केदार देख रहा हैसब सुन रही है गंगा डॉ. दीपक आचार्य9413306077dr.deepakaacharya@gmail.com जो कुछ हाल के दिनों में अकस्मात हो गया, नहीं होना था वह सब हो गया। पहाड़ों से फिसल गए विपदाओं के पहाड़, और गंगा मैया अपना समस्त वात्सल्य, ममता और शालीनता छोड़कर पहाड़ों से रौद्र रूप धारण कर बह चली बस्तियों और मैदानों की ओर। फिर […]
श्रेणी: आज का चिंतन
भगवान को पसंद हैं श्रद्धा और एकांतसंसार से मुक्त होने चाहिएं तीर्थ डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com भगवान चरम शांति, महा आनंद और शाश्वत आत्मतोष प्रदाता है और उसे वे ही स्थान पसंद होते हैं जहाँ असीम शांति हो, पंच तत्वों से भरपूर उन्मुक्त प्रकृति का आक्षितिज विस्तार हो और सदा बहती रहें श्रद्धा और आस्था की […]
नर-नारायण के धाम पर ये कैसा पैशाचिक ताण्डव – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com यह वही दैवभूमि है जहाँ भगवान […]
हे कबीर ! लौट आओ जरूरत है मूर्दों में जान फूँकने की डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com हे कबीर ! तुम्हारे जाने के बाद आज फिर तुम्हारी याद में बेसब्र हैं हम। आज वही युग फिर लौट आया है जो तुम्हारे समय था। उन दिनों विषमताओं का रंग-रूप कुछ और किस्म का था, आज आधुनिकताओं की […]
दरिद्री और दुःखी रहते हैंमितव्ययताहीन मूकदर्शक – डॉ. दीपक आचार्य9413306077dr.deepakaacharya@gmail.com जो लोग अपने जीवन में मितव्ययता नहीं बरतते हैं वे जीवन भर दुःखी और दरिद्री रहते हैं और इन लोगों का कोई ईलाज नहीं है। ऎसे लोगों में दो प्रकार की किस्मे होती हैं।एक वे हैं जो खुद का पैसा बचाने के लिए ही मितव्ययी हैं, दूसरों का […]
अविश्वसनीय होते हैं बात-बात में कसम खाने वाले डॉ. दीपक आचार्य 94330607 dr.deepakaacharya@gmail.comआदमियों की कई सारी किस्मों में से एक किस्म उन लोगों की है जो बात-बात में कसम खाया करते हैं और उन लोगों को अपनी किसी भी बात को पुष्ट करने या आधार प्रदान करने के लिए किसी न किसी की सौगंध खाने […]
जहाँ व्यवसायिक मनोवृत्तिवहां न धर्म-कर्म न समाजसेवा – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com दुनिया में जहां मानवीय मूल्यों को प्रधानता प्राप्त है वहाँ लोक सेवा, परोपकार और सदाशयता के साथ ही तमाम नैतिक मूल्यों और आदर्शो को […]
भूखे-प्यासे रहें आस-पास के प्राणीतो कर्मकाण्ड-अनुष्ठान सब हैं बेमानी डॉ. दीपक आचार्य9413306077dr.deepakaacharya@gmail.com धर्म जैसे विराट आकाश को लोगों ने कर्मकाण्ड, यज्ञ और अनुष्ठानों या कि नाम कमाने के लिए किए जाने वाले तथाकथित पुण्य कर्मों तक ही सीमित कर दिया है।भीषण गर्मी के इस दौर में जहां आदमी सारे जतन करने के बाद भी झुलसने लगा […]
प्रेमपूर्वक उपेक्षित ही रखें मूर्खों और नासमझों कोडॉ. दीपक आचार्य9413306077dr.deepakaacharya@gmail.comहमारी दैनंदिन जिन्दगी में कई सारे मौके ऎसे आते हैं जब नासमझों और मूर्खों से पाला पड़ता है। हमारे संपर्क में आने वाले लोगों में यदि समझदार हों तो उनसे चर्चा करना और उन्हें समझाना ज्यादा आसान होता है लेकिन खूब सारे लोग ऎसे होते हैं […]
जो हैंजैसे हैं उन्हें स्वीकारें आत्म अनुकूलताएँ लाएंडॉ. दीपक आचार्य941330607dr.deepakaacharya@gmail.com जीवन में सभी प्रकार की अनुकूलताएं हमेशा प्राप्त नहीं होती। हमारे जीवन, आस-पास और परिवेश में जो कुछ होता है उसका हम पर अच्छा-बुरा प्रभाव निश्चय ही पड़ता है। कई बार जब अच्छी स्थितियां होती हैं तब हमें प्रसन्नता होती है और जब हमारे लिए प्रतिकूल […]