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आज का चिंतन

सर्वोच्च चेतना में जीवन कैसे जीयें?

एक अग्नि पुरुष की तरह किसको दिव्य जीवन प्राप्त होता है? दधुष्द्वा भृृगवो मानुषेष्वा रयिं न चारुं सुहवं जनेभ्यः। होतारमग्ने अतिथिं वरेण्यं मित्रं न शेवं दिव्याय जन्मने ।। ऋग्वेद मन्त्र 1.58.6 (Total verse 679) (दधुः – आ दधुः) पूर्ण रूप से धारण करता है (त्वा) आपको (भृृगवः) ज्ञान में परिपक्व (मानुषेषु) मनुष्यों में (आ – […]

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ओ३म् “पापों में वृद्धि का कारण ईश्वर द्वारा जीवों को प्राप्त स्वतन्त्रता का दुरुपयोग”

============= संसार में मनुष्य पाप व पुण्य दोनों करते हैं। पुण्य कर्म सच्चे धार्मिक ज्ञानी व विवेकवान् लोग अधिक करते हैं तथा पाप कर्म छद्म धार्मिक, अज्ञानी, व्यस्नी, स्वार्थी, मूर्ख व ईश्वर के सत्यस्वरूप से अनभिज्ञ लोग अधिक करते हैं। इसका एक कारण यह है कि अज्ञानी लोगों को कोई भी बहका फुसला सकता है। […]

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ओ३म् “पापों में वृद्धि का कारण ईश्वर द्वारा जीवों को प्राप्त स्वतन्त्रता का दुरुपयोग”

============= संसार में मनुष्य पाप व पुण्य दोनों करते हैं। पुण्य कर्म सच्चे धार्मिक ज्ञानी व विवेकवान् लोग अधिक करते हैं तथा पाप कर्म छद्म धार्मिक, अज्ञानी, व्यस्नी, स्वार्थी, मूर्ख व ईश्वर के सत्यस्वरूप से अनभिज्ञ लोग अधिक करते हैं। इसका एक कारण यह है कि अज्ञानी लोगों को कोई भी बहका फुसला सकता है। […]

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ओ३म् “परम दयालु, कृपालु और हमारा हितैषी परमेश्वर”

============ यदि हम विचार करें कि संसार में हमारे प्रति सर्वाधिक प्रेम, दया, सहानुभूति कौन रखता है, कौन हमारे प्रति सर्वाधिक सम्वेदनशील, हमारे सुख में सुखी व दुःख आने पर उसे दूर करने वाला, हमारे प्रति दया, कृपा व हित की कामना करने वाला है, तो हम इसके उत्तर में अपने माता-पिता, आचार्य और परमेश्वर […]

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🌿🌹ईश्वरोपासना🌹🌿

🌿🌿🌿🌿ओ३म्🌿🌿🌿🌿 🌺🌼🌹🌿🌻🌺🌼🌹🌻🌺 क्या शरीर की पुष्टि ही जीवन का लक्ष्य है? पौष्टिक आहार, व्यायाम और संयम द्वारा मनुष्य को अपना शरीर तो पुष्ट करना ही चाहिए, परन्तु इसी की पुष्टि मात्र ही जीवन का लक्ष्य नहीं है। भर्तृहरि जी महाराज ने शरीर की स्थिति का बहुत सुन्दर शब्दों में चित्रण किया है― यदा मेरु: श्रीमान्निपतति […]

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ओ३म् “जीवात्मा के भीतर व बाहर व्यापक परमात्मा को जानना हमारा मुख्य कर्तव्य”

=========== संसार में अनेक आश्चर्य हैं। कोई ताजमहल को आश्चर्य कहता है तो कोई लोगों को मरते हुए देख कर भी विचलित न होने और यह समझने कि वह कभी नहीं मरेगा, इस प्रकार के विचारों को आश्चर्य मानते हैं। हमें इनसे भी बड़ा आश्चर्य यह प्रतीत होता है कि मनुष्य स्वयं को यथार्थ रूप […]

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*वट अमावस्या या वट सावित्री पूजा*

डॉ डी के गर्ग साभार –भारतीय पर्व एवं परम्पराये -द्वारा डॉ डी के गर्ग पर्व का समय – वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को रखा जाता है। पौराणिक मान्यता: स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए इस दिन व्रत रखती हैं और बरगद की […]

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जब एक इन्द्र पुरुष अग्नि पुरुष बन जाता है तो क्या होता है?

महान् सन्त किस प्रकार एक छोटी सी चिन्गारी से आध्यात्मिकता की अग्नि को जला पाये थे? नू चित्सहोजा अमृतो नि तुन्दते होता यद्दूतो अभवाद्विवस्वतः। वि साधिष्ठेभिः पथिभी रजो मम आ देवताता हविषा विवासति।। ऋग्वेद मन्त्र 1.58.1 (नू चित्) निश्चित रूप से अत्यन्त शीघ्र (सहोजा) बल पैदा करने वाला (अमृतः) न मरने योग्य, मुक्ति की अवस्था […]

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बौद्ध पंथ –एक विस्तृत अध्ययन* 9

* डॉ डी क गर्ग –भाग-9 नोट : प्रस्तुत लेखमाला ९ भाग में है ,ये वैदिक विद्वानों के द्वारा समय समय पर लिखे गए लेखो के संपादन द्वारा तैयार की गयी है ,जिनमे मुख्य विद्यासागर वर्मा ,पूर्व राजदूत, कार्तिक अय्यर, गंगा प्रसाद उपाधयाय प्रमुख है। कृपया अपने विचार बताये और फॉरवर्ड भी करें । गौतम […]

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परमात्मा किस प्रकार सर्वोच्च शक्ति है?

परमात्मा किस प्रकार सर्वोच्च शक्ति है? क्या परमात्मा हमारे सभी सपनों और इच्छाओं को पूर्ण करते हैं? भूरि त इन्द्र वीर्यं1 तव स्मस्यस्य स्तोतुर्मघवन्काममा पृण। अनु ते द्यौर्बृहती वीर्यं मम इयं च ते पृथिवी नेम ओजसे।। ऋग्वेद मन्त्र 1.57.5 (भूरि) बहुत अधिक (ते) आपकी (इन्द्र) सर्वोच्च शक्ति, परमात्मा (वीर्यम्) बल और शक्ति (तव) आपकी (स्मसि) […]

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