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आज का चिंतन

हम इस संसार में रहते नहीं है बल्कि इस संसार से गुजर रहे हैं

एक व्यक्ति किसी नगर से गुजर रहा था। उसे अपने लक्ष्य पर जाना था। परंतु रास्ते में ही रात हो गई, इसलिए उसे रात को एक धर्मशाला में रुकना पड़ा। “जैसे वह व्यक्ति किसी धर्मशाला में एक रात को ठहर जाता है, वहां की सुविधाओं का लाभ लेता है। यदि वह उन सुविधाओं को अस्थाई […]

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हमारा परमात्मा के साथ क्या सम्बन्ध है?

परमात्मा हमारे जीवन का मूलाधार किस प्रकार है? धरती माता की तुलना परमात्मा से क्यों की जाती है? इमे त इन्द्र ते वयं पुरुष्टुत ये त्वारभ्य चरामसि प्रभूवसो। नहि त्वदन्यो गिर्वणो गिरः सघत्क्षोणीरिव प्रति नो हर्य तद्वचः।। ऋग्वेद मन्त्र 1.57.4 (इमे) ये (ते) आपके (इन्द्र) परमात्मा (ते) आपके वयम्) हम (पुरुष्टुत) पूर्ण करता है और […]

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ओ३म् “धर्म का सत्यस्वरूप एवं मनुष्यों के लिये धर्म पालन का महत्व”

============ संसार में धर्म एवं इसके लिये मत शब्द का प्रयोग भी किया जाता है। यदि प्रश्न किया जाये कि संसार में कितने धर्म हैं तो इसका एक ही उत्तर मिलता है कि संसार में धर्म एक ही है तथा मत-मतान्तर अनेक हैं। संसार में यह पाया जाता है कि विज्ञान के सब नियम सब […]

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हमें दिव्य संगति से क्या लाभ होता है?

दिव्य लक्ष्य निर्धारित करने के क्या लाभ हैं? हमें दिव्य संगति से क्या लाभ होता है? अस्मै भीमाय नमसा समध्वर उषो न शुभ्र आ भरा पनीयसे। यस्य धाम श्रवसे नामेन्द्रियं ज्योतिरकारि हरितो नायसे ।। ऋग्वेद मन्त्र 1.57.3 (अस्मै) यह (भीमाय) शत्रुओं के लिए भयंकर (नमसा) नमन के साथ (सम् आभर से पूर्व लगाकर) (अध्वरे) अहिंसक, […]

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यज्ञ और मानसिक स्वास्थ्य*”

“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””” लेखक आर्य सागर तिलपता अमर वैचारिक क्रांतिकारी ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश के तीसरे समुल्लास (chapter)में ऋषि दयानंद महाराज हवन (अग्निहोत्र )के विषय में लिखते हैं… शंकालु शंका उठाता है | होम/ हवन से क्या उपकार होता है ? ऋषि दयानंद कहते हैं….” सब लोग जानते हैं कि दुर्गंध युक्त वायु और जल से रोग, रोग […]

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🔥ओ३म्🔥* *🌷ईश्वर की भक्ति करो🌷*

* मनुष्य कई प्रकार के नशों का पान करता है, भांग, शराब, गांजा, अफीम, आदि का सेवन करता है उससे मनुष्य को एक प्रकार का नशा सा प्रतीत होता है जो उसका नाश करने वाला होता है। प्रभु भक्ति भी एक नशा है जिसके सेवन से नाश या ह्रास नहीं अपितु उसका विकास होने लगता […]

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हमारा दिव्य लक्ष्य क्या होना चाहिए?

जब कोई व्यक्ति अपनी गौरवशाली सम्पदा का प्रयोग उचित प्रकार से करता है और उपभोक्तावाद से ऊपर उठ जाता है तो क्या होता है? हमारा दिव्य लक्ष्य क्या होना चाहिए? क्या सर्वोच्च दिव्यता हमारे दिव्य लक्ष्यों में हमारी सहायता करती है? अध ते विश्वमनु हासदिष्टय आपो निम्नेव सवना हविष्मतः। यत्पर्वते न समशीत हर्यत इन्द्रस्य वज्रः […]

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ओ३म् “वेद और आर्यसमाज देश व समाज की प्रमुख सम्पत्ति व शक्ति हैं”

============= आर्यसमाज का अस्तित्व वेद पर आधारित है। वेद ईश्वरीय ज्ञान और सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। वेद ज्ञान व विज्ञान से युक्त व इनके सर्वथा अनुकूल है। वेद विद्या के ग्रन्थ हैं। वेद में अन्य ग्रन्थों के समान, कहानी किस्से व किसी आचार्य व मत प्रवर्तक के उपदेश नहीं हैं अपितु वेदों में […]

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धर्म का उद्गम स्थल क्या है?

#डॉविवेकआर्य स्वामी रामतीर्थ के इस कथन की भारत में गंगा पवित्र नदी है से प्रभावित होकर एक अमेरिकी महिला भारत जब कोलकाता आई तो गंगा की हालत को देखकर उसे स्वामी जी के कथन पर विश्वास न हुआ। उसने स्वामी जी से इस शंका का समाधान पूछा तो स्वामी जी ने बताया की गंगा के […]

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आज का चिंतन

● यह सब गड़बड़ घोटाला प्रभु के स्वरूप को ठीक से न समझने के कारण ही हुआ है ●

पण्डित शिवकुमार शास्त्री (भूतपूर्व संसद्-सदस्य) परमात्मा सर्वशक्तिमान्, सर्वव्यापी और अन्तर्यामी है, अतएव यह निराकार है। हेतु यह है कि साकार वस्तु सीमाबद्ध रहेगी और जो चीज सीमित होगी उसके गुण और कर्म भी सीमित ही रहेंगे । जिसकी शक्ति सीमा में होगी वह सर्वशक्तिमान् कैसे हो सकता है? यह ठीक है कि प्रत्येक निराकार सर्वशक्तिमान् […]

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