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आज का चिंतन

मानव के जीवन में आशीर्वाद का महत्त्व*

===================== – विकास आर्य भारतवर्ष में प्राय: माता-पिता, गुरुओं, अपने से बड़ों, विद्वानों आदि से आशीर्वाद लेने की प्रथा है। मनुष्य प्रकृति में भी यह भावना है। जिसे वह श्रद्धेय पूज्य मानता है, जिसे अपने से ज्यादा ज्ञानवान मानता है, धार्मिक जानता है, उसके मुख से अपने लिए, अपनी सन्तान के लिये, अपने परिवार के […]

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*ओ३म् खं ब्रह्म: का भावार्थ*

डॉ डी के गर्ग अक्सर कुछ संप्रदाय के साधु ,तांत्रिक आदि कान में एक मंत्र फूकते है और एससी मुसीबत की स्थिति में `ओ३म् खं ब्रह्म: ‘ शब्द का का जोर जोर से जाप करने की सलाह देते है। मंत्र क्या है ? ओ३म् खं ब्रह्म ।। ( यजुर्वेद ४०/१७ ) ये यजुर्वेद से लिया […]

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ओ३म् “ईश्वर का अस्तित्व प्रमणों से सिद्ध है वह सबका रक्षक एवं पालनकर्ता है”

============ ऋषि दयानन्द के सत्यार्थप्रकाश के सातवें समुल्लास में वर्णित वचनों के आधार पर ईश्वर के अस्तित्व विषयक विचारों को हम इस लेख में प्रस्तुत कर रहें। ऐसे विचार संसार के किसी साहित्य में उपलब्ध नहीं होते। सभी मनुष्यों के जीवन में यह अत्यन्त लाभप्रद एवं ज्ञानवर्धक हैं। सब मनुष्यों को इन विचारों से लाभ […]

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*💐रिश्तों मे नफा नुक्सान💐*

विनोद हाईवे पर गाड़ी चला रहा था। सड़क के किनारे उसे एक 12-13 साल की लड़की तरबूज बेचती दिखाई दी। विनोद ने गाड़ी रोक कर पूछा “तरबूज की क्या रेट है बेटा? ” लड़की बोली ” 50 रुपये का एक तरबूज है साहब।” पीछे की सीट पर बैठी विनोद की पत्नी बोली ” इतना महंगा […]

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| काश मानव धर्म को समझते ||

ऋषि दयानंद जी ने अपने अमर ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश के अंत में, स्वमत्वव्या मन्तव्य प्रकाश प्रकरण में धर्म और अधर्म को समझाते हुए लिखते है :- “धर्मा धर्म” जो पक्षपात रहित, न्यायाचरण, सत्यभाषादियुक्त ईश्वराज्ञा, वेदों से अविरुद्ध है, उसको ‘धर्म’ और जो पक्षपात सहित अन्यायाचरण, मिथ्याभाषणादि ईश्वराज्ञा भंग वेद विरुद्ध है, उसको ‘अधर्म’ मानता हूँ| […]

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07 सितंबर गणेश चतुर्थी पर्व पर विशेष-   सभी विघ्नों के हर्ता भगवान श्री गणेश

          – सुरेश सिंह बैस शाश्वत  एवी के न्यूज सर्विस   सभी देवताओं में प्रथम पूजे जाने का अधिकार विघ्नाशक श्री गणेश के पास है। शंकर पार्वती के कनिष्ठ पुत्र जिनका सर गज का है। इसीलिये इन्हें गजानन भी कहा जाता है। एक बार क्रोध में आकर पिता शंकर ने श्री गणेश का सर ही […]

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ओ३म् “वैदिक धर्म दुःखों से रक्षार्थ सत्य को ग्रहण करने की प्रेरणा करता है”

=========== मनुष्य का जो ज्ञान होता है वह सत्य व असत्य दो कोटि का होता है। मनुष्य के कर्म भी दो कोटि यथा सत्य व असत्य स्वरूप वाले हाते हैं। अनेक स्थितियों में मनुष्य को सत्य को अपनाने से क्षणिक व सामयिक हानि होती दीखती है और असत्य का आचरण करने से लाभ होता दीखता […]

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*गृहस्थ की भक्ति*

नारद जी बात-बात पर नारायण-नारायण कहा करते और इस प्रकार दिन में कई बार भगवान का नाम लेते थे। एक दिन उनके मन में यह विचार आया कि वह बहुत बार भगवान का नाम लेते हैं। अतः वही भगवान के सबसे बड़े भक्त हैं। यह सोचकर नारद जी विष्णु भगवान के पास पहुंचे और पूछा, […]

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*ओ३म् खं ब्रह्म: का भावार्थ*

डॉ डी के गर्ग अक्सर कुछ संप्रदाय के साधु ,तांत्रिक आदि कान में एक मंत्र फूकते है और एससी मुसीबत की स्थिति में `ओ३म् खं ब्रह्म: ‘ शब्द का का जोर जोर से जाप करने की सलाह देते है। मंत्र क्या है ? ओ३म् खं ब्रह्म ।। ( यजुर्वेद ४०/१७ ) ये यजुर्वेद से लिया […]

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धर्म का मूल स्वरूप और उसका सिद्धांत

|| आज धर्म के मूल सिद्धांत को देखते है || धर्म की व्यापकता के आधार पर इसके मूल सिद्धांतों का जानना बहुत जरूरी है, वरना हमारे मानव जीवन का उद्देश्य ही विफल हो जायेगा, हम धरती पर मात्र बोझ बनकर ही रह जायेंगे | मानव जीवन को सफल बनाने के लिए एक मात्र रास्ता है […]

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