परमात्मा मेहनत करने वाले और मननशील मनुष्यों का नियामन कैसे करता है? दिवश्चित्ते बृहतो जातवेदो वैश्वानर प्र रिरिचे महित्वम्। राजा कृष्टीनामसि मानुषीणां युधा देवेभ्यो वरिवश्चकर्थ ।। ऋग्वेद मन्त्र 1.59.5 (कुल मन्त्र 687) (दिवः चित्त) सभी दिव्यताओं से भी (ते) आपकी (बृहतः) व्यापक, फैली हुई (जातवेदः) सभी को पैदा करने वाला और समस्त उत्पन्न को जानने […]
संघर्ष और सफलता में क्या सम्बन्ध है?
