“यह असुर अपने स्वार्थपूर्ण अभिप्रायों को इस प्रकार उच्च सिद्धान्तों में लपेटकर लोगों के सामने पेश करते हैं कि लोग इन्हें ‘देव’ समझने लगते हैं।” ये रूपाणि प्रतिमुञ्चमानाऽ असुराः सन्तः स्वधया चरन्ति। परापुरो निपुरो ये भरन्त्यग्निष्टाँल्लोकात् प्रणुदात्यस्मात्।। -यजुः० २।३० ऋषिः – वामदेवः। देवता – अग्निः। छन्दः – भुरिक पङ्क्तिः। विनय – हे जगदीश्वर ! यहाँ […]
Category: आज का चिंतन
आप किस प्रकार के सुपुत्रों और सुपौत्रों की आशा करते हो? श्रेष्ठ पुत्र और सुपौत्र किस प्रकार प्राप्त करें? चर्कृृत्यं मरुतः पृृत्सु दुष्टरं द्युमन्तं शुष्मं मघवत्सु धत्तन। धनस्पृृतमुक्थ्यं विश्वचर्षणिं तोकं पुष्येम तनयं शतं हिमाः ।। ऋग्वेद मन्त्र 1.64.14 (कुल मन्त्र 746) (चर्कृृत्यम्) वीरता और साहस धारण करते हुए कार्यों को बनाये रखता है (मरुतः) प्राणों […]
ईश्वरप्रणिधानाद्वा- योगदर्शन- 1.23 ईश्वर के प्रति दृढ़ विश्वास, प्रेम व समर्पण से समाधि शीघ्र लग जाती है। इसके लिए शब्द प्रमाण, अनुमान प्रमाण और ईश्वर द्वारा किए जा रहे बेजोड़ उपकारों का चिन्तन करते रहना आवश्यक है। तप:स्वाध्यायेश्वरप्रणिधानानि क्रियायोग: (योगदर्शन 2.1) तप, स्वाध्याय और ईश्वर प्रणिधान क्रिया योग है। ध्यानं निर्विषयं मन: (सांख्य दर्शन- 6.25) […]
*”आजकल लोगों में सहनशक्ति बहुत कम हो गई है। इसीलिए छोटी-छोटी बात पर लोग आपस में झगड़ पड़ते हैं। यह अच्छा नहीं है।”* *”यदि आप अपने घर में परिवार में समाज में देश में सुख शांति से जीना चाहते हैं। तो इसके लिए एक दूसरे को समझना बहुत आवश्यक है।” “अपनी बात कहने में जल्दबाजी […]
============= महाभारत युद्ध के बाद वेदों का अध्ययन-अध्यापन अवरुद्ध होने के कारण देश में अनेकानेक अन्धविश्वास एवं कुरीतियां उत्पन्न र्हुइं। सृष्टि के आरम्भ में सर्वव्यापक एवं सर्वातिसूक्ष्म व सर्वज्ञ ईश्वर से प्राप्त वैदिक सत्य सिद्धान्तों को विस्मृत कर दिया गया तथा अज्ञानतापूर्ण नई-नई परम्पराओं का आरम्भ हुआ। ऐसी ही एक परम्परा मृतक श्राद्ध की है। […]
जीव विज्ञान की फंडामेंटल रिसर्च के लिए ही नहीं अर्थववेद के प्राण सूक्त की विज्ञान सम्मत व्याख्या भी है || लेखक आर्य सागर खारी 🖋️ सभी जीव जंतु जिसमें हम मनुष्य भी शामिल हैं सभी में जीवन का आधार प्राण वायु ऑक्सीजन है… शरीर की हर कोशिका में ऑक्सीजन ईंधन के रूप में इस्तेमाल होती […]
*”निष्काम कर्म करने से सुख शांति मिलती है, और सकाम कर्म करने से कभी सुख शांति मिलती है, और कभी दुख एवं अशांति भी।” “यदि आप सुख शांति से जीना चाहते हैं, तो निष्काम कर्म करने का प्रयत्न करें।”* निष्काम कर्म करने का तात्पर्य है, कि *”मोक्ष प्राप्त करने की भावना से कर्म करें, सांसारिक […]
============= परमात्मा ने मनुष्य की जीवात्मा को मानव शरीर में किसी विशेष प्रयोजन से दिया है। पहला कारण है कि हमें अपना-अपना मानव शरीर व मानव जीवन अपने पूर्वजन्मों के कर्मों के आधार पर आत्मा की उन्नति व दुःखों की निवृत्ति के लिये मिला है। आत्मा की उन्नति के लिये जीवन में ज्ञान की प्राप्ति […]
*”इस संसार में जिसने भी जन्म लिया है, वह समस्याओं से खाली नहीं है। और जब तक जीवन रहेगा, तब तक समस्याएं भी बनी रहेंगी। किसी के जीवन में समस्याएं कम आती हैं, और किसी के जीवन में कुछ अधिक।”* *”जब कोई समस्या जीवन में आ ही जाती है, तो उससे घबराना नहीं चाहिए। उसका […]
सैनिक दिव्य प्रकृति के कैसे होते हैं? प्राण दिव्य प्रकृति के कैसे होते हैं? चित्रैरजिंभिर्वपुषे व्यंजते वक्षःसु रुक्माँ अधि येतिरे शुभे। अंसेष्वेषां नि मिमृक्षुर्ऋष्टयः साकं जज्ञिरे स्वधया दिवो नरः।। ऋग्वेद मन्त्र 1.64.4 (कुल मन्त्र 736) (चित्रैः) अद्भुत (अजिंभिः) रूप तथा भाव (वपुषे) शरीर की सुन्दरता के लिए (व्यंजते) शोभान्वित करता है (वक्षःसु) अपनी छाती पर, […]