◼️आर्यावर्त क्या है?◼️ ✍🏻 लेखक – प्रो० उमाकान्त उपाध्याय, एम० ए० प्रस्तुति – 🌺 ‘अवत्सार’ जब कभी भ्रान्त विचार चल पड़ते हैं तो उनके अवश्यम्भावी अनिष्टकारी परिणामों से बचना दुष्कर हो जाता है। इसी प्रकार का एक अशुद्ध भ्रान्त विचार यह है कि आर्यावर्त की सीमा उत्तर भारत तक ही है और आर्यावर्त की दक्षिणी […]
Category: आज का चिंतन
बिखरे मोती जीवनी नैया की पतवार क्या है! जीवन की पतवार है, संयम और विवेक । संयम साधै संतुलन, विवेक लगावै ब्रेक॥2560॥ विशेष :- सुख-शान्ति का स्रोत कहाँ है ? :- धन में संतुष्टि नहीं, अध्यात्म देय संतोष । देवयान का मार्ग ये, सुख-शान्ति का कोष॥2561॥ विशेष :- जब हृदय परिवर्तन होता है, तो […]
हम सनातन
हम सनातन, हम सनातन, युगों-युगों से इस धरा पर, बस बचे हैं हम यहाँ पर, हम अधुनातन हम पुरातन। सृष्टि का आगाज हम हैं, कल भी थे और आज हम हैं, सहस्त्रों वर्षों की कहानी, दुनिया भर में है निशानी। विश्व भर से ये कहेंगे, हम रहे हैं, हम रहेंगे अपनी जिद […]
प्राण हमारे अन्दर आनन्द कब पैदा करते है? हृदय में परमात्मा को स्थापित करने के दो प्रधान कारण कौन से हैं? जीवन में प्रगति का क्रम क्या है? बृहत्स्वश्चन्द्रममवद्यदुक्थ्य1मकृण्वतभियसारोहणंदिवः। यन्मानुषप्रधनाइन्द्रमूतयः स्वर्नृषाचोमरुतोऽमदन्ननु।। ऋग्वेद 1.52.9 (बृहत्) बड़ा (स्वश्चन्द्रम्) आत्म प्रकाश के साथ (अमवत्) उत्तम ज्ञान, उत्तम मन (यत्) जब (उक्थ्यम्) प्रशंसनीय (परमात्मा) (अकृण्वत्) स्थापित (हृदय में) (भियसा) […]
नास्तिकता भी एक अन्धविश्वास है! #डॉविवेकआर्य नास्तिक बनने के मुख्य क्या क्या कारण है? नास्तिक बनने के प्रमुख कारण है ईश्वर के गुण, कर्म और स्वभाव से अनभिज्ञता। धर्म के नाम पर अन्धविश्वास जिनका मूल मत मतान्तर की संकीर्ण सोच है। विज्ञान द्वारा करी गई कुछ भौतिक प्रगति को देखकर अभिमान होना। धर्म के नाम […]
“अपने जीवन को सुंदर और सुखमय कौन नहीं बनाना चाहता? सभी चाहते हैं। परंतु उस की विधि ठीक प्रकार से नहीं जानते।” वेदों के आधार पर ऋषियों ने इस विधि को अपने शास्त्रों में विस्तार से समझाया है। उनका संदेश इस प्रकार से है, कि “यदि आप अपने जीवन को सुंदर एवं सुखमय बनाना चाहते […]
सत्य नारायण व्रत कथा*
डॉ डी के गर्ग ये लेख २ भागो में है। कृपया अपने विचार बताये और जनहित में शेयर करें। भाग -2 सत्य को समझने के बाद अब नारायण शब्द का भावार्थ समझते हैं। नारायण : आपो नारा इति प्रोक्ता आपो वै नरसूनवः। ता यदस्यायनं पूर्वं तेन नारायणः स्मृतः॥ —यह मनुस्मृति [अ॰ १।१०] का श्लोक […]
ओ३म् “वेदों का महत्व एवं उनका अध्ययन व प्रचार मानवमात्र का कर्तव्य वेदों का नाम प्रायः सभी लोगों ने सुना होता है परन्तु वेदों को अपना प्रमुख धर्मग्रन्थ माननेवाले आर्य वा हिन्दू भी वेदों के बारे में अनेक तथ्यों को नहीं जानते। हमारा सौभाग्य है कि हम ऋषि दयानन्द जी से परिचित हैं। उनके आर्यसमाज […]
सत्य नारायण व्रत कथा रहस्य*
डॉ डी के गर्ग ये लेख २ भागो में है। कृपया अपने विचार बताये और जनहित में शेयर करें। भाग -१ प्रचलित सत्य नारायण व्रत कथा : एक समय देवर्षि नारद मुनि मृत्युमण्डल से भ्रमण करते हुए भगवान नारायण के समक्ष जा पहुंचे और बोले कि मृत्युलोक के मनुष्य नर-नारी बहुत दुखी हैं, वे […]
संसार में दो प्रकार का सुख है ….
संसार में दो प्रकार का सुख है। एक विषय सुख और दूसरा आध्यात्मिक सुख। दोनों विपरीत दिशाओं में रखें हैं। “विषय सुख बाह्य इंद्रियों से मिलता है, जबकि आध्यात्मिक सुख अंदर से मिलता है। रूप रस गन्ध आदि विषयों का सुख, आंख रसना नाक आदि इंद्रियों से भोगा जाता है। जबकि आध्यात्मिक सुख अंदर से […]