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आज का चिंतन

ईश्वर की आज्ञा पालन के लिए सबको अग्निहोत्र यज्ञ करना चाहिए

ओ३म् ============ परमात्मा इस संसार का स्वामी है। उसी ने इस संसार को बनाया और वही संसार का पालन कर रहा है। इस संसार को बनाने का उद्देश्य परमात्मा द्वारा अनादि तथा नित्य जीवों को उनके पूर्वजन्मों के अनुसार उनके योग्य प्राणी योनियों में जन्म देना, उनके कर्मों के अनुसार उन्हें सुख व दुःख देना, […]

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आज का निकृष्ट और उस समय का उत्कृष्ट भारतीय समाज

बलात्कार की घटनाएं नित प्रतिदिन tv समाचार पत्रों आदि में पढ़ सुन देख दिल दहल जाता है प्रश्न आता है इन बलात्कारियों की क्या सजा हो जिससे नारी सुरक्षित हो। और देश में लूटपाट जैसे जघन्य अपराध न हों । हमारे शास्त्र क्या कहते हैं आइये जानते हैं श्रुति स्मृति क्या कहती है स्त्रियों को […]

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मनुष्य को आत्मा और परमात्मा के सत्य स्वरूप को जानना चाहिए

ओ३म् ========= मनुष्य एक ज्ञान प्राप्त करने में सक्षम प्राणी को कहते हैं। मनुष्य नाम मनुष्य के मननशील व सत्यासत्य का विवेक करने के कारण पड़ा है। वेदों में मनुष्य के लिए कहा गया है ‘मनुर्भव’ अर्थात् ‘हे मनुष्य! तू मनुष्य बन।’ इसका अर्थ है कि परमात्मा ने सभी मनुष्यों को प्रेरणा की है कि […]

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यज्ञमय शाकाहार युक्त वैदिक जीवन ही सर्वोत्तम जीवन है

ओ३म् =================== वेद सृष्टि के प्राचीनतम ग्र्रन्थ हैं। वेदों के अध्ययन से ही मनुष्यों को धर्म व अधर्म का ज्ञान होता है जो आज भी प्रासंगिक एवं सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। वर्तमान में संसार में जो मत-मतान्तर प्रचलित हैं वह सब भी वेद की कुछ शिक्षाओं से युक्त हैं। उनमें जो अविद्यायुक्त कथन व मान्यतायें हैं […]

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आत्मा अनादि अविनाशी व जन्म मरणधर्मा है तथा मोक्ष की कामना से युक्त है

ओ३म् =============== संसार में तीन अनादि तथा नित्य पदार्थ हैं। यह पदार्थ हैं ईश्वर, जीवात्मा तथा प्रकृति। ईश्वर सत्य चित्त आनन्दस्वरूप एवं सर्वज्ञ है। आत्मा सत्य, चेतन एवं अल्पज्ञ है। प्रकृति सत्य एवं जड़ सत्ता है। अनादि पदार्थ वह होते हैं जिनका अस्तित्व सदा से है और सदा रहेगा। इन्हें किसी अन्य सत्ता ने उत्पन्न […]

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क्या है पुनर्जन्म के बारे में भारतीय वैदिक दृष्टिकोण ?

आज का चिंतन पुनर्जन्म सिद्धान्त समीक्षा :- प्रश्न :- पुनर्जन्म किसे कहते हैं ? उत्तर :- आत्मा और इन्द्रियों का शरीर के साथ बार बार सम्बन्ध टूटने और बनने को पुनर्जन्म या प्रेत्याभाव कहते हैं । प्रश्न :- प्रेत किसे कहते हैं ? उत्तर :- जब आत्मा और इन्द्रियों का शरीर से सम्बन्ध टूट जाता […]

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मनुष्यों के दो प्रमुख आवश्यक कर्तव्य संध्या एवं देव यज्ञ अग्निहोत्र

ओ३म् =========== मनुष्य एक मननशील प्राणी है। इसके पास विचार करने तथा सत्य व असत्य का निर्णय करने के लिए परमात्मा से बुद्धि प्राप्त है। जैसी मनुष्यों के पास मनन करने योग्य बुद्धि होती है वैसी मनुष्येतर प्राणियों के पास नहीं होती। इस कारण मनुष्य संसार में अन्य प्राणियों की तुलना में एक भाग्यशाली प्राणी […]

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सावधान ! बहुत जल्दी खत्म हो जाएगी हमारे बीच से यह पीढ़ी

आने वाले 10/15 साल में एक पीढी,संसार छोड़ कर जाने वाली है, . कड़वा है,लेकिन सत्य है। इस पीढ़ी के लोग बिलकुल अलग ही हैं… रात को जल्दी सोने वाले, सुबह जल्दी जागने वाले,भोर में घूमने निकलने वाले। आंगन और पौधों को पानी देने वाले, देवपूजा के लिए फूल तोड़ने वाले, पूजा अर्चना करने वाले, […]

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विश्व समुदाय द्वारा वेदों की उपेक्षा करना दुर्भाग्यपूर्ण है

ओ३म् ============= वेद ईश्वर प्रदत्त सब सत्य विद्याओं का ज्ञान है जो सृष्टि की आदि में अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा को प्राप्त हुआ था। इस सृष्टि को सर्वव्यापक, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान तथा सच्चिदानन्दस्वरूप आदि लक्षणों वाले परमात्मा ने ही बनाया है। उसी परमात्मा ने सभी वनस्पतियांे व ओषधियों सहित […]

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हमें मनुष्य जन्म वेद धर्म के पालन और मोक्ष की प्राप्ति के लिए मिला है

ओ३म् =========== संसार में बहुत कम मनुष्य ऐसे हैं जो अपने जीवन के उद्देश्य पर विचार करते हैं। यदि वह ऐसा करते हैं और उन्हें सौभाग्य से कोई सद्गुरु या सत्साहित्य प्राप्त हो जाये, तो ज्ञात होता है कि हमें हमारा यह जन्म परमात्मा ने हमारे पूर्व जन्म के कर्मों के आधार पर शुभ व […]

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