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आज का चिंतन

ओ३म् “ईश्वर ने हम जीवात्माओं को मनुष्य क्यों बनाया?”

=========== हम मनुष्य कहलाते हैं। हम वस्तुतः सदाचार को धारण कर मनुष्य बन सकते हैं परन्तु सदाचारी व धर्मात्मा मनुष्य बनने के लिये सदाचरण रूपी पुरुषार्थ करना होता है। पुरुषार्थ सहित विद्यार्जन कर विद्या के अनुकूल आचरण करना होता है। क्या हम सब विद्यावान हैं? इसका उत्तर ‘न’ अक्षर में मिलता है। जब हम विद्यावान […]

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अन्तरिक्ष में और महानता में कौन सबसे सर्वोच्च है?

कड़ी मेहनत वाले लोगों के लिए वह क्या है? गर्जते हुए हमले के लिए कौन बल देता है? अन्य लोगों में सर्वोच्च ज्ञान कौन देता है? हमें अपना अधिकार किसे हस्तांतरित करना चाहिए? दिवश्चिदस्य वरिमा वि पप्रथ इन्द्रं न मह्ना पृथिवी चन प्रति। भीमस्तुविष्मांचर्षणिभ्य आतपः शिर्शीते वज्रं तेजसे न वंसगः।। ऋग्वेद मन्त्र 1.55.1 (दिवः) प्रकाशमान […]

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ओ३म् “ईश्वर ने हम जीवात्माओं को मनुष्य क्यों बनाया?”

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। हम मनुष्य कहलाते हैं। हम वस्तुतः सदाचार को धारण कर मनुष्य बन सकते हैं परन्तु सदाचारी व धर्मात्मा मनुष्य बनने के लिये सदाचरण रूपी पुरुषार्थ करना होता है। पुरुषार्थ सहित विद्यार्जन कर विद्या के अनुकूल आचरण करना होता है। क्या हम सब विद्यावान हैं? इसका उत्तर ‘न’ अक्षर में मिलता है। […]

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मन खो – जा प्रभु नाम में , पा अतुलित आनन्द ।

सब प्रकार के शोको से मुक्ति कैसे मिले :- मन खो – जा प्रभु नाम में , पा अतुलित आनन्द । रसानुभूति ब्रह्म की, काटे सारे फन्द ॥2615॥ चित्त की कुटिलता भक्ति में सबसे बड़ी बाधा जिनके चित्त में कुटिलता, प्रभु से कोसों दूर। सहज सरल उर में बसे, सारे जग का नूर॥2616॥ नागफनी है […]

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परमात्मा हमारे लिए क्या धारण करता है और क्यों?

परमात्मा किसको संरक्षित करता है? परमात्मा किसको सहन करता है? सरकारें किसको संरक्षित करती हैं? सरकारें किसको सहन करती हैं? स शेवृधमधि धा द्युम्नमस्मेमहि क्षत्रं जनाषळिन्द्रतव्यम्। रक्षा च नोमघोनः पाहिसूरीन्राये च नः स्वपत्याइषे धा।। ऋग्वेदमन्त्र 1.54.11 (सः) वह (शेवृधम्) प्रसन्नता देता और बढ़ाता है (अधि धाः) अधिकता में धारण करता है (द्युम्नम्) गौरवशाली सम्पदा (अस्मे) […]

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कौन बादलों को नदियों की ओर जाने के लिए प्रेरित करता है?

हमारे मन की वृत्तियों का नाश करके कौन हमें दिव्यता की ओर जाने के योग्य बनाता है? मन की वृत्तियों का क्या स्तर है? अपामतिष्ठद्धरुणह्वरंतमोऽन्तर्वृत्रस्य जठरेषुपर्वतः। अभीमिन्द्रोनद्योवव्रिणाहिताविश्वाअनुष्ठाः प्रवणेषुजिघ्नते।। ऋग्वेदमन्त्र 1.54.10 (अपाम्) जल के, लोगों के (अतिष्ठत्) स्थापित, रूकता है (धरुण ह्वरम्) बुराईयों को धारण करने वाला (तमः) अन्धकार (अन्तः) अन्दर (वृत्रस्य) मेघ, मन की वृत्तियाँ […]

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क़ुरान अली को शिव की कृपा से मिली थी ?

अभी तक मुस्लमान यही मानते आये हैं कि कुरान अल्लाह द्वारा भेजी गयी अंतिम किताब है , और सभी धर्मग्रंथों को निरस्त करने वाली है ,इसी लिए सभी को कुरान पर ईमान रखना चाहिए , मुस्लमान ऐसा इसलिए मानते हैं ,क्योंकि उनको बचपन से ही यही समझाया जाता है , मौजूदा कुरान 23 वर्षों में […]

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कत्लेआम पर वेद और क़ुरान की गवाही

-आर्यवीर आर्य पूर्वनाम मुहम्मद अली (शास्त्रार्थ महारथी अमर स्वामी जी के ट्रैक्ट जिहाद के नाम पर कत्लेआम नामक ट्रैक्ट पर आधारित) सोशल मीडिया के माध्यम से एक वीडियो मेरे देखने में आया। इसमें एक मोमिन यह दिखा रहा है कि वेदों में कत्लेआम, मारकाट, हिंसा का सन्देश दिया गया हैं। मोमिन का कहना है कि […]

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आध्यात्मिकता क्या है?

लेखक- महात्मा नारायण स्वामी प्रस्तुति- दीपक हाडा, प्रियांशु सेठ संसार के अधिकतर मनुष्य आध्यात्मिकता को अच्छा समझते हैं, परन्तु बहुत थोड़े मनुष्य ऐसे मिलेंगे जो शब्द को अच्छा मानने के साथ इनका प्रायोजन भी समझते हैं। मानव का बाह्य भाग शरीर है तथा भीतरी भाग आत्मा, अत: आध्यात्मिकता शब्द ही (जो आत्मा से सम्बन्धित है) […]

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किसको असमानान्तर शक्तियाँ और बुद्धि प्राप्त होती हैं?

पूर्ण समर्पण का क्या महत्त्व है? असमं क्षत्रमसमामनीषाप्रसोमपाअपसासन्तुनेमे। ये त इन्द्रददुषो वर्धयन्तिमहि क्षत्रं स्थविरंवृष्ण्यंच।। ऋग्वेदमन्त्र 1.54.8 (असमम्) असमानान्तर (क्षत्रम्) शक्ति, बल (असमा) असमानान्तर (मनीषा) बुद्धि (प्र – सन्तु से पूर्व लगाकर) (सेमपा) शुभ गुणों का संरक्षक (अपसा) गतिविधियों के साथ (कल्याण की) (सन्तु – प्र सन्तु) अत्यधिक बड़े हुए (नेमे) ये (ये) वे (ते) आपके […]

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