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आज का चिंतन भारतीय संस्कृति

अधिकार से पहले कर्तव्य : अध्याय 3 , माता पिता के प्रति हम क्यों बनें सेवाभावी ?

माँ का हमारे जीवन में अति महत्वपूर्ण स्थान है । माँ के बिना हमारे जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती । माँ है तो यह संसार चल रहा है और यदि संसार में मातृशक्ति नहीं है तो संसार का विनाश निश्चित है । यही कारण रहा है कि संसार में मातृशक्ति का सम्मान करने […]

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आज का चिंतन

स्वाध्याय एवं ईश्वर उपासना जीवन में आवश्यक एवं लाभकारी हैं

मनुष्य आत्मा एवं शरीर से संयुक्त होकर बना हुआ एक प्राणी हैं। आत्मा अति सूक्ष्म तत्व व सत्ता है। इसे शरीर से संयुक्त करना सर्वातिसूक्ष्म, सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अनादि, नित्य व अविनाशी ईश्वर का काम है। आत्मा स्वयं माता के गर्भ में जाकर जन्म नहीं ले सकती। आत्मा को माता के शरीर में भेजना, […]

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प्रवासी मजदूरों के पलायन से देश के विकास मॉडल पर उठे बड़े सवाल

प्रह्लाद सबनानी उद्योग धंधे सामान्यतः उन इलाक़ों में अधिक स्थापित किए गए जहाँ कच्चा माल उपलब्ध था अथवा उन इलाक़ों में जहाँ उत्पाद का बाज़ार उपलब्ध था। महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु आदि प्रदेशों में इन्हीं कारणों के चलते अधिक मात्रा में उद्योग पनपे हैं। देश में पलायन की समस्या इतनी विकराल तब दिखी जब कोरोना वायरस […]

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मोदी ने दर्शाया भारतीयों की जान सबसे कीमती है

प्रह्लाद सबनानी यदि आज हम दुनिया के विकसित देशों के आँकड़े देखें तो पाते हैं कि भारत आज बहुत ही सम्भली हुई स्थिति में हैं। डेढ़ से दो माह पहले ये समस्त विकसित देश एवं भारत लगभग साथ खड़े थे। परंतु आज विकसित देशों में 25/30 गुणा से ज़्यादा मरीज़ हो गए हैं। आज पूरे […]

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डूब जाओ आनंद के गहरे सागर में

  आर्य जगत के सुप्रसिद्ध विद्वान और भजनोपदेशक रहे नत्था सिंह जी ने बहुत सुंदर भजन बनाया है , जिसे वे अक्सर गाया करते थे । उसे मैं यहां पर यथावत प्रस्तुत कर रहा हूं :- गर जन्म लिया है तो तुझे मरना ही पड़ेगा। वह काम किया है तो यह करना ही पड़ेगा। इच्छाओं […]

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सत्यार्थ प्रकाश – चतुर्थ समुल्लास – नियोग प्रकरण

  पति और स्त्री का वियोग दो प्रकार का होता है- [प्रथम], कहीं कार्यार्थ देशान्तर में जाना और दूसरा, मृत्यु से वियोग होना। इनमें से प्रथम का उपाय यही है कि दूर देश में यात्रार्थ जावे तो स्त्री को भी साथ रक्खे। इसका प्रयोजन यह है कि बहुत समय तक वियोग न रहना चाहिये। प्रश्न- […]

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महामारी के बाद भुखमरी ?

सरस्वती रमेश कोरोना से आज दुनिया त्रस्त है। जिधर देखिए उधर ही बस कोरोना का रोना। यह रोना भले ही आज जितना भी तेज हो लेकिन आने वाले दिनों में कम होगा और अंततः खत्म होने की हम उम्मीद भी करते हैं। कोरोना को लेकर विज्ञान की जो असहायता दिख रही है वह दूर होगी। […]

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क्या है शम्बूक वध का सत्य

  मर्यादापुरुषोतम श्री रामचंद्र जी महाराज के जीवन को सदियों से आदर्श और पवित्र माना जाता हैं। कुछ विधर्मी और नास्तिकों द्वारा श्री रामचन्द्र जी महाराज पर शम्बूक नामक एक शुद्र का हत्यारा होने का आक्षेप लगाया जाता हैं। सत्य वही हैं जो तर्क शास्त्र की कसौटी पर खरा उतरे। हम यहाँ तर्कों से शम्बूक […]

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कोरोना : असंभव को भी संभव कर सकता है भारत

ललित गर्ग कोरोना रूपी अंधेरों के बीच उजाले भी बहुत हैं और वे उजाले ही इस महासंकट से मुक्ति की राह बन रहे हैं। ऐसे ही उजालों में लाखों लोगों के बीच रोज मुफ्त का भोजन वितरित करना भी हमारे समाज की स्तब्ध करने वाली वास्तविकता है। हम कोरोना रूपी मानव इतिहास की सबसे बड़ी […]

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राजा जनक तथा अष्टावक्र का प्रसंग और वर्तमान राजनीति

न्याय प्राप्ति के लिए व्यक्ति का निर्भीक होना आवश्यक है। यदि व्यक्ति में निर्भीकता नही है, तो वह न्याय की प्राप्ति नही कर सकता। यही बात इतिहास के लिखने के संदर्भ में भी जाननी समझनी चाहिए। इतिहास लेखन में न्याय आवश्यक है, अन्यथा आप अपनी आने वाली पीढिय़ों के साथ न्याय नही कर पाएंगे। एक […]

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