स्वच्छ वायुमण्डल का महत्त्व स्वच्छ वायु का सेवन ही प्राणियों के लिए हितकर है यह बात वेद के निम्न मन्त्रों से प्रकट होते हैं- वात आ वातु भेषजं शम्भु मयोभु नो हृदे। प्र ण आयूंषि तारिषत्।। -ऋ० १०/१८६/१ वायु हमें ऐसा ओषध प्रदान करे, जो हमारे हृदय के लिए शांतिकर एवं आरोग्यकर हो, वायु हमारे […]
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पुनर्जन्म – विवेचना उगता भारत ब्यूरो एक शरीर को त्याग कर दूसरा शरीर धारण करना ही पुनर्जन्म कहलाता है। चाहे वह मनुष्य का शरीर हो या पशु, पक्षी, कीट, पतंग आदि कोई भी शरीर। यह आवागमन या पुनर्जन्म एक शाश्वत सत्य है। जो जैसे कर्म करता है,वह वैसा ही शरीर प्राप्त करता है।धनाढ़य, कंगाल, सुखी,दुःखी, […]
=========== महर्षि दयानन्द जी ने वेदानुयायी आर्यों के पांच नित्यकर्म बताते हुए उसमें प्रथम व द्वितीय स्थान पर सन्ध्या एवं देवयज्ञ अग्निहोत्र को स्थान दिया है। प्राचीन ग्रन्थ मनुस्मृति में द्विजों को पंचमहायज्ञों को करने की अनिवार्यता का उल्लेख मिलता है। देवयज्ञ अग्निहोत्र एक ऐसा नित्य-कर्म है जिसका प्रतिदिन किया जाना गृहस्थ मनुष्य का कर्तव्य […]
अटल तपस्वी सेमल॥
•••○•••○•••○••• प्रकृति की अग्रिम पंक्ति में शामिल होकर सेमल जैसे वृक्ष निश्चल स्वभाविक सहज भाव से बसंत उत्सव में ही निहित होलिकात्सव मनाते हैं। सेमल व पलास जैसे वृक्ष सर्दी के सीजन की अंतिम ऋतु शिशिर के गुजरते ही बसंती उत्सव मनाने लगते हैं लाल लाल बडे फूलों से सज जाते हैं। सेमल का वृक्ष […]
ओ३म् ========= हम लगभग सत्तर वर्ष पूर्व जन्में हैं। कुछ वर्ष बाद हमें संसार से चले जाना हैं। हम कहां से आये हैं और मृत्यु के बाद कहां जायेंगे, हमें इसका ठीक-ठीक ज्ञान नहीं है। वेदादि शास्त्र पढ़ने के बाद हमें यह ज्ञान होता है कि संसार में ईश्वर, जीव तथा प्रकृति का अनादि व […]
ओ३म् ========== वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून में पांच दिनों से चल रहा गायत्री एवं चतुर्वेद शतकीय महायज्ञ आज दिनांक 13-3-2022 को सोल्लास सम्पन्न हुआ। यज्ञ की पूर्णाहुति के अवसर पर स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती, पं. सूरतराम शर्मा, वैदिक विद्वान डा. वीरपाल जी, प्राकृतिक चिकित्सक स्वामी योगेश्वरानन्द सरस्वती, महाशय पं. रुवेल सिह आर्य, आश्रम के प्रधान […]
ओ३म् ========= अथर्ववेद भाष्यकार पं. क्षेमकरण दास त्रिवेदी जी से समस्त आर्यजगत परिचित है। उनका वेदभाष्य विगत एक शताब्दी से वैदिक धर्मियों द्वारा श्रद्धा से पढ़ा जा रहा है। पं. क्षेमकरण दास त्रिवेदी ऐसे विद्वान हैं जो ऋषि दयानन्द के समकालीन रहे और जिन्होंने आर्य विद्वान पं. जयदेव शर्मा, पं. विश्वनाथ वेदोपाध्याय विद्यामार्तण्ड तथा पं. […]
“पाँच हजार साल से सोने वालों जागो”
बिजनौर जनपद में साधारण से दिखने वाले निहाल सिंह सरकारी चौकीदार थे। आपकी अनेक स्थानों पर बदली होती रहती थी। एक बार एक बड़े कस्बे में आपका तबादला हुआ। रात को पहरा देते हुए आप कहते थे “पाँच हजार साल से सोने वालों जागो”। आपकी आवाज सुनकर लोग आश्चर्य में पड़ गए क्योंकि उन्हें जागते […]
ओ३म् ========== वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून देश की आर्यसमाजों की योग साधना एवं वैदिक धर्म प्रचार की एक प्रमुख संस्था है। कोरोना काल में भी यहां नियमों का पालन करते हुए अर्धवार्षिक उत्सव एवं अन्य यज्ञ आदि के आयोजन होते रहे हैं। स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती, पंडित सूरतराम शर्मा, श्री प्रेमप्रकाश शर्मा, श्री विजय कुमार […]
. एक सुन्दर कथा एक राजा था। वह बहुत न्याय प्रिय तथा प्रजा वत्सल एवं धार्मिक स्वभाव का था। वह नित्य अपने ठाकुर जी की बडी श्रद्धा से पूजा-पाठ और याद करता था। एक दिन ठाकुर जी ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिये तथा कहा — “राजन् मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हैं। बोलो तुम्हारी कोई […]