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आओ कुछ जाने आज का चिंतन

अष्टभुजी माता की अष्ट भुजाओं का रहस्य

आज दशहरा का पावन पर्व है। इससे पूर्व 9 दिन तक देवी मां के भिन्न-भिन्न रूपों की पूजा-अर्चना और उपासना हमने की थी। इससे भी पहले 15 दिन तक श्राद्ध पक्ष हमने मनाया था। अब जानने व समझने की बात यह है कि भारतीय संस्कृति में क्या है श्राद्ध पक्ष का महत्व? क्या है दुर्गा […]

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मूल्य आधारित शिक्षा समय की आवश्यकता

राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी सामाजिक सांस्कृतिक प्राणी के रूप में भारतीय मानस ने अपनी विकास यात्रा के अंतर्गत न केवल शारीरिक एवं जैविक विकास किया, अपितु बौद्धिक, सांवेगिक, सामाजिक, नैतिक और आध्यात्मिक क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण उपलब्धियां अर्जित कीं। सांस्कृतिक दृष्टि से उसने अपनी एक आदर्श जीवनशैली को विकसित किया, जिसमें परस्परता, सहिष्णुता, प्रकृति के साथ […]

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||देह ,देही और दैहिक अनुभूति ||

==================== वर्ष 2021 का मेडिसिन/ फिजियोलॉजी का नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से दो जीव वैज्ञानिकों डेविड जूलियस व एडम पैटपुतिन को मिला है। इन दोनों वैज्ञानिकों के लोकोपयोगी अनुसंधान को समझने से पहले हमें भारतीय आस्तिक वैदिक षट दर्शनों मे प्रमुखता से प्रतिपादित विषय की ओर जाना होगा। भारतीय वैदिक वांग्मय में आत्मा को देही […]

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“नवरात्रो में मांसाहारियों का व्रत या पाखण्ड”*

श्राद्ध के अन्तिम दिनों में माँसाहारियों ने होटलों पर भीड़ बढ़ाई और डट कर मांस खाया | क्योंकि अब आगे नौ दिन मांसाहार भोजन को छोड़कर धार्मिकता का ढोंग जो करना है । बड़ी ही आश्चर्य होती है कि यह कैसी धार्मिक आस्था है, नवरात्रों में तो मांसाहार से दूरी बना कर अपनी श्रद्धा दिखाते […]

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पितर, श्राद्ध और तर्पण के सत्य वैदिक स्वरूप*

पितर, श्राद्ध और तर्पण के सत्य वैदिक स्वरूप महर्षि दयानन्द सरस्वती जी के अनुसार, “श्रत्सत्यं दधाति यया क्रियया सा श्रद्धा, श्रध्दया यत्क्रियते तच्छ्राध्दम् |” अर्थात जिससे सत्य को ग्रहण किया जाये उसको ‘श्रद्धा’ और जो-जो श्रद्धा से सेवारूप कर्म किये जाए उनका नाम श्राद्ध है । “तृप्यन्ति तर्पयन्ति येन पितृन् तत्तर्पणम् |” अर्थात जिस-जिस कर्म […]

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वेदों का काव्य-अनुवाद करने वाले यशस्वी विद्वान श्री वीरेन्द्र राजपूत’

ओ३म् ============ श्री वीरेन्द्र राजपूत जी देहरादून में निवास करते हैं। वह मुरादाबाद के रहने वाले हैं। देहरादून में वह अपनी पुत्री के साथ निवास करते हैं। उनके साथ उनकी धर्मपत्नी भी हैं। बहिन जी चल नहीं सकती। वह व्हीलचेयर पर रहती हैं और उस पर बैठ कर ही अपने आवश्यक कुछ कार्य कर लेती […]

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ओ३म् “सृष्टि एवं इतर सभी अपौरुषेय रचनायें ईश्वर के अस्तित्व का प्रमाण हैं”

ओ३म् =========== हम संसार में अनेक रचनायें देखते हैं। रचनायें दो प्रकार की होती हैं। एक पौरुषेय और दूसरी अपौरुषेय। पौरुषेय रचनायें वह होती हैं जिन्हें मनुष्य बना सकते हैं। हम भोजन में रोटी का सेवन करते हैं। यह रोटी आटे से बनती है। इसे मनुष्य अर्थात् स्त्री वा पुरुष बनाते हैं। मनुष्य द्वारा बनने […]

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देश में किसान आन्दोलन हो या ऐसे ही अन्य राजनैतिक आन्दोलन, उनमें हिंसा का होना गहन चिन्ता का कारण

ललित गर्ग हिंसा और आतंकवाद की स्थितियों ने जीवन में अस्थिरता एवं भय व्याप्त कर रखा है। अहिंसा की इस पवित्र भारत भूमि में हिंसा का तांडव सोचनीय है। अहिंसा ताकतवरों का हथियार है। दमनकारी के खिलाफ वही सिर उठाकर खड़ा हो सकता है, जिसे कोई डर न हो, जो अहिंसक हो एवं मूल्यों के […]

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फिर से लौटें जलसंरक्षण की परंपरा की ओर

प्रस्तुति – देवेंद्र सिंह आर्य ‘जलमेव जीवनम्’ जल ही जीवन है। जल है तो कल है। प्रकृति प्रदत्त संसाधनों में जल का महत्व सर्वाधिक है। मानव शरीर की संरचना में प्रकृति के पांच तत्वों का समायोजन है। भूमि, जल, आकाश वायु और तेज (अग्नि)। प्रकृति के सभी तत्वों का सन्तुलन प्राणिमात्र की रक्षा के लिए […]

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*लखीमपुर खीरी कांड- ब्राह्मण समाज के विरुद्ध कोई सोचा-समझा षड्यंत्र तो नहीं है*

🙏बुरा मानो या भला 🙏 —मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री” कल तक एक कुख्यात अपराधी विकास दुबे की हत्या पर छाती पीटकर विधवा विलाप करने वाले, श्रीमान योगी का ख़ौफ़ दिखाकर ब्राह्मणों पर कथित अत्याचारों का हवाला देकर घड़ियाली आंसू बहाने वाले, ब्राह्मण समाज को वोटबैंक समझकर उनका इस्तेमाल करने वाले और ब्राह्मणों को अपने पाले में […]

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