========== यज्ञ सर्वश्रेष्ठ कार्य वा कर्म को कहते हैं। आजकल यज्ञ शब्द अग्निहोत्र, हवन वा देवयज्ञ के लिए रूढ़ हो गया है। अतः पहले अग्निहोत्र वा देवयज्ञ पर विचार करते हैं। अग्निहोत्र में प्रयुक्त अग्नि शब्द सर्वज्ञात है। होत्र वह प्रक्रिया है जिसमंत अग्नि में आहुत किये जाने वाले चार प्रकार के द्रव्यों की आहुतियां […]
Category: आज का चिंतन
========= आर्यसमाज धामावाला-देहरादून के आज दिनांक 6-8-2023 को रविवारीय सत्संग में यज्ञ, भजन एवं वैदिक विद्वान डा. सत्यदेव निगमालंकार जी का व्याख्यान हुआ। यज्ञ आर्यसमाज के विद्वान पुरोहित पं. विद्यापति शास्त्री जी के पौरोहित्य में सम्पन्न हुआ। यज्ञ के बाद स्वामी श्रद्धानन्द बाल वनिता आश्रम के एक बालक ने कविता पाठ किया। एक कन्या का […]
भगवान् विष्णु के 24 अवतार का रहस्य*
* डॉ डी के गर्ग पौराणिक मान्यता : उनके 24 अवतार अब तक पृथ्वी पर अवतरित हो चुके हैं। इन 24 अवतार में से 10 अवतार विष्णु जी के मुख्य अवतार माने जाते हैं। यह है मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार, नृसिंह अवतार, वामन अवतार, परशुराम अवतार, राम अवतार. कृष्ण अवतार, बुद्ध अवतार, कल्कि […]
भगवान् विष्णु के 24 अवतार का रहस्य*
* डॉ डी के गर्ग पौराणिक मान्यता : उनके 24 अवतार अब तक पृथ्वी पर अवतरित हो चुके हैं। इन 24 अवतार में से 10 अवतार विष्णु जी के मुख्य अवतार माने जाते हैं। यह है मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार, नृसिंह अवतार, वामन अवतार, परशुराम अवतार, राम अवतार. कृष्ण अवतार, बुद्ध अवतार, कल्कि […]
महर्षि दयानन्द की पाँच परीक्षाएँ।*
– आचार्य राहुलदेवः महर्षि दयानन्द सन् १८५५ ई. में विद्या ग्रहण की उत्कण्ठा से मूर्धन्य सन्यासी, वीतराग शिरोमणि, स्वनाम धन्य स्वामी पूर्णानन्द से मिले थे। स्वामी पूर्णानन्द ने कहा कि इस समय हम अति वृद्ध होने से तुम्हें पढ़ाने में असमर्थ हैं और हमने मौन धारण कर लिया है। किन्तु मेरा शिष्य दण्डी विरजानन्द जो […]
* Dr D K Garg भाग-१ PLZ share हिन्दू धर्म की अधिकांश मान्यताएं,कथाएं शाप और वरदान से भरी हुई है। महाभारत ,रामायण और किसी भी अन्य देवता जैसे गंगा ,यमुना ,शिव ,गणेश,ब्रह्म ,विष्णु ऐसे हजारों कथानक पौराणिक ग्रंथों में और पुराणों में भरे पड़ें है की किसी ऋषि ने क्रोध में आकर श्राप दिया उसको […]
========== यज्ञ सर्वश्रेष्ठ कार्य वा कर्म को कहते हैं। आजकल यज्ञ शब्द अग्निहोत्र, हवन वा देवयज्ञ के लिए रूढ़ हो गया है। अतः पहले अग्निहोत्र वा देवयज्ञ पर विचार करते हैं। अग्निहोत्र में प्रयुक्त अग्नि शब्द सर्वज्ञात है। होत्र वह प्रक्रिया है जिसमंत अग्नि में आहुत किये जाने वाले चार प्रकार के द्रव्यों की आहुतियां […]
स्वामी सत्यपति जी का उपदेश*।
* प्रस्तुतकर्ता आर्य सागर खारी 🖋️ साभार बृहती ब्रह्ममेधा ग्रंथ प्रथम भाग। उपासना के प्रारंभ में योगाभ्यास करने वाला व्यक्ति ईश्वर के स्वरूप का चिंतन, वर्णन शब्द प्रमाण से करने का प्रयत्न करता है। साधक यह विचार करता है कि मैं जिस ईश्वर को प्राप्त करना चाहता हूं वह कैसा है? पुनः ईश्वर के स्वरुप […]
* Dr D K Garg भाग-2 श्राप के बाद इसके उलट वरदान पर बात करते है ।इस विषय में मुख्य प्रश्न है की वरदान किसे कहते है और क्या वरदान वास्तव में फलीभूत होते है ? पौराणिक साहित्य में उपलब्ध वरदान की कुछ बानगी देखो : १ भगवान शंकर द्वारा भस्मासुर की तपस्या से खुश […]
आर्य समाज इन पुराणों को मानता है :-*
* चारों वेदों के चार व्याख्या ग्रंथ, जिनको ब्राह्मणग्रंथ कहते हैं (१) ऐतरेय (२) तैत्तरीय (३) शतपथ (४) गोपथ | इन ब्राह्मणग्रंथों को इतिहास, कल्प, गाथा, नाराशंसी, पुराण के नाम से भी पुकारा जाता है | ये ग्रंथ ऋषियों के प्रमाणिक इतिहास को बताते हैं और वेदों का तात्पर्य सटीक ढंग से समझाते हैं | […]