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आज का चिंतन

श्री कृष्ण १६ कलाओ से युक्त -विशेष अध्ययन*

* डॉ डी के गर्ग भाग-१ पौराणिक मान्यता :श्रीकृष्ण जी के 16 कलाओं से युक्त थे। श्रीकृष्ण जी में ही ये सारी खूबियां समाविष्ट थी। कृष्ण की ये वो 16 कलायें हैं, जो हर किसी व्यक्ति में कम या ज्यादा होती हैं।ये कलाये है-1.अन्नमया, 2.प्राणमया, 3.मनोमया, 4.विज्ञानमया, 5.आनंदमया, 6.अतिशयिनी, 7.विपरिनाभिमी, 8.संक्रमिनी, 9.प्रभवि, 10.कुंथिनी, 11.विकासिनी, 12.मर्यदिनी, […]

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*अक्षय तृतीया पर्व*

डॉ डी के गर्ग “भारतीय पर्व एवं परम्पराये ” से साभार अक्षय तृतीया का पर्व वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। प्रचलित कथा: यह कथा इस प्रकार है कि एक धर्मदास नाम के व्यक्ति ने अक्षय तृतीया का व्रत किया। इसके बाद ब्राह्मण को दान में पंखा, जौ, नमक, […]

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शिव का तांडव*

* Dr DK Garg पौराणिक मान्यता : महादेव को जब क्रोध आता है, तो वे तांडव नृत्य करते है, तांडव नृत्य जब महादेव करते हैं, उस समय उनकी आंखें क्रोध से लाल, हो जाती है, पूरा ब्रह्मांड कांपने लगता है, उस समय किसी की क्या मजाल जो उनके सामने आ सके। अन्य मान्यता के अनुसार […]

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गंंगा शिव की पुत्री*

Dr DK Garg पौराणिकमान्यताये :एक मान्यता के अनुसार ब्रह्मा जी के कमंडल का जल गंगा नामक युवती के रूप में प्रकट हुआ था। एक अन्य (वैष्णव) कथा के अनुसार ब्रह्माजी ने विष्णुजी के चरणों को आदर सहित धोया और उस जल को अपने कमंडल में एकत्र कर लिया। एक तीसरी मान्यता के अनुसार गंगा पर्वतों […]

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शिव – पार्वती विवाह*

* डॉ डी के गर्ग प्रचलित पौराणिक कथा : भगवान शिव को पाने के लिए देवी पार्वती ने कठिन तपस्या की। भोलेनाथ ने कहा कि वे किसी राजकुमार से शादी करें क्योंकि एक तपस्वी के साथ रहना आसान नहीं है। पार्वती की हठ के आगे अंतत: शिव पिघल गए और दोनों का विवाह हुआ। मान्यताओं […]

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भस्मासुर कथा*

* Dr D K Garg काल्पनिक कथा : एक समय महाराजा भस्मासुर को इच्छा जागृत हुई कि मैं तपस्वी होऊं ।कुछ काल पश्चात उन्हें देव ऋषि नारद के दर्शन हुए ,तो नारद ने कहा अवश्य तपस्वी बनो। वह शिव की तपस्या करने लगे तो शिव आ पहुंचे। शिव ने कहा कि भस्मासुर क्या चाहते हो? […]

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ओ३म् “वेद एवं सत्यार्थप्रकाश”

========= वेद सृष्टि के आद्य अर्थात् सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं। शास्त्रीय परम्परा में वेदों को ईश्वर का नित्य ज्ञान कहा गया है जिसमें न कभी, पूरी सृष्टि अवधि में, कमी होती है न वृद्धि होती हैं क्योंकि वह अन्तिम एवं पूर्ण हैं। वेदों का अध्ययन कर जब परीक्षा करते हैं तो वेद वस्तुतः सृष्टिकर्ता ईश्वर […]

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गंगा का शिव की जटा से निकलना*

* डॉ डी के गर्ग इस विषय में अनेको पौराणिक कथाये सुनने को मिलती है इसलिए कुछ ही कथाओ को हम यहाँ लिख रहे है : एक पौराणिक कथा के अनुसार गंगा शिव की जटाओ से निकली है। इन कथाओ के अनुसार गंगा नदी के तेज जल प्रवाह की वजह से उनका धरती पर सीधे […]

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आज का चिंतन हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ईमानदारी की मिसाल -आर्यसमाज

यह घटना सन् 1947 में भारत के विभाजन से पूर्व की है। आर्यसमाज के विद्वान एवं शास्त्रार्थ महारथी पं. लोकनाथ तर्कवाचस्पति एक गांव में प्रचारार्थ आये थे। वहां बिजली नहीं थी। पानी के लिए कुएं पर जाना होता था वा रहट चलते थे। उपदेश्क भी प्रातः निकल जाते थे। पंडित जी एक दिन रहट पर […]

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भारत की सनातन परंपरा में विवाह का महत्व

भारतवर्ष में विवाह मनुष्य को पशु से ऊपर उठाकर मनुष्यत्व से युक्त करने की एक विधा है। विवाह संस्कार की प्रक्रियाओं को अगर हम देखें तो पाएंगे कि वैदिक विवाह संस्कार जैसा वैज्ञानिक और व्यवहारिक विधान विश्व के किसी भी मजहब, समुदाय तथा देश की विवाह प्रथा में नहीं हैं। उदाहरण के लिए सप्तपदी और […]

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