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आज का चिंतन महत्वपूर्ण लेख

जन्मभूमि निर्माण के कालखंड में हमारा भावसंसार  

प्रवीण गुगनानी, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार में सलाहकार, राजभाषा guni.pra@gmail.com 9425002270  सुमन बृष्टि नभ संकुल भवन चले सुखकंद। चढ़ी अटारिन्ह देखहिं नगर नारि नर बृंद।।  श्रीराम जन्मभूमि के भव्य निर्माण व उसके  लोकार्पण को केवल मंदिर निर्माण व लोकार्पण का अवसर मात्र कहना, भारत को कतई व्यक्त नहीं कर पाएगा। इस जन्मभूमि निर्माण और उसकी भूमिका के […]

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कर्मों का फल प्रदाता परमपिता परमेश्वर ही है

आचार्य हरिशंकर अग्निहोत्री (वेद प्रवक्ता) परमेश्वर ही कर्मों का फल देता है। चूंकि परमेश्वर न्यायकारी है इसीलिए सभी जीवों को सभी कर्मों का फल यथायोग्य अवश्य देता है। कर्म का फल कम या अधिक मिले, ऐसा नहीं होता है। कर्मों का फल न मिले, ऐसा नहीं होता है। किसी भी अनुष्ठान से किये कर्मों के […]

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ओ३म् “वैदिक धर्म में ही ऋषियों व योगियों सहित राम एवं कृष्ण जैसे महान् पुरुषों को उत्पन्न करने की क्षमता है”

========== संसार में सबसे महान धर्म एवं संस्कृति कौन सी है? इसका हमें एक ही उत्तर मिलता है कि 1.96 अरब वर्ष पूर्व लोक-लोकान्तरों की रचना होने के बाद सृष्टि का आरम्भ हुआ था। तभी परमात्मा ने चार वेदों का आविर्भाव किया था। सृष्टि के आरम्भ में ईश्वर प्रदत्त ज्ञान वेद ही वैदिक धर्म एवं […]

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ओ३म् -आर्यसमाज धामावाला, देहरादून का साप्ताहिक सत्संग- “अहंकार व्यक्ति का विनाश करता है।: आचार्य अनुज शास्त्री”

हमें आज दिनांक 14-1-2024 को आर्यसमाज-धामावाला, देहरादून के साप्ताहिक सत्संग में सम्मिलित होने का सुअवसर प्राप्त हुआ। हमारे सत्संग में पहुंचने पर आर्यसमाज के पुरोहित पं. विद्यापति शास्त्री जी आज से पं. देवेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय जी रचित ऋषि दयानन्द जी के जीवन-चरित का पाठ आरम्भ कर रहे थे। जीवनचरित का यह पाठ प्रत्येक सत्संग से पूर्व […]

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ओ३म् “वैदिक धर्म में ही ऋषियों व योगियों सहित राम एवं कृष्ण जैसे महान् पुरुषों को उत्पन्न करने की क्षमता है”

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। संसार में सबसे महान धर्म एवं संस्कृति कौन सी है? इसका हमें एक ही उत्तर मिलता है कि 1.96 अरब वर्ष पूर्व लोक-लोकान्तरों की रचना होने के बाद सृष्टि का आरम्भ हुआ था। तभी परमात्मा ने चार वेदों का आविर्भाव किया था। सृष्टि के आरम्भ में ईश्वर प्रदत्त ज्ञान वेद ही […]

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ग्रामीण क्षेत्रों की लचर शिक्षा व्यवस्था

मुरली कुमारी बीकानेर, राजस्थान पिछले कुछ वर्षों में देश के ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों की तरह कई स्तरों पर विकास हुआ है. विशेषकर सड़क और रोज़गार के मामलों में देश के गांव पहले की तुलना में तेज़ी से विकास की ओर अग्रसर हैं. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत गांव-गांव तक सड़कों का जाल […]

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श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या के भव्य मंदिर में राम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में बारात के फूफा जी जैसे मुंह फुलाकर बैठे धर्माचार्यों से आग्रह।

खुला पत्र====== पूज्य चरण धर्माचार्य महानुभाव गण।। आज जब कि संपूर्ण विश्व के हिंदुओं में एक गौरवशाली उल्लास व्याप्त है चतुर्दिक हर्ष का वातावरण है।500 वर्षोपरांत सनातनी हिंदुओं को वैश्विक स्तर पर विजयानुभूति हो रही है।टोपी लगाकर इफ्तार पार्टियों में बिना बुलाए पहुंच कर धन्य होने की परिपाटी लुप्तप्राय हो चली है।इस देश के शाशक […]

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आप भी कर सकते हैं अपने घर में यज्ञ

पं. लीलापत शर्मा-विभूति फीचर्स गायत्री और यज्ञ एक-दूसरे के पूरक है, उन्हें अन्योन्याश्रित कहा गया है। सर्वविदित है कि गायत्री अनुष्ठानों की पूर्णता के लिए सतयुग में दशांश होम का विधान था और अब बदली हुई परिस्थितियों में शतांश का विधान है। आर्थिक, शारीरिक एवं परिस्थितिजन्य कठिनाइयों की स्थिति में भी ऋषि परंपरा यह है […]

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ओ३म् “यदि ऋषि दयानन्द न आते तो क्या हो सकता था?”

========= ऋषि दयानन्द का जन्म 12 फरवरी, 1825 को गुजरात राज्य के मोरवी जिले के टंकारा कस्बे में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री कर्षनजी तिवारी था। जब उनकी आयु का चैदहवां वर्ष चल रहा था तो उन्होंने अपने शिवभक्त पिता के कहने पर शिवरात्रि का व्रत रखा था। शिवरात्रि को अपने कस्बे के […]

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ओ३म् “विश्व में वेदों के प्रचार का श्रेय ऋषि दयानन्द और आर्यसमाज को है”

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व हुए महाभारत युद्ध के बाद वेदों का सत्यस्वरूप विस्मृत हो गया था। वेदों के सत्य अर्थों के विलुप्त होने के कारण ही संसार में मिथ्या अन्धविश्वास तथा पक्षपात व दोषपूर्ण सामाजिक व्यवस्थायें फैली हैं। इससे विद्या व ज्ञान में न्यूनता तथा अविद्या व अज्ञानयुक्त मान्यताओं में […]

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