वेदाचार्य डॉ. रघुवीर वेदालंकार प्रात: काल के ४बजे थे कि अचानक ही सामने एक कौपीन धारी तेजोमूर्ति को सामने खड़े देखकर हतप्रभ रह गया। आँखें मसलकर देखा तो पाया कि महर्षि दयानंद हाथ में मोटा सोटा लिए खड़े हैं। डर तो लगा कि सोटे को पीठ की ओर न बढ़ादें, तथापि चरण -स्पर्श करके पूछ […]
Category: आज का चिंतन
संतो को संसार में, भेजता है करतार। जाओ सृष्टि संवार दो, करना तुम उपकार॥2225॥ सन्त तो झरने जान ज्ञान के, जहाँ प्रक्तै सुख दे। अज्ञान अभाव अन्याय को, देखत ही हर लें॥2226॥ संसार में कैसे रहो :- हृदय में सद्भाव रख, अपना हो संसार। दुर्गणों को त्याग दे, निज प्रतिबिम्ध बिहार॥2227॥ आनन्द की प्राप्ति कैसे […]
ब्रह्म कुमारी मत का सच भाग -१
डॉ डी के गर्ग मुसलमानो मेँ यदि कोई पैगम्बर बनने का दावा करे तो उसे तुरन्त छुरे से कत्ल कर दिया जायेगा। ईसाइयो मेँ भी कोई ईसा का अवतार नहीँ हो सकता। पर हमारे यहाँ जो चाहता है झट अवतार बनकर मोक्ष का ठेकेदार बन जाता है। आज हम एक ऐसे ही वेद विरोधी ‘ब्रह्मकुमारी‘ […]
1895 में हुई एक्स-रे की खोज ने चिकित्सा विज्ञान को पूरी तरह बदल कर रख दिया है। भौतिक विज्ञान चिकित्सा विज्ञान को मानो पंख लगा दिए…. एक्स-रे मानव सहित अन्य जीव-जंतुओं के शरीर के अंदर झांकने के लिए आज भी सबसे सस्ती सुलभ तकनीक….है चिकित्सकों के लिए तो यह दिव्य चक्षु ही है…. विज्ञान के […]
नवरात्रों में उपवास करने का महत्व
नवरात्रों या नौ इन्द्रियों पर नियंत्रण में उपवास और निराहार रहने का सत्य अर्थ क्या हैं?? प्राय: उपवास से सब यही निष्कर्ष निकालते हैं की भोजन ग्रहण न करना अथवा भुखा रहना। मगर क्या उपवास का अर्थ वाकई में निराहार रहना हैं? उपवास का अर्थ :- शतपथ ब्राह्मण १/१/१/७ के अनुसार “उपवास” का अर्थ गृहस्थ […]
स्वामी नारायण संप्रदाय का सच* भाग 3
डॉ डी के गर्ग स्वामी नारायण मत के बारे में विकिपीडिया पर लिखा हुआ है। यहाँ मैं स्वामी नारायण मत से जुड़ा ऋषि दयानन्द की पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश से कुछ अंश लिखता हूँ— (प्रश्न) स्वामीनारायण का मत कैसा है? (उत्तर) ‘यादृशी शीतला देवी तादृशो वाहनः खरः’ जैसी गुसाईं जी की धनहरणादि में विचित्र लीला है […]
==================== आचार्य श्री विष्णुगुप्त जब आप जीवन से सन्यांस लेते हैं, सन्याषी बनते हैं और सन्यांषी धर्म का पालन सत्यनिष्ठा के साथ करने लगते हैं तो फिर धीरे-धीरे आपके अंदर एक सन्याषी के गुण और विचार विकसित होने लगते हैं। किसी भी कसौटी को आप सत्यनिष्ठा के साथ जोड़कर देखने लगते हैं, अपने कर्म से […]
वर्तमान युग में आर्य समाज ,उसके द्वारा संचालित संस्थाओं एवं मंदिरों की दुर्दशा पर भी एक दृष्टिपात हमको कर लेना चाहिए। जिन जिन आर्य समाज मंदिरों के सामने जो दुकानें बनाई गई थीं उन सब पर नहीं तो अधिकतर पर विधर्मियों को दुकान आवंटित करके किराया लेने का कार्य आर्य समाज के पदाधिकारियों ने किया। […]
महर्षि दयानन्द की हितकारी शिक्षाएं
मनुष्यों को चाहिए कि जितना अपना जीवन शरीर, प्राण, अन्तःकरण, दशों इन्द्रियाँ और सब से उत्तम सामग्री हो उसको यज्ञ के लिये समर्पित करें जिससे पापरहित कृत्यकृत्य होके परमात्मा को प्राप्त (योग से) होकर इस जन्म और द्वितीय जन्म में सुख को प्राप्त हों। -महर्षि दयानन्द (यजु० 22/33) जैसे प्रत्येक ब्रह्माण्ड में सूर्य प्रकाशमान है, […]
आर्य सागर खारी आज की कक्षा का आरंभ करते हुए पूज्य स्वामी विष्वड् परिव्राजक जी आर्य वन रोजड गुजरात ने कहा — शास्त्रों का पढ़ना अध्ययन का एक स्वरूप है। शास्त्र का अर्थ विद्या पुस्तकें है विद्या चाहें भौतिक हो या आध्यात्मिक। विद्या वह होती है जो दुखों को दूर करती है। सा विद्या या […]