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आज का चिंतन

ओ३म् “जीवात्मा, ईश्वर और प्रकृति के समान अनादि, नित्य व अविनाशी सत्ता है”

========= हम दो पैर वाले प्राणी हैं जो ज्ञान प्राप्ति में सक्षम होने सहित बुद्धि से युक्त मनुष्य कहाते हैं। हमारा शरीर भौतिक शरीर है। हमारा शरीर पंचभूतो अग्नि, वायु, जल, पृथिवी व आकाश से मिलकर बना है। पंचभूतों में से किसी एक व सभी अवयवों में चेतन होने का गुण नहीं है। यह पांच […]

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श्रावणी पर्व, उपाकर्म , वेदारंभ संस्कार क्या होते हैं?

श्रावणी उपाकर्म स्वाध्याय का पावन पर्व है। विद्वानों द्वारा पवित्र यज्ञोपवीत का महत्व इसी दिन को समझाया तथा बताया है। आज भी यज्ञोपवीत धारण करना बहुत आवश्यक है ।प्राचीन काल में हमारे पूर्वज यज्ञोपवीत धारण करते थे। यज्ञोपवीत की परंपरा वीर शिवाजी ने आयु पर्यंत निभाई थी। शिवाजी की भांति अनेक क्षत्रियों ने यज्ञोपवीत धारण […]

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परमात्मा के सर्वोच्च लक्षण क्या हैं?

परमात्मा के सर्वोच्च लक्षण क्या हैं? मनुष्यों की सर्वमान्य कामनाएँ क्या हैं? मनुष्यों की सर्वमान्य कामनाओं को कौन पूर्ण कर सकता है? कौन वास्तविक मनुष्य है? प्र मन्महे शवसानाय शूषमाङ्गूषं गिर्वणसे अङ्गिरस्वत्।सुवृक्तिभिः स्तुवत ऋग्मियायाऽर्चामार्कं नरे विश्रुताय।। ऋग्वेद मन्त्र 1.62.1 (कुल मन्त्र 711) (प्र मन्महे) पूर्ण रूप से मनन करते हैं और प्रार्थना करते हैं (शवसानाय) […]

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वैदिक यज्ञ मीमांसा

इस पुस्तक के लिखने का तात्पर्य मात्र यही है कि हमारे समाज में यज्ञ करने की विधि में विविधता पाई जाती है, कहीं एकरूपता नहीं दिखाई देती अतः इसके सुधार हेतु यह प्रयास है। सर्वविदित है कि भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति में हर शुभ कार्य का श्रीगणेश अर्थात् शुभारम्भ यज्ञ-कर्म से किया जाता है। खेद […]

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* वेद और वैदिक चिंतन के अनुसार ईश्वर की सत्ता*

वेद ईश्वर की सत्ता में विश्वास रखते हुए आस्तिकता का प्रचार करता है । परन्तु संसार में कुछ नास्तिक लोग हैं जो ईश्वर की सत्ता को स्वीकार नहीं करते । “न तं विदाथ य इमा, जजानाऽन्यद्युष्माकमन्तरं बभूव । नीहारेण प्रावृता जल्प्या चाऽसुतृप उक्थशासश्चयन्ति ।।” (ऋ० १०/८२/७) तुम उसको नहीं जानते जो इन सबको उत्पन्न करता […]

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धर्म कहता है* समाज को जगाओ , पर हिन्दू रात रात भर जागरण करके ईश्वर को जगाता है

बंगलादेश की घटनाओं से चिन्तित हिन्दू पुछते हैं कि इस तरह कि अराजकता और धार्मिक हिंसा का हल क्या है हम अपना,परिवार का और देश का भविष्य सुरक्षित कैसे करें ? उनके इस प्रश्न का उत्तर :- धर्म के नाम पर अधर्म का पालन करोगे तो , धर्म की रक्षा कैसे होगी?? धर्म कहता है […]

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ओउम् “गुरूकुल शिक्षा प्रणाली बनाम् स्कूलों में दी जाने वाली वर्तमान शिक्षा”

============= मानव सन्तान को शिक्षित करने के लिए एक पाठशाला या विद्यालय की आवश्यकता होती है। बच्चा घर पर रह कर मातृ भाषा तो सीख जाता है परन्तु उस भाषा, उसकी लिपि व आगे विस्तृत ज्ञान के लिए उसे किसी पाठशाला, गुरूकुल या विद्यालय मे जाकर अध्ययन करना होता है। केवल भाषा से ही काम […]

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शिव और पार्वती का विवाह का यथार्थ*

डॉ डी के गर्ग हिन्दू समाज को भ्रमित करने में साहित्यिक अज्ञानता का बहुत बड़ा हाथ है। बची कुछ कमी अधर्मी पंडो ,कथाकारों, और अंधविस्वास में डूबे जल्दी ही चमत्कार की उम्मीदे लिए हिन्दू समाज ने पूरी कर दी। बिना दिमाक लगाए झूटी ,अवैज्ञानिक और अप्रमाणिक ,गप्प कथाओं को सच मान लेना मानव के बुद्धिमान […]

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हमारे मन की वृत्तियों और इच्छाओं को कौन कमजोर कर सकता है?

उच्च ज्ञान की तरफ किसे ले जाया जाता है? एक लक्ष्य की तरफ किस प्रकार प्रगति और प्राप्ति की सफलता हो सकती है? अस्येदेव शवसा शुषन्तं वि वृश्चद्वज्रेण वृत्रमिन्द्रः। गा न व्राणा अवनीरमुंचदभि श्रवो दावने सचेताः ।। ऋग्वेद मन्त्र 1.61.10 (कुल मन्त्र 704) (अस्य इत् एव) केवल इसका (परमात्मा का) (शवसा) बल के साथ (शुषन्तम) […]

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आंख-मूसली, ओखल-काम, देते ये संकेत ललाम

” वेदमाता गुरु गम्भीर मन्त्र श्रृंखाओं के साथ-साथ यदाकदा हल्की-फुल्की फुहारें भी छोड़ देती हैं, जिसे सुनकर मन हास्य विनोद में लोटपोट हो ही जाता है, किन्तु उसका अर्थ हितोपदेश से भरपूर होता है। अथर्ववेद काण्ड-११, सूक्त-३, मन्त्र संख्या-३ पर दृष्टिपात कीजिये। “चक्षुर्मुसल काम उलूखलम्” अर्थात् आंखें मूसल हैं तो कामनाएं ओखली है। काव्यतीर्थ पं० […]

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