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आज का चिंतन

माता पिता की सेवा से ही संतान का जीवन सफल व सुखी होता है

ओ३म् ======== हम इस संसार में माता-पिता के द्वारा जन्म प्राप्त पर यहां आये हैं। यदि हमारे माता-पिता न होते तो हमारा जन्म नहीं हो सकता था। हमारे जन्म की जो प्रक्रिया है उसमें हमारे माता-पिता को अनके प्रकार के कष्ट उठाने तथा पुरुषार्थ करने पड़ते हैं। यह ऐसा कार्य है कि जो कोई किसी […]

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मानव जीवन में ज्ञेय कुछ मौलिक प्रश्नों पर विचार व उनके समाधान

ओ३म् ========== इस अनन्त संसार में हम अनन्त प्राणियों में से एक प्राणी है जिसका मुख्य उद्देश्य ज्ञान प्राप्ति करना है। ज्ञान यह प्राप्त करना है कि हम कौन हैं, कहां से आये हैं, कहां जाना हैं? हमारा अस्तित्व कब से है, यह अस्तित्व कब व कैसे अस्तित्व में आया, इसका भविष्य में क्या होगा? […]

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सत्य के ग्रहण करने और अंधविश्वासों का त्याग करने में ही जीवन की सार्थकता है

ओ३म् =========== मनुष्य को मनुष्य का जन्म ज्ञान की प्राप्ति तथा उसके अनुसार आचरण करने के लिये मिला है। यदि मनुष्य सत्यज्ञान की प्राप्ति के लिये प्रयत्न नहीं करता तो उसका अज्ञान व अन्धविश्वासों में फंस जाना सम्भव होता है। अज्ञानी मनुष्य अपने जीवन में लौकिक एवं पारलौकिक उन्नति नहीं कर सकते। सत्यज्ञान को अप्राप्त […]

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आओ कुछ जाने आज का चिंतन

क्या आर्य समाज एक अलग पंथ या संप्रदाय है ?

आर्य समाज एक क्रन्तिकारी आन्दोलन है जिसका मुख्य उद्देश्य समाज में फैले विभिन्न-प्रकार के पाखंड, मत-मतान्तर,जाति-पाती, अनेक-प्रकार के सम्प्रदायो ,मूर्ति-पूजा,आदि अन्धविश्वास को दूर करने वाला एक विश्वव्यापी आन्दोलन है इसके प्रवर्तक भगवतपात महर्षि देव दयानन्द सरस्वती है ! आर्यसमाज के बारे में भ्रान्तिया: 1 .आर्यसमाजी ईश्वर को नहीं मानते? उत्तर:- गलत। आर्य समाजी ही ईश्वरवादी […]

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मनुष्य की पूर्ण आत्मोन्नति वेद ज्ञान और आचरण से ही संभव है

ओ३म् ============ मनुष्य का शरीर जड़ प्रकृति से बना होता है जिसमें एक सनातन, शाश्वत, अनादि, नित्य चेतन सत्ता जिसे आत्मा के नाम से जाना जाता है, निवास करती है। जीवात्मा को उसके पूर्वजन्मों के कर्मों का भोग कराने के लिये ही परमात्मा उसे जन्म व शरीर प्रदान करते हैं। शुभ व पुण्य कर्मों की […]

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आइए जानें , जीवात्मा क्या है ?

जीवात्मा क्या है ?जो मनुष्य वेद शास्त्र पढने पर भी आत्मा को नहीं जानता है उन मनुष्यों की स्थिति स्वादिष्ट भोजन की पतीली में कड़छी की भॉति होती है जो स्वादिष्ट भोजन को रखती है परंतु उसे उसके स्वाद का पता नहीं होता | आत्मग्यान से रहित मनुष्य की भी यही अवस्थाएं होती हैं | […]

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केवल सांसारिक भोगों में ही जीवन का सच्चा सुख नहीं है

*केवल सांसारिक भोगों में ही जीवन का सर्वोच्च सुख नहीं है। वह तो आत्मा परमात्मा को जानने पर ही मिलता है।* संसार में लाखों योनियाँ हैं, जिनमें से केवल एक ही मनुष्य योनि विशेष सुविधाओं से युक्त है। शेष पशु पक्षी आदि योनियाँ तो प्रायः भोग योनियाँ हैं। उनमें कोई विशेष बुद्धि हाथ पैर कर्म […]

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पंडित लेखराम जी के जीवन का एक प्रेरणादाई संस्मरण

* प्रस्तुति : आर्य सागर खारी *एक युवक ने अमृतसर नगर में दीवार पर एक व्यक्ति को इश्तिहार लागाते हुए देखा व उसे पढ़ा*। *उसके अनुसार उस दिन आर्यसमाज मन्दिर में ऋषिभक्त पंडित लेखराम जी का प्रवचन होना था। वह युवक आर्यसमाज* *मन्दिर, अमृतसर में प्रवचन से काफी समय पहले पहुंच गया। वहां उसने देखा […]

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सभ्यता और असभ्यता को पहचानो

🌹🌹🌹🌹 अपने व्यवहार को शुद्ध एवं सभ्यतापूर्ण बनाए रखें। एक व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति से पूछा कि, *क्या आप मुझे 2 मास के लिए 5,000/- रुपये उधार दे सकते हैं?* दूसरे व्यक्ति ने कहा, *मैं आपको कल दोपहर 12:00 बजे तक उत्तर दूंगा।* पूछने वाले ने कहा, *हां या न. जो भी हो, उत्तर अवश्य […]

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जीवन में संयम , सीमित आवश्यकता एवं शक्ति संचय आवश्यक है

ओ३म् ========== संसार में सभी जीवन पद्धतियों में वैदिक धर्म एवं तदनुकूल जीवन पद्धति श्रेष्ठ व महत्वूपर्ण है। इसे जानकर और इसके अनुसार जीवन व्यतीत करने पर मनुष्य अनेक प्रकार की समस्याओं से बच जाता है। मनुष्य को अपनी शारीरिक शक्तियों के विकास वा उन्नति पर ध्यान देना चाहिये। इसके लिये उसे समय पर जागना, […]

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