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आज का चिंतन

बिखरे मोती : चिंतन होय पवित्र, तो हो व्यवहार पुनीत

  चिन्तन होय पवित्र तो, हो व्यवहार पुनीत। ऐसा वो ही कर सके, जाकी प्रभु से प्रीत॥1470॥ व्याख्या:- वस्तुत:मनुष्य का चित्त यदि मनोविकारों अथवा दुर्गुणों और दुरितों से भरा है, तो उसका आचार-विचार अथवा व्यवहार भी आसुरी प्रवृत्तियों को परिलक्षित करता है।ऐसे व्यक्ति को समाज में सभी लोग हेय-भाव से देखते हैं और यदि व्यक्ति […]

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जीवन में सुख दुख दोनों ही आते रहते हैं, दोनों का सामना करने के लिए करनी चाहिए तैयारी : स्वामी विवेकानंद परिव्राजक

“जीवन में सुख और दुख दोनों आते हैं। दोनों का सामना करने के लिए तैयार रहें।” प्रत्येक व्यक्ति चाहता है, कि “मेरे जीवन में केवल सुख ही आए, दुख कभी न आए।” ऐसी इच्छा करना अथवा ऐसा सोचना, तो प्रत्यक्ष आदि प्रमाणों के विरुद्ध होने से ठीक नहीं है। “ऐसा कोई व्यक्ति संसार में आज […]

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ओम का जाप सबसे उत्तम है

🌷ओ३म् का जाप सर्वश्रेष्ठ🌷 ओ३म् का जाप स्मरण शक्ति को तीव्र करता है,इसलिए वेदाध्ययन में मन्त्रों के आदि तथा अन्त में ओ३म् शब्द का प्रयोग किया जाता है। मनुस्मृति में आया है कि ब्रह्मचारी को मन्त्रों के आदि तथा अन्त में ओ३म् शब्द का उच्चारण करना चाहिए। क्योंकि आदि में ओ३म् शब्द का उच्चारण न […]

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मत करो परवाह इस बात की कि ‘लोग क्या कहेंगे’ : विवेकानंद परिव्राजक

“लोग क्या कहेंगे” इस बात की व्यक्ति इतनी चिंता करता है, कि वह सही काम को सही समझते हुए भी नहीं कर पाता। और गलत काम को गलत समझते हुए भी नहीं छोड़ पाता। हर व्यक्ति सोचने विचार करने में स्वतंत्र है। योजनाएं बनाने और आचरण करने में स्वतंत्र है। वह अपनी इच्छा और बुद्धि […]

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संसार स्वार्थी है, यहां के लोग स्वार्थवश ही एक दूसरे से मित्रता करते हैं : स्वामी विवेकानंद परिव्राजक

*संसार स्वार्थी हैं। यदि कोई आज आपको आपकी किसी विशेषता के कारण चाहता है, तो यह न समझें, कि आज से 10 वर्ष बाद भी या हमेशा ही वह आपको ऐसे ही चाहेगा। * संसार में अपवाद रूप कुछ ही लोग ऐसे होते हैं, जो अपने लौकिक स्वार्थ को छोड़कर, अपने अविद्या राग द्वेष आदि […]

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कोरोना काल में मानवता एक पल में ही रसातल में पहुंच गई

शमीम शर्मा चीन के धर्मगुरु कन्फ्यूशियस ने अपने शिष्यों से पूछा कि ऐसा कौन-सा काम है जो एक क्षण में किया जा सकता है। शिष्यों ने खूब सोचा कि एक पल में क्या हो सकता है पर सभी निरुत्तर रहे। आखिर धर्मगुरु ने ही जवाब दिया कि एक पल में गिरा जा सकता है। कोरोना […]

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हे मनुष्य जुआ मत खेल ! खेती कर !!

  #डॉविवेकआर्य महाभारत में द्रौपदी चीर-हरण का प्रसारण हुआ। हम महाभारत के यक्ष-युधिष्ठिर संवाद आदि का अवलोकन करते हैं, तो युधिष्ठिर एक बुद्धिमान व्यक्ति के रूप में प्रतीत होते हैं। जब महाभारत में उन्हें जुआ खेलता पाते हैं, तो एक बुद्धिमान व्यक्ति को एक ऐसे दोष से ग्रसित पाते हैं जिसने न जाने कितने परिवारों […]

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मन के मंदिर में रोज झाड़ू लगाओ : स्वामी विवेकानंद परिव्राजक

*जैसे आपका भोजन आपको स्वयं ही खाना पड़ता है, तभी भूख मिटती और शक्ति प्राप्त होती है। इसी प्रकार से आपको अपने मन में स्वयं झाड़ू लगानी होगी, तभी उससे मन की शुद्धता और प्रसन्नता प्राप्त होगी। कुल मिलाकर चार प्रकार का ज्ञान होता है। मिथ्या ज्ञान, संशयात्मक ज्ञान, शाब्दिक ज्ञान, और तत्त्वज्ञान। 1- मिथ्या […]

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ईश्वर का सत्य स्वरूप हमें ऋषि दयानंद के ग्रंथों से प्राप्त होता है

ओ३म् ========= संसार में ईश्वर की सत्ता में विश्वास रखने वाले और न रखने वाले दोनों प्रकार के मनुष्य निवास करते हैं। किसी कवि ने तो यहां तक कह दिया है कि ‘खुदा के बन्दों को देखकर खुदा से मुनकिर हुई है दुनिया, कि जिसके बन्दे ऐसे हैं वह कोई अच्छा खुदा नहीं।’ आज के […]

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न तो आलसी बनें और ना ही विलासी : परिव्राजक

न तो आलसी बनें, और न ही विलासी बनें, अर्थात धन का दुरुपयोग न करें। आलस्य और धन का दुरुपयोग, ये दोनों ही कार्य गलत हैं। इन दोनों का दंड भोगना पड़ेगा। ईश्वर ने कर्मफल के अनुसार सबको मनुष्य पशु पक्षी इत्यादि शरीर दिया। उसे जीवित रखने के लिए शक्ति चाहिए। शक्ति प्राप्त करने के […]

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