प्रायः प्रतिदिन ऐसे समाचार ऑडियो वीडियो आपने व्हाट्सएप या फेसबुक आदि सोशल मीडिया पर देखे होंगे, सुने होंगे, पढ़े होंगे, जिनमें लिखा रहता है, कि *”इस मैसेज को, इस वीडियो को अधिक से अधिक फॉरवर्ड करें। इसको इतना शेयर करें, कि इन लूटपाट की घटनाओं गौओं की तस्करी स्त्रियों और बच्चों पर अत्याचार आदि का […]
Category: आज का चिंतन
वेदों में ही मिलता है समानता का उपदेश
समानी प्रपा सहवोऽन्भागः समाने योषत्रे सहवो युनाज्मि। सम्यंचोऽग्नि सपर्य्यतारा नाभिमिवा भितः। अथर्व 3।30।6 ईश्वर वेद में आदेश देता है- तुम्हारा पीने के पदार्थ (जल दूध आदि) एक समान हो, अन्न भोजन आदि समान हो, मैं तुम्हें एक साथ एक ही (कर्त्तव्य) के बन्धन में जोड़ता हूँ। जिस प्रकार पहिये की अक्ष में आरे (Spokes) जुड़े […]
आज के वातावरण में जब गंभीरता से देखते हैं, तो ऐसा लगता है, लगभग पूरी दुनिया नास्तिक हो चुकी है। *”संभवत: कुछ ही गिने चुने लोग ऐसे बचे होंगे, जो ईश्वर को ठीक प्रकार से समझते हैं। उसको सदा अपने अंदर बाहर चारों ओर उपस्थित स्वीकार करते हैं। उसके न्याय को, उसकी दंड व्यवस्था को […]
एक मरुत किस प्रकार जीवन जीता है और प्रगति करता है? सिंहा इव नानदति प्रचेतसः पिशा इव सुपिशो विश्ववेदसः। क्षपो जिन्वन्तः पृृषतीभिर्ऋष्टिभिः समित्सबाधः शवसाहिमन्यवः।। ऋग्वेद मन्त्र 1.64.8 (कुल मन्त्र 740) (सिंहा इव) शेरों की तरह (नानदति) गर्जना करते हैं और दावा करते हैं (प्रचेतसः) ज्ञान में प्रकाशित, प्रकृति की प्रकृति को जानने वाले (पिशाः इव) […]
वायु की क्या शक्तियाँ और लक्षण हैं?
उन लोगों के क्या लक्षण होते हैं जो वायु पर पूरा अधिकार स्थापित कर लेते हैं? आध्यात्मिक प्रगति और भौतिक संसार में वायु का क्या उपयोग है? महिषासो मायिनश्चित्रभानवो गिरयो न स्वतवसो रघुष्यदः। मृृगाइव हस्तिनः खादथा वना यदारुणीषु तविषीरयुग्ध्वम्् ।। ऋग्वेद मन्त्र 1.64.7 (कुल मन्त्र 739) (महिषासः) माहन्, व्यापक (मायिनः) ज्ञान धारण करने वाला (चित्रभानवः) […]
ईश्वर विषय🌷 प्रश्न : परमात्मा का मुख्य नाम क्या है? उत्तर : परमात्मा का मुख्य और निज नाम ओ३म् है। प्रश्न :ओ३म् नाम में कितने अक्षर हैं? उत्तर :ओ३म् नाम में तीन अक्षर अ,उ और म् है। प्रश्न :परमात्मा कहां रहता है? उत्तर :परमात्मा सर्वव्यापक है,कोई स्थान उससे रिक्त नहीं है। प्रश्न :परमात्मा कब से […]
वायु और विद्युत की आध्यात्मिक पथ पर क्या भूमिका है? सर्वोच्च चेतना तक पहुँचने में हमारे श्वास, हमारे मेरूदण्ड और ज्ञान के प्रकाश की क्या भूमिका है? ईशानकृृतो धुनयो रिशादसो वातान्विद्युतस्तविषीभिरक्रत। दुहन्त्यूधर्दिव्यानि धूतयो भूमिं पिन्वन्ति पयसा परिज्रयः ।। ऋग्वेद मन्त्र 1.64.5 (कुल मन्त्र 737) (ईशानकृृतः) सुख-सुविधाओं को उपलब्ध कराने वाले (धुनयः) कंपित करते हैं (रिशादसः) […]
डॉ डी के गर्ग निवेदन =अपने विचार बताये ,शेयर करे और अंधविस्वास से दूर रहने का संकल्प ले। पौराणिक मान्यता :–मंत्र साधना क्या है ?मंत्र से किसी देवी या देवता को साधा जाता है। मंत्र का अर्थ है मन को एक तंत्र में लाना। मन जब मंत्र के अधीन हो जाता है तब वह सिद्ध […]
ते जज्ञिरे दिव ऋष्वास उक्षणो रुद्रस्य मर्या असुरा अरेपसः। पावकासः शुचयः सूर्या इव सत्वानो न द्रप्सिनो घोरवर्पसः ।। ऋग्वेद मन्त्र 1.64.2 (कुल मन्त्र 734) (ते) वे (नोधाः) (जज्ञिरे) पैदा हुए और विकसित हुए (दिवः) दिव्य प्रकाशित (ऋष्वासः) देखने योग्य तथा ज्ञान प्राप्त करने योग्य जीवन (उक्षणः) सभी को प्रसन्नता देने वाला (रुद्रस्य मर्याः) रूद्र का […]
–इस अध्ययन Dr D K Garg एक मित्र ने बताया की जगन्नाथ पुरी मंदिर में प्रतिदिन सुबह मंदिर के दरवाजे खुलने पर, भगवान जगन्नाथ की मूर्ति को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। इस सम्मान में मंदिर के सुरक्षा गार्ड भगवान जगन्नाथ को सलामी देते हैं और उनकी मूर्ति के सामने खड़े होकर सम्मान करते […]