायुष्य, बल, इन्द्रिय-सामर्थ्य, पाप-मेाचन, शत्रु-पराजय, तेज, यश, सदविचार, सत्कर्मों में प्रेरणा, गृह-रक्षा, भद्र-भाव, कल्याण, सच्चारित्र्य, सर्वविध सुख आदि लाभ प्राप्त होते हैं। वन्ध्यात्व-निवारण, पुत्र-प्राप्ति, वृष्टि, बुद्धिवृद्धि, मोक्ष आदि फलों […]
प्रश्न — Swami Vivekanand Parivrajak नमस्ते स्वामी जी। स्वामी जी क्या अन्याय सहना चाहिए, चाहे वह अन्याय करने वाले स्वयं के माता-पिता ही क्यों ना हों? क्योंकि मेरे हिसाब से अन्याय करना भी नहीं चाहिए और सहना भी नहीं चाहिए। क्या अन्याय सहने वाला दोषी नहीं? उत्तर — Shobharohilla जी। महर्षि मनु जी ने धर्म […]
बिना पूछे या बिना माँगे किसी को सलाह न दें। आपत्ति काल में या जिज्ञासु को सलाह दे सकते हैं। एक बार कुछ बुद्धिमानों ने बैठकर मीटिंग की। चर्चा में यह विषय निकल आया, “यह पता लगाया जाए, कि संसार में अक्ल कितनी है?” खूब तर्क वितर्क हुआ। परंतु कोई निर्णय नहीं हो पाया, कि […]