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आज का चिंतन

वेद, वेदांग, उपांग, शाखाएं, उपनिषद ,स्मृतियां क्या है?

वैदिक वांग्मय किसे कहते हैं? वैदिक वांग्मय क्या है? वेद, वेदांग, उपांग, शाखाएं, उपनिषद ,स्मृतियां क्या है? सर्वप्रथम वैदिक वांग्मय को स्पष्ट करने से पूर्व वैदिक इतिहास को समझना आवश्यक है। वैदिक ग्रंथों को समझना आवश्यक है। वैदिक वांग्मय में अगर कोई आधारभूत रचना है तो वो चार वेद हैं । चार वेद कौन-कौन से […]

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आज का चिंतन विशेष संपादकीय

‘हिरण्यगर्भ:’ और महा विस्फोट का सिद्धांत

ईश्वर के विषय में यह माना जाता है कि वह सृष्टि के अणु-अणु में विद्यमान है और घट-घट वासी है। उसकी दृष्टि से कोई बच नहीं सकता। अत: वह मनुष्य के प्रत्येक विचार का और प्रत्येक कार्य का स्वयं साक्षी है। जिससे उसकी न्यायव्यवस्था से कोई बच नहीं पाएगा। घट-घट वासी होने से ईश्वर हमारे […]

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आज का चिंतन

परमात्मा जल चक्र को किस उद्देश्य से संचालित करते हैं?

परमात्मा हमारे लिए क्या करते हैं? सूर्य तथा उसकी किरणें हमारे जीवन से अज्ञानता को दूर रखने के लिए किस प्रकार उपयुक्त है? परमात्मा जल चक्र को किस उद्देश्य से संचालित करते हैं? गृणानो अङ्गिरोभिर्दस्म वि वरुषसा सूर्येण गोभिरन्धः।वि भूम्या अप्रथय इन्द्र सानु दिवो रज उपरमस्तभायः ।। ऋग्वेद मन्त्र 1.62.5 (कुल मन्त्र 715) (गृणानः) परमात्मा […]

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आज का चिंतन

परमात्मा का सबसे अधिक प्रशंसनीय और सुन्दर कार्य कौन है?

परमात्मा का सबसे अधिक प्रशंसनीय और सुन्दर कार्य कौन है? सभी जीवों के लिए जल चक्र किस प्रकार महत्त्वपूर्ण है? तदु प्रयक्षतममस्य कर्म दस्मस्य चारुतममस्ति दंसः।उपह््वरे यदुपरा अपिन्वन्मध्वर्णसो नद्य1श्चतस्त्रः।। ऋग्वेद मन्त्र 1.62.6 (कुल मन्त्र 716) (तत् उ) केवल वह ही (प्रयक्षतमम्) सर्वाधिक स्तुति हेतु (अस्य) उसका (कर्म) कार्य (दस्मस्य) जो समस्त दुर्गुणों और दुःखों का […]

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आज का चिंतन

ओ३म् “आत्मा का जन्म, मृत्यु एवं पुनर्जन्म का सिद्धान्त सत्य सिद्धान्त है”

=========== मनुष्य एक चेतन प्राणी है। चेतन प्राणी होने से प्रत्येक मनुष्य व इतर प्राणियों के शरीर में एक जैसी आत्मा का वास होता है। यह आत्मा अनादि, नित्य, अविनाशी, अजर व अमर सत्ता है। इसका आकार अत्यन्त सूक्ष्म एवं आंखों से न देखे जा सकने योग्य होता है। आत्मा से भी सूक्ष्म परमात्मा वा […]

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आज का चिंतन

मुक्ति की अवधि कितनी होती है?

मुक्ति की अवधि बाद में गणना करेंगे पहले युगों की गणना कर लेते हैं और युगों की आयु विचार में लेते हैं। हम सभी जानते हैं कि युग चार होते हैं। सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलयुग । सतयुग में 17 लाख 28 हजार वर्ष होते हैं। त्रेता युग में 12 लाख 96000 वर्ष होते हैं। द्वापर […]

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आज का चिंतन

ओ३म् “आर्य-हिन्दू समाज को चुनौतियों पर विजय पाने के लिये समाज सुधार करने सहित संगठित होना होगा”

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। हमें अपने धर्म व संस्कृति की शक्ति व सामथ्र्य का समय समय पर अध्ययन करते रहना चाहिये। हमारे सामने वर्तमान में मुख्य चुनौतियां क्या हैं?, इसका भी हमें ज्ञान होना चाहिये। हमारे धर्म व संस्कृति तथा इसके अनुयायियों के विरुद्ध देश व विश्व स्तर पर कहीं कोई साजिश तो नहीं हो […]

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आज का चिंतन पर्व – त्यौहार

हम श्री कृष्ण जी का कौन सा जन्म दिवस मना रहे हैं आईए जानते हैं। श्री कृष्ण जी के जन्मदिवस की शुभकामनाएं

कलियुग का प्रारंभ 18 फरवरी 3102 ईसा पूर्व रात्रि के 2:27 बजकर 30 सेकंड पर हुआ था। विष्णुपुराण , हरिवंश पुराण ,श्रीमद्भागवत, एवं अन्य उपलब्ध साहित्य के अनुसार एवं प्रचलित मान्यताओं के अनुसार योगीराज कृष्णजी महाराज का जन्म 3228 ईसा पूर्व होना लिखा है। ज्ञातव्य है कि जब नौ ग्रह एक युति( एक लाइन अथवा […]

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आज का चिंतन हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

महर्षि दयानंद की 200वीं जयंती के अवसर पर विशेष प्रस्तुति

राष्ट्र महर्षि दयानंद की 200वीं जयंती बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मना रहा है। वास्तव में महर्षि दयानंद का हम पर बहुत ऋण है। हम उनके ऋण से उऋण नहीं हो सकते । मुझे विधि व्यवसाय के दृष्टिकोण से इलाहाबाद (प्रयाग) जाने का अवसर अनेक बार जीवन में प्राप्त हुआ है। मैंने भारद्वाज ऋषि का […]

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आज का चिंतन

ओ३म् “ईश्वर की न्याय व्यवस्था सर्वज्ञता पर आधारित होने से निर्दोष है”

============ संसार में अनेक देश हैं जिनमें अपनी अपनी न्याय व्यवस्था स्थापित वा कार्यरत है। सभी देशों की न्याय व्यवस्थायें एक समान न होकर अलग-अलग हैं। भारत की न्याय व्यवस्था अन्य देशों से भिन्न प्रकार की है जिसका एक कारण भारत का अपना संविधान है। हमारे देश में वादों के निर्णय होने में वर्षों लगते […]

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