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आज का चिंतन

ब्रह्म मुहूर्त में उठने के हैं अनेकों लाभ

अशोक आर्य रात्रि के अंतिम प्रहर को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। हमारे ऋषि मुनियों ने इस मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है। उनके अनुसार यह समय निद्रा त्याग के लिए सर्वोत्तम है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। सूर्योदय से चार घड़ी (लगभग डेढ़ घण्टे) पूर्व […]

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परमात्मा की कृपा से हम धन और शक्ति प्राप्त करें

◼️प्रार्थना◼️ 🔥 ओ३म् अग्निना रयिमश्नवत्पोषमेव दिवे दिवे। यशसं वीरवत्तमम्॥ (ऋग्वेद) 🌺 परमात्मा की प्रार्थना से हम [रयि] धन, शक्ति प्राप्त करें, जो पोषक हो, यश कारक हो, वीरता प्रापक हो। मनुष्य अनेक वस्तुएँ चाहता है, उनके सब का मूल धन तथा शक्ति में है। यदि मनुष्य बुद्धिबल, मनोबल तथा शारीरिक शक्ति सम्पन्न है तब वह […]

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*संस्कार और धर्म पालन*

तमिल कवि वल्लुवर की स्त्री का नाम वासुकी था। वह बड़ी ही पतिव्रता थी। विवाह के दिन वल्लुवर ने खाना परोसते समय उससे कहा-“मेरे खाते समय नित्य एक कटोरे में पानी तथा एक सुई रख दिया करो।” वासुकी ने जीवन पर्यन्त पति की इस आज्ञा का पालन किया। जीवन के अंतिम क्षणों में जब वल्लुवर […]

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“यदि ईश्वर न होता तो क्या संसार का अस्तित्व होता?”

ओ३म् हमारे इस संसार में जन्म लेने से पूर्व से ही यह संसार इसी प्रकार व्यवस्थित रुप से चल रहा है। हमसे पूर्व हमारे माता-पिता, उससे पूर्व उनके माता-पिता और यही परम्परा सृष्टि के आरम्भ से चली आ रही है। इस परम्परा का आरम्भ कब व कैसे हुआ? इसका उत्तर है कि यह परम्परा इस […]

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“वेदों का सत्यस्वरूप, ईश्वर विषयक वेद-विचार और ऋषि दयानन्द”

ओ३म् ========= यह निर्विवाद है कि मूल वेद संहितायें ही संसार में सबसे पुरानी पुस्तकें हैं। वेद शब्द का अर्थ ज्ञान होता है। अतः चार वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद ज्ञान की पुस्तकें हैं। इन चारों वेदों पर ऋषि दयानन्द का आंशिक और अनेक आर्य वैदिक विद्वानों का सभी वेदों पर भाष्य वा टीकायें […]

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धर्म रहित राजनीति से होता है सर्वत्र पतन

🔥 ओ३म् भूपेश आर्य प्राचीन काल में हमने देखा कि जितने भी धर्म का पालन करनेवाले राजा हुए, उनका राज्य काफी समय तक चला और सुदृढ़ता युक्त चला। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, योगीराज श्रीकृष्णजी, महाराज दशरथ, महाराज अश्वपति, राजा विक्रमादित्य, महाराज युधिष्ठिर आदि अनेक धार्मिक राजाओं ने अपने राज्य को धर्म की मर्यादा में रहकर चलाया […]

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वेदों में मानव अधिकारों की अवधारणा

-संजय कुमार आज विश्व मानवाधिकार दिवस है। विश्व के प्रथम/सर्वश्रेष्ठ ज्ञान वेदों में मानवाधिकारों विषय में अत्यंत सुन्दर सन्देश दिया गया हैं। वेदों का सन्देश न केवल सार्वकालिक है अपितु सार्वभौमिक, सर्वग्राह्य, सर्वहितकारी, सर्वकल्याणकारी, भी है। वेदों का यह मंत्र देखिये समानी प्रपा सहवोऽन्भागः समाने योषत्रे सहवो युनाज्मि। सम्यंचोऽग्नि सपर्य्यतारा नाभिमिवा भितः। अथर्व 3।30।6 ईश्वर […]

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आइए जानते हैं कि वास्तव में हिंदुत्व क्या है ?

संजीव नायर अगर किसी से हिंदुत्व के बारे में पूछेंगे तो अधिकांश लोग बता नहीं पाएंगे और कुछ इससे राम मंदिर का निर्माण से जोड़ेंगे| इस आलेख के दो भाग हैं, पहला सावरकर के अनुसार हिंदुत्व का अर्थ जो उन्होंने ने १९२३ में दिया था और दूसरा आज के सन्दर्भ में आठ बिंदुओं में इसका […]

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“जीवन की सफलता हेतु वेदाध्ययन की आर्ष-शिक्षा पद्धति को अपनाना आवश्यक”

ओ३म् संसार में अनेक भाषायें हैं। इन भाषाओं की अपनी-अपनी व्याकरण प्रणालियां हैं। संसार की प्रथम भाषा संस्कृत है। संस्कृत का आरम्भ सृष्टि के आरम्भ में परमात्मा के चार ऋषियों को वेद ज्ञान के उपदेश से हुआ। यह चार ऋषि थे अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा तथा यह उपदेश चार वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा […]

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वैदिक कर्म-फल सिद्धान्त सत्य नियमों पर आधारित यथार्थ दर्शन है”

ओ३म् ======= वैदिक धर्म सृष्टि का सबसे पुराना धर्म है। यह धर्म न केवल इस सृष्टि के आरम्भ से प्रचलित हुआ है अपितु इससे पूर्व जितनी बार भी प्रलय व सृष्टि हुई हैं, उन सब सृष्टि कालों में भी एकमात्र वैदिक धर्म ही पूरे विश्व में प्रवर्तित रहा है। इसका कारण यह है कि ईश्वर, […]

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