=============== पं. ओम्प्रकाश वर्मा जी आर्यसमाज के सुप्रसिद्ध भजनोपदेशक थे। विगत वर्ष उनका देहावसान हुआ है। उनकी धर्मपत्नी एवं परिवार के सदस्य हरयाणा के यमुनानगर में निवास करते हैं। वर्मा जी ने यमुनानगर के प्रसिद्ध विद्वान पं. इन्द्रजित् देव जी को अपने जीवन के कुछ महत्वपूर्ण संस्मरण सुनाये व लिखाये थे। उन संस्मरणों को लेखबद्ध […]
Category: आज का चिंतन
========== वैदिक धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म व मत है। वैदिक धर्म का प्रचलन वेदों से हुआ है। वेद सृष्टि के आरम्भ में अन्य सांसारिक पदार्थों की ही तरह ईश्वर से उत्पन्न हुए। परमात्मा सत्य, चित्त व आनन्द स्वरूप है। ईश्वर के इस स्वरूप को सच्चिदानन्दस्वरूप कहा जाता है। चेतन पदार्थ ज्ञान व क्रिया […]
गुरुमुखी व्यक्ति – इन्हें आन्तरिक अध्यात्मिक ज्ञान होता है ये संसार में सगुण रूप से गुरु को परमात्मा के रुप में मानकर अहंकार मुक्त होते हैं तथा खुद सेवक बनकर संसार के सही कल्याण के लिए ही जीते हैं और खुद को सेवक मानकर जीवन जीते हैं। जैसे – सन्त कबीर साहेब जी , सन्त […]
परीक्षा पाँच प्रकार से होती है | १) जो जो ईश्वर के गुण, कर्म, स्वभाव और वेदों से अनुकूल हो, वह सत्य और जो उससे विरुद्ध है, वह असत्य है | २) जो जो सृष्टिक्रम के अनुकूल है, वह सत्य है और जो सृष्टिक्रम से विरुद्ध है, वह सब असत्य है | जैसे कोई कहे […]
=========== हमारा यह संसार किससे बना और कौन इसे संचालित कर रहा है, इसका उत्तर खोजते हुए हम इसके कर्ता व पालक ईश्वर तक पहुंचते हैं। सौभाग्य से हमें सृष्टि के आदि में उत्पन्न व प्रचारित चार वेद आज भी अपने मूल स्वरूप तथा शुद्ध अर्थों सहित प्राप्त व विदित हैं। इन वेदों का अध्ययन […]
हर व्यक्ति अपने मन में स्वयं को बहुत बुद्धिमान मानता है। “परन्तु उसके व्यवहारों से ऐसा दिखता नहीं है, कि वह बहुत बुद्धिमान है।” क्योंकि “अधिकांश लोग सारा जीवन पशुओं की तरह दिन रात काम रहते हैं। धन कमाने के चक्कर में ही पड़े रहते हैं। प्रतिदिन 12-12 घंटे धंधा व्यापार करते हैं। खूब मेहनत […]
-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। वैदिक धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म व मत है। वैदिक धर्म का प्रचलन वेदों से हुआ है। वेद सृष्टि के आरम्भ में अन्य सांसारिक पदार्थों की ही तरह ईश्वर से उत्पन्न हुए। परमात्मा सत्य, चित्त व आनन्द स्वरूप है। ईश्वर के इस स्वरूप को सच्चिदानन्दस्वरूप कहा जाता है। चेतन पदार्थ […]
========== ईश्वर, जीव और प्रकृति तीन अनादि तत्व हैं। ईश्वर अजन्मा, कभी जन्म व मरण को प्राप्त न होने वाला, और जीव जन्म-मरण के बन्धनों में बंधा हुआ है। जीवात्मा के जन्म व मरण का कारण कर्मों का बन्धन है। जीव में इच्छा, राग, द्वेष, सुख व दुःख, इन्द्रियो व अन्तःकरण के अनेक प्रकार के […]
मन की प्रसन्नता से होता है तनाव कम
“यदि आप अपने मन में प्रसन्न रहेंगे, तो आपका मानसिक तनाव कम रहेगा, आपकी बुद्धि भी ठीक काम करेगी। आप अपनी समस्याएं अंदर ही अंदर सुलझा सकेंगे। आपके निर्णय अच्छे होंगे। आप अपने जीवन में सुख सफलता को प्राप्त करेंगे। इसका प्रभाव आपके चेहरे पर पड़ेगा। आप के चेहरे पर भी मुस्कान आ जाएगी।” यदि […]
आज का विचार स पर्यगाच्छुमकायमव्रणमस्नाविरम शुद्धमपापविद्धम । कविर्मनीषी परिभु: स्वयंभूर्याथातभ्यतोS र्थानव्यदधाच्छा श्वतीभ्य: समाभ्य:।। यजु0 ४०/८।। अर्थात—- हे मनुष्यो ! वह परमात्मा सारे संसार में सब ओर से व्याप्त है, महान वीर्यशाली सर्वशक्तिमान, स्थूल शूक्ष्म और कारण शरीर से रहित, अखण्ड, अद्वित्तीय, फोड़ा फुंसी और नस नाड़ी आदि के बन्धन से रहित है। अविद्या आदि दोषों […]