व्यक्ति अपने भविष्य को सुखमय बनाना चाहता है। ठीक है, बनाना चाहिए। यह अच्छी बात है। “परंतु मुफ्त में तो बनेगा नहीं। इसके लिए वेदानुकूल उत्तम कर्म करने पड़ेंगे।” “जब व्यक्ति इस बात को समझ कर वेदानुकूल कर्म करने आरंभ करता है, तो संसार के स्वार्थी मूर्ख और दुष्ट लोग उसके विरोधी हो जाते हैं। […]
Category: आज का चिंतन
धर्म की आवश्यकता क्यों?
एक दिन गंगा तीर पर एक साधु कमण्डलु आदि प्रक्षालन करके वस्त्र धोने में प्रवृत्त था । संयोग से भ्रमण करते हुए ऋषि वहीं जा पहुंचे । साधुजी ने कहा – आप इतने त्यागी, परमहंस होकर खण्डन मण्डनरूप प्रवृत्ति के जटिल जाल में क्यों उलझ रहे हो ? प्रजा प्रेम का बखेडा क्यों डालते हो […]
परमाणु वाले जड़ पदार्थों की पहचान
“परमाणु वाले जड़ पदार्थों की पहचान यह होती है, कि उनमें रूप रस गन्ध स्पर्श भार आदि गुण होते हैं। जैसे पृथ्वी जल अग्नि वायु आदि। ये सब परमाणु वाले जड़ पदार्थ हैं। इनमें रूप रस गन्ध स्पर्श भार आदि गुण होते हैं।” “चेतन पदार्थ की पहचान यह होती है, कि उसमें इच्छा ज्ञान आदि […]
“यदि आप अपने जीवन में सुख प्राप्त करना चाहते हैं, तो अपने मित्रों और शत्रुओं की पहचान करना सीखें।” “आपके मिलने जुलने वाले लोगों में से कौन आपका मित्र है, और कौन शत्रु है, यह पहचान करना बहुत आवश्यक है।” “मित्रों के साथ मिल जुलकर रहें, और शत्रुओं से बचकर रहें। उनसे अपनी सुरक्षा करें।” […]
एक प्रेरक कहानी : मालिक और मुर्गी
कभी अंडा-फार्म देखे हैं? अंडा फॉर्म का मालिक मुर्गी खरीद कर लाता है। उन्हें अनेक तरह के पौष्टिक और उत्तेजक आहार देता है, ताकि वे रोज अंडा दे सकें। दवाइयों के कारण अप्राकृतिक तरीके से मुर्गियां साल भर तक रोज अंडा देती हैं, जिससे मालिक का धंधा चलता है। मुर्गी को पता भी नहीं चलता […]
16 संस्कारों का संक्षिप्त परिचय
गर्भाधानम् संस्कार : – “गर्भस्याऽऽधानं वीर्यस्थापनं स्थिरीकरणं यस्मिन् येन वा कर्मणा, तद् गर्भाधानम् ।” गर्भ का धारण, अर्थात् वीर्य का स्थापन, गर्भाशय में स्थिर करना जिस संस्कार में होता है, इसी को गर्भाधान संस्कार कहते हैं । युवा स्त्री-पुरुष उत्तम् सन्तान की प्राप्ति के लिये विशेष तत्परता से प्रसन्नतापूर्वक गर्भाधान करे । २. पुंसवनम् संस्कार […]
वेदों में राष्ट्रवाद*
* मा नः स्तेन ईशतः | (यजुर्वेद १/१) भ्रष्ट व चोर लोग हम पर शासन न करें | वयं तुभ्यं बलिहृतः स्याम | (अथर्व० १२.१.६२) हम सब मातृभूमि के लिए बलिदान देने वाले हों । यतेमहि स्वराज्ये । (ऋ० ५.६६.६) हम स्वराज्य के लिए सदा यत्न करें । धन्वना सर्वाः प्रदिशो जयेम | (यजु० २९.३९) […]
9 . कर्णवेध संस्कार कर्णवेध संस्कार को आज की युवा पीढ़ी ने अपनाने से इंकार कर दिया है । स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात से इस संस्कार को अंग्रेजीपरस्त लोगों ने हमारे लिए अनुपयोगी सिद्ध करने का प्रयास किया । प्रचलित शिक्षा प्रणाली में हमारे भीतर कुछ इस प्रकार के अवगुण भरने का प्रयास किया […]
परमाणु वाले जड़ पदार्थों की पहचान
” यह होती है, कि उनमें रूप रस गन्ध स्पर्श भार आदि गुण होते हैं। जैसे पृथ्वी जल अग्नि वायु आदि। ये सब परमाणु वाले जड़ पदार्थ हैं। इनमें रूप रस गन्ध स्पर्श भार आदि गुण होते हैं।” “चेतन पदार्थ की पहचान यह होती है, कि उसमें इच्छा ज्ञान आदि गुण होते हैं। जैसे आत्मा।” […]
7 — अन्नप्राशन संस्कार जब बालक 6 माह का हो जाए तो उसे पहली बार अन्न ग्रहण कराया जाना चाहिए । शास्त्रों की व्यवस्था है कि इस अवसर पर भी यज्ञ करना चाहिए । जिससे पहली बार अन्न ग्रहण करने वाले बालक के हृदय और मस्तिष्क में यज्ञ की परोपकारी भावना विकसित हो। उसका एक […]