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आज का चिंतन

आर्यजन असत्य के मार्ग पर!*

आर्यजन असत्य के मार्ग पर! न स्वामी दयानन्द सरस्वती (मूलशंंकर) का जन्म ही सन् १८२४ ई. की किसी तारीख पर हुआ था। और न उनके जन्म को हुए २०० वर्ष ही सन् २०२४ ई. की किसी तारीख पर पूरे होंगे। फिर कुछ नासमझ लोगों ने महर्षि दयानन्द सरस्वती की दो सौवीं जन्मजयन्ती १८२४-२०२४ का प्रदर्शक […]

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सभी धर्मों में एक ही बात नहीं…

(ले० डॉ० शंकर शरण ) एक प्रवासी हिन्दू भारतीय की बिटिया ने किसी मुस्लिम से विवाह का निश्चय किया तो वह बड़े दुःखी हुए। उन्होंने समझाने का प्रयास किया कि यह उस के लिए, परिवार के लिए और अपने समाज के लिए भी अच्छा न होगा। तब बिटिया ने कहा, ‘मगर पापा, आप ही ने […]

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और अटल बिहारी वाजपेयी उस उत्सव में नहीं आए … !*

* पुरुषा बहवो राजन् सततं प्रियवादिनः। अप्रियस्य तु पथ्यस्य वक्ता श्रोता च दुर्लभः॥” – उद्योगपर्व-विदुरनीति सन् 1976 में दिल्ली में महर्षि दयानन्द सरस्वती प्रणीत ‘सत्यार्थप्रकाश’ ग्रन्थ की शताब्दी मनाई गई। उसमें पधारने वाले वक्ताओं में देश के जाने-माने नेता अटलबिहारी वाजपेयी का नाम भी था। आर्यसमाज के मूर्धन्य संन्यासी स्वामी विद्यानन्द सरस्वती जी (पूर्वाश्रम में […]

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युग प्रवर्तक महर्षि दयानन्द जी की 200वी जयंती के संदर्भ में-

‘विशेष शेर’ दयानन्द इस चमन का, खिलता गुलाब था। ज्ञान और तेज का, वह आफत़ाब था ।। करता रहा जिन्दगी में, मुतवातिर शबाब था, भारत माँ के ताज का, वो हीरा नायाब था। वो कमशीन था, इज्जोजिल था, वागीश था वो पहुँचा हुआ दरवेश था, वो प्रभु का कृपा पात्र विशेष था। इज्जोजिल अर्थात् दिव्यता […]

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ओ३म् “परमात्मा ने संसार सत्पुरुषों के सुख व आत्म कल्याण के लिये बनाया है”

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। हमारा यह संसार स्वतः नहीं बना और न ही यह पौरुषेय रचना है। इस संसार को मनुष्य अकेले व अनेक मिलकर भी नहीं बना सकते। हमारा यह सूर्य, चन्द्र, पृथिवी, सौर मण्डल तथा ब्रह्माण्ड अपौरुषेय और ईश्वर से रचित हैं। प्रश्न किया जा सकता है कि परमात्मा ने यह संसार क्यों […]

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अवतारवाद, महर्षि दयानंद और मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा

” क्या मूर्ति पूजा और प्राण प्रतिष्ठा वेद संगत नहीं है ” कोई मूर्तियों को ईश्वर पर ध्यान केन्द्रित करने का साधन बताता हैं तो कोई यह तर्क देता हैं की प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात ईश्वर स्वयं मूर्तियों में विराजमान हो जाते हैं। जो इस प्रकार कहते हैं उनसे निवेदन है कृपया आप हमें वेद […]

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चाहे संपत्ति आए चाहे विपत्ति, दोनों में समान रहो

जीवन में कभी आपत्तियां आती हैं और कभी संपत्तियां। आपत्तियां आने पर सामान्य रूप से व्यक्ति परेशानी में पड़ जाता है। उसे कोई रास्ता नहीं सूझता। कोई उसका साथ देने को तैयार नहीं होता। उसके अपने लोग स्वार्थी बनकर उससे दूर चले जाते हैं। ऐसे आपत्ति काल में जो व्यक्ति घबरा जाता है, और सोचता […]

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सृष्टि या ब्रह्माण्ड रचना विषय:

सृष्टि या ब्रह्माण्ड रचना विषय: (1) प्रश्न :- ब्रह्माण्ड की रचना किससे हुई ? उत्तर :- ब्रह्माण्ड की रचना प्रकृत्ति से हुई । (2) प्रश्न :- ब्रह्माण्ड की रचना किसने की ? उत्तर :- ब्रह्माण्ड की रचना निराकार ईश्वर ने की जो कि सर्वव्यापक है । कण कण में विद्यमान है । (3) प्रश्न :- […]

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ओ३म् “वैदिक धर्म की महत्वपूर्ण देन ईश्वर-जीव-प्रकृति के अनादित्व सहित सृष्टि के प्रवाह से अनादि होने का सिद्धान्त”

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। हम इस पृथिवी पर रहते हैं। यह पृथिवी हमारे सौर मण्डल का एक ग्रह है। ऐसे अनन्त सौर्य मण्डल इस ब्रह्माण्ड में हैं। इस सृष्टि व ब्रह्माण्ड को किसने बनाया है? इसका समुचित उत्तर विश्व के वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है। वेद और वैदिक धर्म के अनुयायी ऋषि-मुनि व वैदिक […]

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वेद में पाप और क्षमा

शंका:- जब ईश्वर पाप को क्षमा नहीं करता तो फिर ये स्तुति व प्रार्थना किस एतबार से ईश्वर करवा रहा है अपने भक्त से क्या ईश्वर भक्तों को भ्रम में रखना चाहता है ? समाधान:- सर्वप्रथम आपने जो अर्थ दिया है इसे पूरा कर लेते हैं ताकि समझने में सरलता हो। अव नो वृजिना शिशीह्यृचा […]

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