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आज का चिंतन

किसी भी कार्य को प्रारम्भ करने के लिए किन शक्तियों की आवश्यकता होती है? हमारे जीवन को आध्यात्मिक बनाने के लिए क्या आवश्यक है?

किसी भी कार्य को प्रारम्भ करने के लिए किन शक्तियों की आवश्यकता होती है? हमारे जीवन को आध्यात्मिक बनाने के लिए क्या आवश्यक है? ऋग्वेदमन्त्र 1.53.5 समिन्द्ररायासमिषारभेमहि सं वाजेभिः पुरुश्चन्द्रैरभिद्युभि। सं देव्याप्रमत्यावीरशुष्मयागोअग्रयाश्वत्यारभेमहि।। 5।। (सम् – रभेमहि से पूर्व लगाकर) (इन्द्र) सर्वोच्च नियंत्रक, परमात्मा (राया) गौरवशाली सम्पदा के साथ (सम् – रभेमहि से पूर्व लगाकर) (इषा) […]

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अज्ञानता का नाश कैसे किया जाये?

एक दिव्य जीवन कैसे बना जाये? एक दिव्य जीवन शत्रुता रहित कैसे होता है? एभिर्द्युभिः सुमना एभिरिन्दुभिर्निरुन्धानोअमतिंगोभिरश्विना। इन्द्रेणदस्युंदरयन्तइन्दुभिर्युतद्वेषसः समिषारभेमहि।। ऋग्वेदमन्त्र 1.53.4 (एभिः) इसके साथ (द्युभिः) प्रकाशित करने वाला ज्ञान (सुमनः) महान्, पवित्र तथा दिव्य मन बनो (एभिः) इनके साथ (इन्दुभिः) महान् गुणों के साथ (निरुन्धानः) रोक दो, बाधित करो (अमतिम्) अज्ञानता आदि (गोभिः) गाय आदि, […]

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आज का चिंतन उगता भारत न्यूज़

ओ३म् -वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून में सामवेद पारायण यज्ञ सम्पन्न- “हमारा यह ब्रह्माण्ड परमात्मा द्वारा बहुत व्यवस्थित बनाया गया हैः डा. वेदपाल”

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। वैदिक साधन आश्रम, तपोवन, देहरादून में दिनांक 11 मार्च, 2024 से आरम्भ 7 दिवसीय सामवेद पारायण एवं गायत्री महायज्ञ आज रविवार दिनांक 17-3-2024 को सोल्लस सम्पन्न हुआ। यज्ञ के ब्रह्मा प्रसिद्ध वैदिक विद्वान आचार्य डा. वेदपाल जी थे। यज्ञ में स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती, स्वामी योगेश्वरानन्द सरस्वती, पं. सूरतराम जी का सान्निध्य […]

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चामुण्डा माता रहस्य*

Dr D K Garg भाग 2 कृपया शेयर करे और अपने विचार बताएं। इस देवी को हमेशा क्रोध की मुद्रा में ही दिखाया जाता है और दुनिया को आग की लपटों से जलाने के रूप में वर्णित किया गया है। उसके साथ बुरी आत्माएं भी हैं। उन्हें कंकालों, भूतों और सियार जैसे जानवरों से घिरा […]

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अलग-अलग रुचि और अलग-अलग स्वभाव के लोग रहते हैं संसार में

कोई व्यक्ति खेलकूद में अपना सुख ढूंढता है, कोई गीत संगीत में, कोई खाने पीने में, कोई फैशन में, और कोई सुंदर वस्त्र आभूषण में। *"हर व्यक्ति सुख या प्रसन्नता को प्राप्त करने के लिए दिन रात योजनाएं बनाता रहता है, और उसके लिए पुरुषार्थ भी करता है। इन सब कार्यों में सुख मिलता भी […]

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सर्वोच्च इन्द्र, परमात्मा कौन है? किसकी इच्छाएँ अपूर्ण नहीं रहती?

जब हम सर्वोच्च आध्यात्मिक इच्छा को धारण कर लेते हैं तो क्या होता है? उच्च अधिकारियों के साथ पवित्र और दिव्य सम्बन्धों का क्या महत्त्व है? शचीवइन्द्रपुरुकृद् द्युमत्तमतवेदिदमभितश्चेकितेवसु। अतः संगृभ्याभिभूतआभरमात्वायतोजरितुः काममूनयीः।। ऋग्वेदमन्त्र 1.53.3 (शचीवः) सभी विद्वानों में सर्वोच्च विद्वता, सभी शक्तियों, बलों और ऊर्जाओं का स्रोत (इन्द्र) सर्वोच्च नियंत्रक, परमात्मा (पुरुकृत्) प्रत्येक को धारण और […]

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हनुमान जी का लाल शरीर या शरीर पर सिंदूर लेप? का सच

** Dr DK Garg रामायण में भ्रांतियां पुस्तक से साभार , निवेदन: कृपया अपने विचार बताएं और शेयर करे। एक प्रश्न है कि मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति पर सिन्दूर का लेप लगाते है। ऐसा क्यों है? दरअसल हर मूर्खता,अज्ञानता के कार्य को वैज्ञानिक बताने और किसी न किसी किस्से कहानी से जोड़ने की […]

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*चामुंडा माता रहस्य*

Dr D K Garg भाग 1 निवेदन: PLz share and give your feedback, चामुंडा माता के नाम से देश के विभिन्न राज्यों में मंदिर है। जिनमें हिमाचल प्रदेश ,राजस्थान ,उज्जैन , बिहार और गुजरात के मंदिर ज्यादा प्रसिद्व है। यहां चामुंडा नामक देवी की पूजा करते है और मन्नत मांगते हैं। प्रचलित कथा और मान्यताये: […]

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परमात्मा हमें क्या देता है? सर्वोच्च इन्द्र की महिमा के लिए शब्द प्रस्तुत करने में कौन सक्षम है?

परमात्मा हमें क्या देता है? सर्वोच्च इन्द्र की महिमा के लिए शब्द प्रस्तुत करने में कौन सक्षम है? सर्वोच्च इन्द्र के द्वारा कौन कुचला जाता है? दुरोअश्वस्य दुरइन्द्रगोरसिदुरो यवस्य वसुनइनस्पतिः। शिक्षानरः प्रदिवोअकामकर्शनः सखासखिभ्यस्तमिदं गृणीमसि।। ऋग्वेदमन्त्र 1.53.2 (दुरः) दाता, सुखों का द्वार (अश्वस्य ) अश्वों का, कर्मेंन्द्रियों का (दुरः) दाता, सुखों का द्वार (इन्द्र) परमात्मा, इन्द्रियों […]

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वास्तविक यज्ञ करने वाला व्यक्ति किस प्रकार का होता है?

वास्तविक यज्ञ करने वाला व्यक्ति किस प्रकार का होता है? यज्ञ के स्थान पर किस प्रकार के वातावरण का निर्माण होता है? ऋग्वेदमन्त्र 1.53.1 न्यू३षुवाचंप्रमहेभरामहेगिरइन्द्राय सदनेविवस्वतः। नूचिद्धि रत्नंससतामिवाविदन्न्ादुष्टुतिर्द्रविणोदेषु शस्यते।। 1।। (नि – भरामहे से पूर्व लगाकर) (सुवाचम्) उत्तम वाणियाँ (प्रार्थनाओं तथा पूजा की) (प्र – भरामहे से पूर्व लगाकर) (महे) महान् (भरामहे – नि प्र […]

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