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आज का चिंतन

*लखीमपुर खीरी कांड- ब्राह्मण समाज के विरुद्ध कोई सोचा-समझा षड्यंत्र तो नहीं है*

🙏बुरा मानो या भला 🙏 —मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री” कल तक एक कुख्यात अपराधी विकास दुबे की हत्या पर छाती पीटकर विधवा विलाप करने वाले, श्रीमान योगी का ख़ौफ़ दिखाकर ब्राह्मणों पर कथित अत्याचारों का हवाला देकर घड़ियाली आंसू बहाने वाले, ब्राह्मण समाज को वोटबैंक समझकर उनका इस्तेमाल करने वाले और ब्राह्मणों को अपने पाले में […]

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शिव, शंकर, महादेव, गणेश, भगवान आदि शब्दों का अर्थ

वेदों में एक ईश्वर के अनेक नाम बताये गए है। ईश्वर का हर नाम ईश्वर के गुण का प्रतिपादन करता हैं। ईश्वर के असंख्य गुण होने के कारण असंख्य नाम है। 1- शिव –(शिवु कल्याणे) इस धातु से ‘शिव’ शब्द सिद्ध होता है। ‘बहुलमेतन्निदर्शनम्’ इससे शिवु धातु माना जाता है, जो कल्याणस्वरूप और कल्याण का […]

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क्या सनातन धर्म को वास्तव में कभी कोई संकट पैदा हो सकता है ?

ओमप्रकाश श्रीवास्तव पहले विज्ञान की बात करें। प्रकृति के नियम स्वमेव पैदा हुए हैं। प्रकृति उन्हीं नियमों से चलती है, भले ही हम उन्हें जानें या न जानें। प्रकृति के इन्हीं नियमों की खोज विज्ञान है। जब हम गुरुत्वाकर्षण नियम नहीं जानते थे तब भी पेड़ से टूटा फल जमीन पर ही गिरता था। हिन्‍दूधर्म […]

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चित्त – भाव से ही मिलें,कर्मों के परिणाम

चित्त – भाव से ही मिलें, कर्मों के परिणाम। सात्विकता के भाव से, कर्म करो निष्काम॥1498॥ व्याख्या:- कर्म और भाव के अन्योन्याश्रित सम्बन्ध पर प्रकाश डालते हुए श्वेताश्वतर – उपनिषद के ऋषि कहते हैं – ” ‘कर्म’ (Action) शरीर है ‘भाव ‘ (Intention ) उसकी आत्मा है।” उदाहरण के लिए मान लीजिए यज्ञ पर पाँच […]

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शत्रु कौन है? ठन्डे दिमाग से विचार करें

शत्रु कौन है? ठन्डे दिमाग से विचार करें 19 साल की अमृता (एमी) जिसका अभी अभी कॉलेज में एडमिशन हुआ है, उसने टीवी पर चल रहे वाद विवाद को देखते हुए अपने पापा से पूछा “व्हाट्स रॉन्ग विद दिस ऐड पापा? व्हाय ऑल द हिंदूस आर अगेंस्ट दिस ऐड? आलिया इज़ राइट, डॉटर्स आर नॉट […]

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भारतीय धर्म ग्रंथो में अलंकार रहस्य -वास्तविक अर्थ की पड़ताल*

भाग – 1 हिंदी /संस्कृत साहित्य बहुत विशाल है जिसको बिना सोचे समझे अर्थ का अनर्थ किया गया है और अभी तक हम लोग समझ नहीं पाए है। हमारा उद्देश्य सत्य का प्रचार करना और असत्य को हटाना है । इस अध्याय का मुख्य उद्देश्य:- 1)पुराणों की अवैदिक, अतार्किक, असंगत बातों को दर्शाना 2)हिन्दू और […]

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संसार में ऐसा कुछ भी नहीं जिसे असंभव कहा जा सके

सीताराम गुप्ता ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित उर्दू शायर ‘शहरयार’ साहब की ग़ज़ल का एक लोकप्रिय शे’र है :- कहिए तो आस्मां को जमीं पर उतार लाएं, मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए। अनुष्का के कॉलेज में एक दिन रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। वह मित्रों के साथ रक्तदान शिविर में गई। उसके […]

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बीत गये अब दिखावे के सम्मोहक दिन

शमीम शर्मा जब समाज मोटरसाइकिल से इम्प्रेस होता है तो आम आदमी के पास साइकिल होती है। जब समाज कार से इम्प्रेस होता है तो आम आदमी के पास एक्टिवा होती है। जब जुगाड़ बिठाकर हम कार खरीद लेते हैं तो लोग कार से नहीं बल्कि खास ब्रांड की कार से इम्प्रेस होते हैं। यह […]

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क्या श्रीमद्भगवद्गीता परतों में है ?

थोड़े समय पहले अजीत भारती ने एक इंटरव्यू में पूछा था कि क्या भगवद्गीता परतों में, लेयर्स में है? इसका सीधा सा जवाब हाँ है। अगर ये समझना हो कि ये कई परतों में कैसे है तो ये सोचिये कि आपके हिसाब से भगवद्गीता किनका संवाद है? संभवतः अधिकतर लोग इसका आसान सा जवाब दे […]

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*मृत्यु के बाद किये जाने वाले पारिवारिक और सामाजिक कार्यो कार्यो का विश्लेषण* :

‘अन्त्येष्टि कर्म क्या है? DR D K Garg ‘अन्त्येष्टि कर्म उस को कहते हैं कि जो शरीर के अन्त का संस्कार है, जिस के आगे उस शरीर के लिए कोर्इ भी अन्य संस्कार नहीं है।इसी को नरमेध्, पुरूषमेध्, नरयाग, पुरूषयाग भी कहते हैं । भस्मापिन्त शरीरम् । –यजु: अ॰ ४० । मं॰ १५ ॥ ।। […]

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