ओ३म् =========== मनुष्य एक मननशील प्राणी है। इसके पास विचार करने तथा सत्य व असत्य का निर्णय करने के लिए परमात्मा से बुद्धि प्राप्त है। जैसी मनुष्यों के पास मनन करने योग्य बुद्धि होती है वैसी मनुष्येतर प्राणियों के पास नहीं होती। इस कारण मनुष्य संसार में अन्य प्राणियों की तुलना में एक भाग्यशाली प्राणी […]
श्रेणी: आज का चिंतन
आने वाले 10/15 साल में एक पीढी,संसार छोड़ कर जाने वाली है, . कड़वा है,लेकिन सत्य है। इस पीढ़ी के लोग बिलकुल अलग ही हैं… रात को जल्दी सोने वाले, सुबह जल्दी जागने वाले,भोर में घूमने निकलने वाले। आंगन और पौधों को पानी देने वाले, देवपूजा के लिए फूल तोड़ने वाले, पूजा अर्चना करने वाले, […]
ओ३म् ============= वेद ईश्वर प्रदत्त सब सत्य विद्याओं का ज्ञान है जो सृष्टि की आदि में अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा को प्राप्त हुआ था। इस सृष्टि को सर्वव्यापक, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान तथा सच्चिदानन्दस्वरूप आदि लक्षणों वाले परमात्मा ने ही बनाया है। उसी परमात्मा ने सभी वनस्पतियांे व ओषधियों सहित […]
ओ३म् =========== संसार में बहुत कम मनुष्य ऐसे हैं जो अपने जीवन के उद्देश्य पर विचार करते हैं। यदि वह ऐसा करते हैं और उन्हें सौभाग्य से कोई सद्गुरु या सत्साहित्य प्राप्त हो जाये, तो ज्ञात होता है कि हमें हमारा यह जन्म परमात्मा ने हमारे पूर्व जन्म के कर्मों के आधार पर शुभ व […]
ओ३म् ========== हमारा यह संसार प्रकृति से बना है। प्रकृति की संसार में स्वतन्त्र सत्ता है। इस अनादि व कारण प्रकृति को परमात्मा व अन्य किसी सत्ता ने नहीं बनाया है। इस प्रकृति का अस्तित्व स्वयंभू और अपने आप है। प्रकृति की ही तरह में संसार में ईश्वर व जीव भी दो इतर सत्य एवं […]
ओ३म् ========== हमें ज्ञात है व ज्ञात होना चाहिये कि संसार में तीन अनादि व नित्य पदार्थों का अस्तित्व है। यह तीन पदार्थ ईश्वर, जीव व प्रकृति हैं। ईश्वर व जीव सत्य एवं चेतन पदार्थ हैं। ईश्वर स्वभाव से आनन्द से युक्त होने से आनन्दस्वरूप है तथा जीव आनन्द व सुख से युक्त न होने […]
ओ३म् =========== मनुष्य का आत्मा सत्य व असत्य का जानने वाला होता है परन्तु अपने प्रयोजन की सिद्धि, हठ, दुराग्रह तथा अविद्या आदि दोषों के कारण वह सत्य को छोड़ असत्य में झुक जाता है। ऐसा होने पर मनुष्य की भारी हानि होती है। मनुष्य को सत्य को पकड़ कर रखना चाहिये और असत्य मार्ग […]
ओ३म् =============== हमारा विश्व अनेक देशों में बंटा हुआ है। सभी देशों के अपने अपने मत, विचारधारायें तथा परम्परायें आदि हैं। कुछ पड़ोसी देशों में मित्रता देखी जाती है तो कहीं कहीं पर सम्बन्धों में तनाव भी दृष्टिगोचर होता है। दो देशों का तनाव कब युद्ध में बदल जाये इसका अनुमान नहीं किया जा सकता। […]
ओ३म् =================== हम मनुष्य इस कारण से हैं कि हम अपने मन व बुद्धि से चिन्तन व मनन कर सत्यासत्य का निर्णय करने सहित सत्य का ग्रहण एवं असत्य का त्याग करते हैं। यह कार्य पशु व पक्षी योनि के जीवात्मा नहीं कर सकते। इसका कारण यह है कि पशु व पक्षियों आदि के पास […]
ओ३म् =============== हम कौन हैं? इस प्रश्न पर जब हम विचार करते हैं तो इसका उत्तर हमें वेद एवं वैदिक साहित्य में ही मिलता है जो ज्ञान से पूर्ण, तर्क एवं युक्तिसंगत तथा सत्य है। उत्तर है कि हम मनुष्य शरीर में एक जीवात्मा के रूप में विद्यमान हैं। हमारा शरीर हमारी आत्मा का साधन […]