सबसे बड़ा सुनने वाला, परमात्मा, किस प्रकार हमें प्रकाशित करता है और हमारा रथ वाहक बनता है? अपने से बड़ों की शक्तियों को कैसे प्राप्त करें? अर्चादिवेबृहते शूष्यं१ वचः स्वक्षत्रं यस्य धृषतो धृषन्मनः। बृहछ्वाअसुरोबर्हणाकृतः पुरोहरिभ्यां वृषभोरथोहि षः।। ऋग्वेदमन्त्र 1.54.3 (अर्चा) अर्चना, पूजा (दिवे) प्रकाशवान् के लिए (बृहते) सबसे बड़ा (शूष्यम्) शक्ति, बल (वचः) वाणियाँ (महिमा […]
Category: आज का चिंतन
आर्यों का आदर्श जीवन
आर्य-जीवन (7 April विश्व स्वास्थ्य दिवस “World Health Day” पर विशेष रूप से प्रकाशित) लेखक- पं० राजाराम प्रोफेसर प्रस्तुति- प्रियांशु सेठ उठने का समय और पहला कर्तव्य नाम नाम्ना जोहवीति पुरा सूर्यात् पुरोषस:। यदज: प्रथमं संबभृव स ह तत् स्वराज्य मियाय यस्मान्नन्यत् परमस्ति भृतम्।। -अथर्व० १०/७/३१ सूर्य से पहले और उषा से पहले नाम नाम […]
*गोपथ ब्राह्मण में ओंकार की महिमा:-*
गोपथ ब्राह्मण में ओ३म् की महिमा विषेश ध्यान देने योग्य है।यथा श्लोक (गो० 1/22) जिसके अर्थ इस प्रकार हैं, कि जो ब्रह्मोपासक इस अक्षर ‘ओ३म्’ की जिस किसी कामना पूर्ति की इच्छा से तीन रात्रि उपवास रखकर तेज-प्रधान पूर्व दिशा की ओर मुख करके, कुशासन पर बैठकर सहस्र बार जाप करता है उसके सब मनोरथ […]
*द्रौपदी का चीर हरण* –1
डॉ डी के गर्ग (साभार -आर्य मनतव्य वेबसाइट) महाभारत में द्रौपदी के “चीर हरण ” जैसी कुत्सित और भ्रष्ट आचरण की कथा कथाकार बहुत विस्तार से सुनाते है जैसे की सम्पूर्ण घटना उनके सामने हुई है। मेरे विचार से द्रौपदी का चीर हरण दुर्योधन ने नहीं किया बल्कि आजकल के कथाकारों और नकली लेखकों ने […]
*द्रौपदी का चीर हरण* –२
डॉ डी के गर्ग (साभार -आर्य मनतव्य वेबसाइट) श्रीकृष्ण के चमत्कार–इस प्रसंग में श्रीकृष्ण के चमत्कार को दर्शाने के लिए भी मनगढ़ंत बात गढ़ी हैं।यदि कृष्ण ने साडी देकर नग्न होने से बचाया इसका मतलब ये हुआ की द्रौपदी अर्धनग्न हो चुकी थी ? तभी क्यों नहीं बचा लिया ? या फिर जब दुःशासन बाल […]
किसने नदियों और वनों को गर्जने के योग्य बनाया? क्या कोई व्यक्ति युद्धों, विवादों या पापों में फंसना चाहता है? हमें परमात्मा की संगति क्यों करनी चाहिए? मानोअस्मिनमघवन्पृत्स्वंहसिनहितेअन्तः शवसः परीणशे। अक्रन्दयोनद्यो३ रोरुवद्वनाकथा न क्षोणीर्भियसासमारत।। ऋग्वेदमन्त्र 1.54.1 (मा) नहीं (नः) हमें (अस्मिन) यह (मघवन्) समस्त सम्पदाओं का दाता (पृत्सु) युद्धों में, विवादों में (अंहसि) पापों में […]
पूर्ण कल्याण का जीवन किसको प्राप्त होता है? उत्तम साहसिक व्यक्ति कौन बनता है? उत्तम आध्यात्मिक जीवन के क्या लक्षण हैं? य उदृचीन्द्रदेवगोपाः सखायस्तेशिवतमाअसाम। त्वां स्तोषामत्वयासुवीराद्राघीय आयुः प्रतरं दधानाः।। ऋग्वेदमन्त्र 1.53.11 (ये) वो हम (उदृचि) उत्तम ऋचाओं के साथ अर्थात् वैदिक मन्त्र, ज्ञान और तरंगों के साथ (इन्द्र) परमात्मा (देवगोपाः) दिव्य संरक्षण वाला, दिव्यताओं का […]
सिंह बनो भेड़ नहीं
एक शेरनी गर्भवती थी, गर्भ पूरा हो चुका था, शिकारियों से भागने के लिए टीले पर गयी, उसको एक टीले पर बच्चा हो गया। शेरनी छलांग लगाकर एक टीले से दूसरे टीले पर तो पहुंच गई लेकिन बच्चा नीचे फिसल गया……नीचे भेड़ों की एक कतार गुजरती थी, वह बच्चा उस झुंड में पहुंच गया। था […]
(आर्योदय से संङ्कलित) प्रस्तुति – 📚आर्य मिलन शास्त्रार्थ के विषय की स्थापना पं० शान्तिप्रकाश ने करते हुए कहा कि वेद में ईश्वर की उपासना के द्वारा अपने मन को शुद्ध करके शुभ कर्मो से मोक्ष प्राप्ति के सिद्धान्तों को स्वीकार किया गया है । इस सृष्टि की रचना का प्रयोजन शास्त्रों में भोग और अपवर्ग […]
दिव्य अग्रवाल (लेखक व विचारक) सम्पूर्ण विश्व जानता है की सैकड़ो वर्षों की तपस्या,त्याग,बलिदान और साधना के पश्चात प्रभु श्री राम के मंदिर का भव्य निर्माण श्री अयोध्या धाम में हुआ है । जिसको अगर राजनितिक रूप से देखा जाए तो भाजपा ही एक मात्र राजनितिक दल था जिसका मुख्य उद्देश्य ही प्रभु का मंदिर […]