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आज का चिंतन

विष्णु आख्यान* भाग – 3

Dr D K Garg कृपया अपने विचार व्यक्त करे और अन्य ग्रुप में फॉरवर्ड करें *विष्णु के चारभुजा से क्या तात्पर्य है?* विष्णू का वाहन गरुड़ का तात्पर्य? विष्णु उस राजा को भी कहते हैं जिस राजा के यहां चारभुज होते हैं।एक भुज में पदम, दूसरे में गदा ,तीसरे चक्र और चैथे में शंख होता […]

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बने विजेता वो सदा, ऐसा मुझे यकीन। आँखों में आकाश हो, पांवों तले जमीन।।

बने विजेता वो सदा, ऐसा मुझे यकीन। आँखों में आकाश हो, पांवों तले जमीन।। जीवन में सफल होने के लिए धैर्य रखना और अपने सपनों के लिए समर्पित रूप से कड़ी मेहनत करना महत्वपूर्ण है। जीवन में कुछ भी मुफ्त नहीं है, और इसलिए हमें जीवन में बड़ी चीजें हासिल करने के लिए अपने सभी […]

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भारतीय वैदिक चिंतन में मोक्ष की अवधारणा

मोक्ष ✍🏻 लेखक – स्वामी स्वतन्त्रानन्द जी मोक्ष-प्राप्ति का साधन ज्ञान है, कर्म है वा ज्ञान-कर्म उभय हैं। ज्ञान-कर्म उभय होने पर भी कर्म समुच्चय है वा सम समुच्चय है। इस विषय में महर्षि दयानन्द जी का क्या पक्ष है ? मोक्ष-प्राप्ति के पश्चात् जीव पुनः जन्म प्राप्त करता है वा नहीं, अर्थात् मोक्ष सान्त […]

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वैकुंठ धाम की मान्यता

डॉ डी0के0 गर्ग पौराणिक मान्यता : वैकुंठ धाम भगवान विष्णु का आवास है । भगवान विष्णु जिस लोक में निवास करते हैं उसे बैकुण्ठ कहा जाता है। जैसे कैलाश पर महादेव व ब्रह्मलोक में ब्रह्माजी बसते हैं। बैकुंठ धाम के कई नाम हैं – साकेत, गोलोक, परमधाम, परमस्थान, परमपद, परमव्योम, सनातन आकाश, शाश्वत-पद, ब्रह्मपुर। बहुत […]

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माँस मछरिया खात हैं सुरा पान से हेति

ऋषिराज नागर (एडवोकेट) भक्ति मार्ग पर चलने के लिए मनुष्य के लिए जरूरी है कि वह अपना शुद्ध चरित्र – आचरण नेक रखे, शराब या नशे का सेवन तथा मांस मछली अण्डे का प्रयोग अपने भोजन में ना करे, अपनी कमाई भी नेक रखे। संतकबीर साहिब – “माँस मछरिया खात हैं सुरा पान से हेति। […]

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मृत्यु के समय जीवात्मा की स्थिति व गतिः*-पार्ट-1

डॉ डी के गर्ग बाबा रामदेव ने इंडिया टीवी पर कहा की मृत्यु के बाद कुछ समय जीवात्मा उस परिवार के इर्द गिर्द घूमती रहती है। इस विषय पर मैंने वैदिक विद्वानों से वार्ता की और स्वाध्याय किया तो मालूम हुआ की बाबा रामदेव का कथन पूरी तरह से गलत है और सत्य सामने लाना […]

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वेद का संदेश : मानव की मानवता ही उसका आभूषण है

🌷मनुर्भव (मनुष्य बनो)🌷* वेद कहता है कि तू मनुष्य बन। जब कोई जैसा बन जाता है तो वैसा ही दूसरे को बना सकता है। जलता हुआ दीपक ही बुझे हुए दीपक को जला सकता है। बुझा हुआ दीपक भला बुझे हुए दीपक को क्या जलाएगा? मनुष्य का कर्त्तव्य है कि स्वयं मनुष्य बने और दूसरों […]

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प्रकृति की नब्ज बताती भारतीय कालगणना

लेखक – डॉ राम अचल (लेखक आयुर्वेद चिकित्सक तथा विश्व आयुर्वेद काँग्रेस के सदस्य हैं) नववर्ष कालगणना का वार्षिक शुभारम्भ होता है, पूरी दुनिया में 96 तरह की कालगणना प्रचलित है, केवल भारत में ही 36 प्रकार की कालगणना रही है, जिसमें 24 पद्धतियाँ अब विलुप्त हो चुकी है परन्तु 12 कालगणना विधियाँ आज भी […]

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ऊंची ऊंची डिग्रियां मुफ्त में नहीं मिलती

*”ऊंची ऊंची डिग्रियां मुफ्त में नहीं मिलती। जैसे कि C A, MBA, M Tech, MD, MS, आदि डिग्रियां। ऐसे ही वेदाचार्य, दर्शनाचार्य, योगाचार्य एवं किसी विषय में Phd की डिग्री आदि, ये छोटी डिग्रियां नहीं हैं, ये सब ऊंची डिग्रियां हैं। ये सब आसानी से नहीं मिलती हैं।” “इनको प्राप्त करने के लिए वर्षों तक […]

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आज का चिंतन हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ओ३म् “ऋषि दयानन्द क्या चाहते थे?”

======== ऋषि दयानन्द महाभारत के बाद विगत लगभग पांच हजार वर्षों में वेदों के मंत्रों के सत्य अर्थों को जानने वाले व उनके आर्ष व्याकरणानुसार सत्य, यथार्थ तथा व्यवहारिक अर्थ करने वाले ऋषि हुए हैं। महाभारत के बाद ऐसा कोई विद्वान नहीं हुआ है जिसने वेदों के सत्य, यथार्थ तथा महर्षि यास्क के निरुक्त ग्रन्थ […]

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