जीवन निर्वाह की दो-तीन धाराएँ हैं जिन पर चलते हुए हम पूरी जिंदगी गुजार दिया करते हैं। एक वे हैं जो अपने हुनर और दक्षता के अनुरूप कर्मयोग में रमे रहते हैं और हर घटना-दुर्घटना और हलचल को भगवान का प्रसाद मानकर चलते हैं। दूसरी किस्मों के लोग जो कुछ कर रहे हैं वह सभी […]
श्रेणी: आज का चिंतन
कुछ चीजें भगवान ने हमें नहीं दी हैं, उनका आविष्कार हम महान मनुष्यों ने कर लिया है। हमारी कई सारी आदतें ऎसी हैं जिनका हमारे पूरे जीवन या रोजमर्रा के काम-काज से किसी प्रकार का प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता, मगर हमने उन्हें इतना अपना रखा है कि कुछ कहा नहीं जा सकता। इन्हीं ढेरों आदतों […]
ग्रामीण संस्कृति में ग्राम देवताओं और लोक देवताओं तथा लोक देवियों के दर्शन-पूजन-अर्चन की विशेष परंपरा सदियों से विद्यमान रही है। इनके प्रति ग्रामीणों की अगाध आस्था होती है और यही कारण है कि साल भर में कई बार विशेष पर्व-उत्सवों और मेलों-त्योहारों पर इन आस्था स्थलों पर विशेष आयोजन होते हैं जिनमें गांव भर […]
यह सृष्टि पंच महाभूतों की ही बनी हुई है और उन्हीं के आधार पर जड़-चेतन सब कुछ टिका हुआ है। हर तत्व का अपना वजूद है, तत्वों का संयोग विभिन्न प्रकार की सृष्टि और निरन्तर सृजन-परिवर्तन का आदि जनक है। इन पंच तत्वों आकाश, अग्नि(तेज), वायु, जल और पृथ्वी का ही सारा व्यापार सर्वत्र दृष्टिगोचर […]
यह संसार एक मेला है जिसमें प्रमुख रूप से दो ही तरह के लोग हैं। एक वे लोग हैं जो भीड़ में शामिल हो जाते हैं और भीड़ का चरित्र अपनाकर भीड़ की तरह ही रहते हैं और सारे काम वे ही करते रहते हैं जो भीड़ करती रही है। भीड़ में शामिल लोग भीड़ […]
मनुष्यों की पूरी की पूरी प्रजाति आजकल दो भागों में बँटी हुई दिखती है। एक वे हैं जो काम करने वाले हैं, इन्हें किसी से कोई शिकायत नहीं रहती, जो काम मिला, जो दिया गया उसे चुपचाप कर लिया और मस्त। ऎसे लोगों का प्रतिशत हालांकि घटता जा रहा है तथापि इन्हीं लोगों के पुण्य […]
आज का चिंतन (31 जुलाई, 2014)। वर्तमान युग का सबसे बड़ा पुण्य यही है कि सकारात्मक चिन्तन करें और सज्जनों को संरक्षण दें। समाज-जीवन, परिवेश और अपने क्षेत्र में जहाँ कहीं अच्छे लोग विद्यमान हैं उनको संरक्षित करने का काम समाज का है। समाज जब-जब भी इस दिशा में उदासीन हुआ है, समस्याओं से घिरता […]
(29 जुलाई 2014 के लिए) समय मिलता नहीं, चुराना सीखें आम तौर पर यह जुमला मशहूर है कि समय नहीं मिलता। किसी काम वाले से पूछें या महान से महान निकम्मे से, सारे के सारे एक वाक्य तकरीबन रोजाना और कितनी ही बार कहते रहे हैं कि समय नहीं मिलता, क्या करें। आदमी को अपने […]
हर जगह विद्यमान हैं मायावी स्पीड ब्रेकर – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com हर विचार और कर्म का अपना निर्धारित प्रवाह होता है जो अपने आप चलता चला जाता है और परिणाम देता रहता है। यह जीवन से लेकर जगत तक का क्रम स्वतः और स्वाभाविक रूप से चला आ रहा है और चलता रहेगा। […]
चर्चा उसी से करें जिससे उसका संबंध हो – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com आजकल हर जगह अजीब सी बात ये हो रही है कि हम लोग अपनी बातें मन-तन से बाहर निकालने के लिए उनके सामने रोना रो लिया करते हैं जिनका इससे कोई संबंध नहीं होता। जिन लोगों का हमारी किसी बात से […]