सुंदरकांड पढ़ते हुए 25 वें दोहे पर ध्यान थोड़ा रुक गया । तुलसीदास जी ने सुन्दर कांड में, जब हनुमान जी ने लंका मे आग लगाई थी, उस प्रसंग पर लिखा है – हरि प्रेरित तेहि अवसर चले मरुत उनचास। अट्टहास करि गर्जा कपि बढ़ि लाग अकास।। अर्थात : जब हनुमान जी ने लंका को […]
Category: आज का चिंतन
जीवन में जीतने वाले बनो, आलसी नहीं
संसार में कुछ लोग आलसी देखे जाते हैं, और कुछ पुरुषार्थी। *”जो लोग आलसी होते हैं वे परिवार समाज और देश में अव्यवस्थाओं को देखकर सदा दोष ही निकालते रहते हैं। और कहते रहते हैं, कि “यहां ऐसा होना चाहिए, वहां ऐसा होना चाहिए, देश में ऐसा होना चाहिए समाज में ऐसा होना चाहिए।” परन्तु […]
========== जीवात्मा एक अत्यन्त अल्प परिमाण वाली चेतन सत्ता है। यह अल्प ज्ञान एवं अल्प शक्ति से युक्त होती है। इसका स्वभाव व प्रवृत्ति जन्म व मरण को प्राप्त होना है। जीवात्मा में मनुष्य व अन्य प्राणी-योनियों में जन्म लेकर कर्म करने की सामथ्र्य होती है। मनुष्य योनि में जन्म का कारण इसके पूर्वजन्म व […]
*”कल सुबह का सूर्योदय कौन देखेगा, और कौन नहीं?”* इस बात का किसी को भी कोई पता नहीं है। यानि *”मृत्यु कभी भी आ सकती है।”* यह एक सत्य है, जिसे वास्तविक रूप से जानने वाले लोग संसार में बहुत कम हैं। *”इस बात को शाब्दिक रूप से जानने वाले लोग तो संसार में बहुत […]
वेद और वेद की कर्म फल व्यवस्था
वैदिक कर्मफल व्यवस्था सुख दुख का कारण मनुष्य के कर्म (काम या कार्य) हैं, ग्रह नहीं। मनुष्य जैसा काम करता है वैसा ही फल पाता है। ऐसा काम जिससे किसी का भला हुआ हो उसके बादले में ईष्वर की व्यवस्था से सुख प्राप्त होता है और ऐसा काम जिससे किसी का बुरा हुआ हो उसके […]
हमारे शरीर में सप्तर्षियों का स्थान कहाँ-कहाँ पर है? आईये, इसका अध्ययन यजुर्वेद, अथर्ववेद सत्यार्थ प्रकाश वैदिक संपदा एवं संध्योपासन विधि आदि आर्ष साहित्य का संहत, समेकित एवं तुलनात्मक अध्ययन के अनुसार निम्न प्रकार करते हैं। सप्त ऋषि प्रतिहिता:शरीरे सप्त रक्षन्ति सदमप्रमादं । सप्ताप: स्वपतो लोकमीयुस्तत्र जागृतों अस्वपनजौ सत्रसदौ च देवौ। यजुर्वेद 34 /55 पदार्थ- […]
* एक बार एक मौलाना ने कहा था कि’आप ईश्वर,जीव और प्रकृति को अनादि और अनंत मानते हैं और साथ ही यह भी कहते हैं,कि ईश्वर इस सृष्टि की रचना प्रकृति से करता है।यदि ऐसा मान लिया जाये तो फिर ईश्वर और मनुष्य के कार्यों में कोई विषेश अन्तर दृष्टिगोचर नहीं होता। यदि आप किसी […]
सप्त ऋषि और इनकी तपस्या कथा का सत्य*
* Dr DK Garg पौराणिक कथा:- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सप्तऋषि की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के मस्तिष्क से हुई है। कहावत है कि हरिद्वार में एक स्थान ऐसा हैं, जहाँ पर सप्त ऋषियों ने एक साथ तपस्या की थी। जब गंगा नदी बहती हुई आ रही थीं तो यहाँ सात ऋषि गहन तपस्या में लीन […]
लेखक अशोक चौधरी मेरठ। सम्पूर्ण भारत वर्ष में गजब का हर्षोल्लास भगवान राम के मंदिर अयोध्या में बनने को लेकर छाया हुआ है।भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी 22 जनवरी को इस अवसर पर सहभागिता कर रहे हैं।यह प्रसन्नता कितने लम्बे संघर्ष के बाद प्राप्त हो रही है।इस ओर बरबस ही ध्यान चला जाता […]
* 22 जनवरी 2024 को अयोध्या के श्री राम मंदिर में होने वाले “प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव” का आप लोग जो सोशल मीडिया आदि में विरोध कर रहे हैं, और कह रहे हैं कि “यह वेद विरुद्ध है पाखंड है।” हां, यह सत्य है कि यह पाखंड है, वेद विरुद्ध है। परंतु यह कार्य वेद विरुद्ध […]