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आज का चिंतन

07 सितंबर गणेश चतुर्थी पर्व पर विशेष-   सभी विघ्नों के हर्ता भगवान श्री गणेश

          – सुरेश सिंह बैस शाश्वत  एवी के न्यूज सर्विस   सभी देवताओं में प्रथम पूजे जाने का अधिकार विघ्नाशक श्री गणेश के पास है। शंकर पार्वती के कनिष्ठ पुत्र जिनका सर गज का है। इसीलिये इन्हें गजानन भी कहा जाता है। एक बार क्रोध में आकर पिता शंकर ने श्री गणेश का सर ही […]

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ओ३म् “वैदिक धर्म दुःखों से रक्षार्थ सत्य को ग्रहण करने की प्रेरणा करता है”

=========== मनुष्य का जो ज्ञान होता है वह सत्य व असत्य दो कोटि का होता है। मनुष्य के कर्म भी दो कोटि यथा सत्य व असत्य स्वरूप वाले हाते हैं। अनेक स्थितियों में मनुष्य को सत्य को अपनाने से क्षणिक व सामयिक हानि होती दीखती है और असत्य का आचरण करने से लाभ होता दीखता […]

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*गृहस्थ की भक्ति*

नारद जी बात-बात पर नारायण-नारायण कहा करते और इस प्रकार दिन में कई बार भगवान का नाम लेते थे। एक दिन उनके मन में यह विचार आया कि वह बहुत बार भगवान का नाम लेते हैं। अतः वही भगवान के सबसे बड़े भक्त हैं। यह सोचकर नारद जी विष्णु भगवान के पास पहुंचे और पूछा, […]

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*ओ३म् खं ब्रह्म: का भावार्थ*

डॉ डी के गर्ग अक्सर कुछ संप्रदाय के साधु ,तांत्रिक आदि कान में एक मंत्र फूकते है और एससी मुसीबत की स्थिति में `ओ३म् खं ब्रह्म: ‘ शब्द का का जोर जोर से जाप करने की सलाह देते है। मंत्र क्या है ? ओ३म् खं ब्रह्म ।। ( यजुर्वेद ४०/१७ ) ये यजुर्वेद से लिया […]

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धर्म का मूल स्वरूप और उसका सिद्धांत

|| आज धर्म के मूल सिद्धांत को देखते है || धर्म की व्यापकता के आधार पर इसके मूल सिद्धांतों का जानना बहुत जरूरी है, वरना हमारे मानव जीवन का उद्देश्य ही विफल हो जायेगा, हम धरती पर मात्र बोझ बनकर ही रह जायेंगे | मानव जीवन को सफल बनाने के लिए एक मात्र रास्ता है […]

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वेद, वेदांग, उपांग, शाखाएं, उपनिषद ,स्मृतियां क्या है?

वैदिक वांग्मय किसे कहते हैं? वैदिक वांग्मय क्या है? वेद, वेदांग, उपांग, शाखाएं, उपनिषद ,स्मृतियां क्या है? सर्वप्रथम वैदिक वांग्मय को स्पष्ट करने से पूर्व वैदिक इतिहास को समझना आवश्यक है। वैदिक ग्रंथों को समझना आवश्यक है। वैदिक वांग्मय में अगर कोई आधारभूत रचना है तो वो चार वेद हैं । चार वेद कौन-कौन से […]

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आज का चिंतन विशेष संपादकीय

‘हिरण्यगर्भ:’ और महा विस्फोट का सिद्धांत

ईश्वर के विषय में यह माना जाता है कि वह सृष्टि के अणु-अणु में विद्यमान है और घट-घट वासी है। उसकी दृष्टि से कोई बच नहीं सकता। अत: वह मनुष्य के प्रत्येक विचार का और प्रत्येक कार्य का स्वयं साक्षी है। जिससे उसकी न्यायव्यवस्था से कोई बच नहीं पाएगा। घट-घट वासी होने से ईश्वर हमारे […]

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परमात्मा जल चक्र को किस उद्देश्य से संचालित करते हैं?

परमात्मा हमारे लिए क्या करते हैं? सूर्य तथा उसकी किरणें हमारे जीवन से अज्ञानता को दूर रखने के लिए किस प्रकार उपयुक्त है? परमात्मा जल चक्र को किस उद्देश्य से संचालित करते हैं? गृणानो अङ्गिरोभिर्दस्म वि वरुषसा सूर्येण गोभिरन्धः।वि भूम्या अप्रथय इन्द्र सानु दिवो रज उपरमस्तभायः ।। ऋग्वेद मन्त्र 1.62.5 (कुल मन्त्र 715) (गृणानः) परमात्मा […]

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आज का चिंतन

परमात्मा का सबसे अधिक प्रशंसनीय और सुन्दर कार्य कौन है?

परमात्मा का सबसे अधिक प्रशंसनीय और सुन्दर कार्य कौन है? सभी जीवों के लिए जल चक्र किस प्रकार महत्त्वपूर्ण है? तदु प्रयक्षतममस्य कर्म दस्मस्य चारुतममस्ति दंसः।उपह््वरे यदुपरा अपिन्वन्मध्वर्णसो नद्य1श्चतस्त्रः।। ऋग्वेद मन्त्र 1.62.6 (कुल मन्त्र 716) (तत् उ) केवल वह ही (प्रयक्षतमम्) सर्वाधिक स्तुति हेतु (अस्य) उसका (कर्म) कार्य (दस्मस्य) जो समस्त दुर्गुणों और दुःखों का […]

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ओ३म् “आत्मा का जन्म, मृत्यु एवं पुनर्जन्म का सिद्धान्त सत्य सिद्धान्त है”

=========== मनुष्य एक चेतन प्राणी है। चेतन प्राणी होने से प्रत्येक मनुष्य व इतर प्राणियों के शरीर में एक जैसी आत्मा का वास होता है। यह आत्मा अनादि, नित्य, अविनाशी, अजर व अमर सत्ता है। इसका आकार अत्यन्त सूक्ष्म एवं आंखों से न देखे जा सकने योग्य होता है। आत्मा से भी सूक्ष्म परमात्मा वा […]

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