आचार्य डा. राधे श्याम द्विवेदी अल्पायु में पिता की छत्रछाया छिनी :- संवत् 965 में आचार्य नाथमुनि अवतरित हुए हैं। उनके पुत्र का नाम ईश्वरमुनि तथा पौत्र थे यामुनाचार्य। ये सभी वैष्णव संप्रदाय से जुड़े हुए थे। बालक यामुनाचार्य विक्रमी संवत् 1010 को दक्षिणात्य आषाढ़ माह के उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में काट्टुमन्नार् कोविल, वीर नरायणपुराम , […]
Category: आज का चिंतन
क्या हम मनुष्य हैं?
मनमोहन कुमार आर्य हम मनुष्य कहलाते हैं परन्तु क्या हम वात्सव में मनुष्य हैं? हम मनुष्य क्यों कहलाते हैं? इस प्रश्न का उत्तर है कि हमारे पास मन व बुद्धि है जिससे हम विचार कर किसी वस्तु या पदार्थ आदि के सत्य व असत्य होने का निर्णय करते हैं। यदि मनुष्य किसी बात को मानता […]
जीवों पर दया
जीवों पर दया श्री टी.एन. शेषन जब मुख्य चुनाव आयुक्त थे, तो परिवार के साथ छुट्टियां बिताने के लिए मसूरी जा रहे थे। परिवार के साथ उत्तर प्रदेश से निकलते हुऐ रास्ते में उन्होंने देखा कि पेड़ों पर गौरैया के कई सुन्दर घोंसले बने हुए हैं। यह देखते ही उनकी पत्नी ने अपने घर की […]
!!ओ३म् !! ईश्वर सभी सांस्कारिक संबंधों से भिन्न और विशिष्ट है । ईश्वर को समझने-समझाने के लिए उसकी तुलना माता से किया जाता है क्योंकि जैसे गर्भ में माता के प्राणमय कोश से शिशु के प्राणमय कोश का पालन होता , माता के अन्नमय कोश से शरीर बढ़ता वैसे ही जगदीश्वर पालन करने हारे प्राण […]
गुजरात के विधानसभा चुनाव का एक मुख्य मुद्दा अमीरी गरीबी के बढ़ते फासले एवं गरीबों की दुर्दशा का होना चाहिए था, लेकिन दुर्भाग्य से यह मुद्दा कभी भी चुनावी मुद्दा नहीं बनता। अमीर अधिक अमीर हो रहे हैं और गरीब अधिक गरीब। गौतम अडाणी एवं मुकेश अंबानी के दिन दोगुने रात चौगुने फैलते साम्राज्य पर […]
मनुष्य को अपने पूर्वजन्म के शुभकर्मों के परिणामस्वरूप परमात्मा से यह श्रेष्ठ मानव शरीर मिला है। सब प्राणियों से मनुष्य का शरीर श्रेष्ठ होने पर भी यह प्रायः सारा जीवन दुःख व क्लेशों से घिरा रहता है। दूसरों लोगों को देख कर यह अपनी रुचि व सामथ्र्यानुसार विद्या प्राप्त कर धनोपार्जन एवं सुख-सुविधा की वस्तुओं […]
उमेश चतुर्वेदी उत्तर प्रदेश के बलिया में गुरु पूर्णिमा के दिन से विख्यात ददरी मेला लग चुका है। पशुओं में लंपी वायरस से हो रहे रोग की वजह से प्राचीन काल से जारी पशु मेला इस बार नहीं लगा। ऐसा व्यवधान कोरोना काल में भी लगा, जब मेला लगा ही नहीं। महर्षि भृगु के शिष्य […]
सपना सिंह दुनिया की आबादी आज के समय में 8 अरब हो चुकी है, और जिस तरह से जनसंख्या बढ़ रही है, उसे देखकर तो यही लगता है कि आने वाले समय में इसकी गणना करना भी मुश्किल होगा। लेकिन इसी में कुछ ऐसे देश भी हैं, जिनकी आबादी आप समझ लीजिए एकदम न के […]
वैदिक कर्मफल व्यवस्था
सुख दुख का कारण मनुष्य के कर्म (काम या कार्य) हैं, ग्रह नहीं। मनुष्य जैसा काम करता है वैसा ही फल पाता है। ऐसा काम जिससे किसी का भला हुआ हो उसके बादले में ईष्वर की व्यवस्था से सुख प्राप्त होता है और ऐसा काम जिससे किसी का बुरा हुआ हो उसके बदले में मनुष्य […]
वेद शिक्षा और उदात्त भावनाएँ
विश्व-कल्याण यो३स्मान् द्वेष्टि यं वयं द्विष्मस्तस्य त्वं प्राणेना प्यायस्व । आ वयं प्यासिषीमहि गोभिरश्वै: प्रजया पशुभिर्गृहैर्धनेन ।। (अथर्ववेद ७/८१/५) भावार्थ― हे परमात्मन् ! जो हमसे वैर-विरोध रखता है और जिससे हम शत्रुता रखते हैं तू उसे भी दीर्घायु प्रदान कर। वह भी फूले-फले और हम भी समृद्धिशाली बनें। हम सब गाय, बैल, घोड़ों, पुत्र, पौत्र, […]