Categories
आज का चिंतन

क्या आप हवन (अग्निहोत्र) करते हैं और उसमें हवनसामग्री इस्तेमाल करते हैं?

यदि इसका जवाब हां है तो आपको एक बात बहुत ध्यान से देखने की आवश्यकता है कि क्या आप के द्वारा इस्तेमाल होने वाली हवन सामग्री में सुगंधित पदार्थ डालकर ही तो उसे नहीं बनाया जा रहा है? क्योंकि हम में से अधिकतर लोगों को केवल हवन सामग्री का मतलब उसकी सुगंध से ही होता […]

Categories
आज का चिंतन

मानव शरीर में ही आध्यात्मिक उन्नति संभव है

आत्‍माराम यादव पीव महाकवि कालिदासकृत के द्वारा रचित ’’कुमारसंभव’’ के पॉचवे सर्ग में भगवान शंकर की प्राप्ति के लिये पार्वती जी हिमालय पर तप कर रही है, तब शंकर जी उनके निश्चय की परीक्षा करने के लिये एक ब्रम्हचारी के वेश में आकर कुशल क्षेम पूछने के बाद कहते है-’’अपि क्रियार्थ सुलभं समित्कुशं जलान्यपि स्नानविधिक्षमाणि […]

Categories
आज का चिंतन

समुद्र मंथन से प्राप्त चौदह रत्नों का रहस्य

यह वह समय था जबकि देवता लोग धरती पर रहते थे। धरती पर वे हिमालय के उत्तर में रहते थे। काम था धरती का निर्माण करना। धरती को रहने लायक बनाना और धरती पर मानव सहित अन्य आबादी का विस्तार करना। देवताओं के साथ उनके ही भाई बंधु दैत्य भी रहते थे। तब यह धरती […]

Categories
आज का चिंतन

वेदों में भगवान की भक्ति

यहाँ पर प्रश्न उत्पन्न होता है कि हम परमात्मा की भक्ति क्यों करें? ईश्वरभक्ति की हमें क्या आवश्यकता है? हम जड पदार्थों अथवा अल्प मनुष्यों की भक्ति क्यों न करें? ईश्वर की भक्ति से हमें क्या लाभ हो सकता है? यह प्रश्न वास्तव में बड़ा गम्भीर तथा विचारणीय है। शास्त्र कहते हैं, कि जो जिसकी […]

Categories
आज का चिंतन

मूल कर्त्तव्य और वेद का राष्ट्र संगठन

वेद मानवजाति के लिए सृष्टि के आदि में ईश्वरप्रदत्त ‘संविधान’ हैं। अतः ऐसा नहीं हो सकता कि हमारा आज का मानव कृत संविधान तो नागरिकों के मूल कर्त्तव्यों का निरूपण करे और वेद इस विषय पर चुप रहे। वेदों में मानव और मानव समाज के आचार विचार और लोक व्यवहार से सम्बन्धित ऋचाऐं अनेक हैं। […]

Categories
आज का चिंतन

नववर्ष के उपलक्ष्य में इतना आत्मचिन्तन अवश्य करें :-

काश! आदमी का आविर्भाव और अवसान सूर्य जैसा हो – लाली के संग रवी उगै, करे स्वर्णिम प्रभात। अस्तांचल को जब चले, तब भी लाली साथ ॥2806॥ तत्वार्थ :- भाव यह है कि कितना अच्छा हो मनुष्य का जीवन भी सूर्य जैसा हो समस्त ब्रह्माण्ड का केन्द्र बिन्दु ब्रह्म हैं ठीक इसी प्रकार सौरमण्डल का […]

Categories
आज का चिंतन हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ओ३म् “पिछले पांच हजार वर्षों में दयानन्द के समान ऋषि नहीं हुआ”

========= महाभारत का युद्ध पांच हजार वर्ष से कुछ वर्ष पहले हुआ था। महाभारत युद्ध के बाद भारत ज्ञान-विज्ञान सहित देश की अखण्डता व स्थिरता की दृष्टि से पतन को प्राप्त होता रहा। महाभारत काल के कुछ ही समय बाद ऋषि जैमिनी पर आकर देश से ऋषि परम्परा समाप्त हो गई थी। ऋषि परम्परा का […]

Categories
आज का चिंतन

ओ३म् “ईश्वर और वेद का परस्पर सम्बन्ध और वेदज्ञान की महत्ता”

======== ईश्वर और वेद शब्दों का प्रयोग तो आर्यसमाज के विद्वानों व सदस्यों को करते व देखते हैं परन्तु इतर सभी मनुष्यों को चार वेदों और ईश्वर का परस्पर क्या संबंध है, इसका यथोचित ज्ञान नहीं है। इस ज्ञान के न होने से हम वेदों की महत्ता को यथार्थरूप में नहीं जान पाते। वेद अन्य […]

Categories
आज का चिंतन

ओ३म् “ईश्वर और वेद का परस्पर सम्बन्ध और वेदज्ञान की महत्ता”

======== ईश्वर और वेद शब्दों का प्रयोग तो आर्यसमाज के विद्वानों व सदस्यों को करते व देखते हैं परन्तु इतर सभी मनुष्यों को चार वेदों और ईश्वर का परस्पर क्या संबंध है, इसका यथोचित ज्ञान नहीं है। इस ज्ञान के न होने से हम वेदों की महत्ता को यथार्थरूप में नहीं जान पाते। वेद अन्य […]

Categories
आज का चिंतन

व्यक्ति गुण और अवगुण दोनों का सम्मिश्रण होता है

“प्रत्येक व्यक्ति में कुछ गुण भी होते हैं और कुछ दोष भी। गुण सदा सुखदायक होते हैं, और दोष सदा दुखदायक होते हैं।” “गुण बड़े हों, या छोटे, वे तो सदा सुख ही देते हैं। परंतु दोष बड़े हों या छोटे, वे सदा दुख ही देते हैं।” “दोषों की संख्या के साथ साथ उनकी मात्रा […]

Exit mobile version