Bal Geeta Dear children! Gita is an important scripture of Hindus. In this book, Shri Krishna ji preached to Arjuna at the time when he, under the influence of attachment, had turned his back from the war and sat down. It was the first day of the war. When Shri Krishna ji reached the field […]
Category: आज का चिंतन
-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। ईश्वर और उसके अन्य सभी गुण, कर्म और सम्बन्ध वाचक नाम वेदों से संसार में प्रसिद्ध हुए हैं। वेद, सृष्टि के आरम्भ में मनुष्यों की अमैथुनी सृष्टि के साथ परमात्मा की ओर से चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा के माध्यम से प्राप्त हुए ज्ञान व उसकी पुस्तकें हैं। इस […]
ओ३म् ========= मनुष्य व समाज की उन्नति आर्यसमाज में जाने व आर्यसमाज के प्रचार के कार्यों से होती है। आर्यसमाज का छठा नियम है कि आर्यसमाज को मनुष्यों की शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति कर संसार का उपकार करना चाहिये। हम जब आर्यसमाज के सत्संगों में जाते हैं तो वहां इस नियम का पालन होने […]
ओ३म् ========= मनुष्य एक चेतन आत्मा है जो अनादि, नित्य, अविनाशी तथा अमर है। यह भाव पदार्थ है। इसका कभी अभाव नहीं होता और न ही हो सकता है। भाव पदार्थ का कदापि अभाव न होना और अभाव से भाव पदार्थ का अस्तित्व में न आना वैज्ञानिक सिद्धान्त है। हम हैं, इसका अर्थ है कि […]
गोबर्द्धन पूजा लेखक- डॉ० रामनाथ वेदालंकार प्रस्तुति- प्रियांशु सेठ महर्षि दयानन्द रचित पुस्तकों में एक छोटी से पुस्तक ‘गोकरुणानिधि’ है। देखने में तो छोटी सी है, किन्तु महत्त्व में यह कम नहीं है। इसकी रचना स्वामी जी ने आगरा में की थी। पुस्तक के अन्त में स्वामी जी ने स्वयं लिखा है कि यह ग्रन्थ […]
ओ३म् (सन् 1966 में देश में गोरक्षा आन्दोलन चला था जिसमें सनातन धर्म सहित आर्य समाज के लोगों ने भी सक्रिय भाग लिया था। इस आन्दोलन की योजनानुसार दिनांक 7 नवम्बर, 1966 को देश की संसद का घेराव किया गया था। इस आन्दोलन के गोरक्षक सत्याग्रहियों पर सरकार द्वारा गोलियां चलाई गई थी जिसमें सहस्रों […]
ना तो परमात्मा का जन्म होता है और ना ही प्रकृति का जन्म होता है इस अर्थ में दोनों एक समान है। जगत में रहते हुए सभी मिथ्या धारणाओं को त्याग दें । अपने आप पर भरोसा करें और सर्वत्र परमपिता परमात्मा की सत्ता का अनुभव करते रहें। अपने भीतर गहरी प्यास अर्थात् परमात्मा से […]
ईश्वर और उसकी कर्म फल व्यवस्था
वेदों का पुराना प्रसिद्ध सिद्धांत है, दंड के बिना कोई सुधरता नहीं है | आज संसार के लोग बिगड़े हुए दिखाई देते हैं । इसके कारण है कि लोग दंड व्यवस्था को भूल चुके हैं । कुछ ही अपवाद रूप लोगों को छोड़कर शेष सभी लोग दंड व्यवस्था को समझ नहीं रहे । उन्हें ना […]
भारत में क्या है अवतारों का सच ?
आचार्य अनूपदेव संसार में प्रायः अवतारवाद को लेकर यह अवधारणा बनी हुई है कि भगवान या ईश्वर अवतार यानी कि जन्म लेता है। यहाँ विचार करने वाली बात यह है कि, यदि कहा जाये कि मनुष्य अवतार लेता है, तो यह सम्भव है, क्योकि अवतार तो केवल वही ले सकता है जो एकदेशी अणु हो, […]
राजेंद्र सिंह कदाचित् मध्यकालीन भारत के सन्तों और सिद्धों की श्रेणी में गुरु नानकदेव अकेली ऐसी विभूति हैं जिन्होंने इस प्राचीन राष्ट्र को एक सांस्कृतिक और राजनैतिक इकाई के रूप में देखा। उल्लेखनीय है कि आदि श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी में जिन तीस से अधिक जिन महापुरुषों की वाणी संकलित है, उनमें से केवल […]