◙ *प्रार्थना और भक्ति…* —————————————————– _“हमनें बहुत से अंधविश्वासियो से सुना है कि श्री तुलसीदास जी अड गये कि ‘हे ईश्वर, हम तो तुझे धनुष-बाण लिये हुए ही देखना चाहते है।’. तुकाराम जी के लिए सुना है कि उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की कि ‘हम इस शरीर में तेरा निराकार स्वरुप नहीं देख सकते, अत: […]
Category: आज का चिंतन
ओ३म् ============== वैदिक साधन आश्रम, तपोवन देहरादून की धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं में अग्रणीय संस्था है। इसकी स्थापना सन्1949 में बावा गुरमुख सिंह एवं महात्मा आनन्द स्वामी जी ने मिलकर की थी। वर्ष में दो बार यहां पर उत्सव आयोजित किये जाते हैं। कोरोना के कारण इस वर्ष ग्रीष्म तथा शरद उत्सव आयोजित नहीं किये […]
ओ३म् =========== वैदिक विद्वान आचार्य आशीष दर्शनाचार्य ने वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून में चल रहे सात दिवसीय सामवेद पारायण एवं गायत्री यज्ञ के पश्चात अपने सम्बोधन में कहा कि हम सबको मिल बैठकर सामवेद की भावना के अनुसार संगीत व एकरसता को उत्पन्न करना चाहिये। हमें सामवेद को समझने का प्रयास भी करना चाहिये। […]
ओ३म् ========== यज्ञ वेदों से प्राप्त हुआ एक शब्द है। इसका अर्थ होता है श्रेष्ठ व उत्तम कर्म। श्रेष्ठ कर्म वह होता है जिससे किसी को किसी प्रकार की हानि न हो अपितु दूसरों व स्वयं को भी अनेक लाभ हो। यज्ञ से जैसा लाभ होता है वैसा अन्य किसी कार्य से नहीं होता। यज्ञ […]
गायत्री आर्य आज पतियों की उम्र का ‘लाइसेंस रिन्यू’ कराने की तारीख है।पिछले एक हफ्ते से पूरा उत्तर भारत करवाचौथ के ‘पर्व’ की तैयारियों में जुटा था। बाहर बाजार में करवाचौथ की रौनक दिख रही थी तो घर में टीवी पर,बीते कुछ सालों में, बाजार के इसी अति उत्साह का नतीजा है कि छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब […]
ओ३म् ============== मनुष्य अल्पज्ञ प्राणी होता है। इसका कारण जीवात्मा का एकदेशी, ससीम, अणु परिमाण, इच्छा व द्वेष आदि से युक्त होना होता है। मनुष्य सर्वज्ञ व सर्वज्ञान युक्त कभी नहीं बन सकता। सर्वज्ञता से युक्त संसार में एक ही सत्ता है और वह है सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान, सच्चिदानन्दस्वरूप परमात्मा। परमात्मा ही सृष्टि में विद्यमान अनन्त […]
ओ३म् =========== सभी मनुष्यों के जीवन में माता-पिता होते हैं जो सन्तानों को जन्म देने के साथ उनका पालन भी करते हैं। सन्तान को जन्म देने में माता-पिता को अनेक कष्टों से गुजरना पड़ता है। माता-पिता यदि सन्तान की रक्षा व पालन न करें तो सन्तान का जीवित रहना भी सम्भव नहीं होता। सन्तान को […]
सब सुखी हों और आनंदमय जीवन जिएं
भारतीय संस्कृति में मनुष्य जीवन का सर्वोपरि उद्देश्य चार पुरुषार्थ- धर्म ,अर्थ ,काम और मोक्ष का पालन कर आत्मोन्नति करना और जन्म मरण के चक्र से मुक्त होकर प्रभु से मिलना है । यद्यपि योग का मुख्य लक्ष्य ईश्वर की प्राप्ति है ,साथ ही नियमित योग प्राणायाम ध्यान से असाध्य रोगों का निदान हो जाना […]
ओ३म् ========= मनुष्य को पता नहीं कि उसका इस संसार में जन्म क्यों हुआ है? उसको कोई इस बात का ज्ञान कराता भी नहीं है। मनुष्य जीवनभर संसार के कार्यों में उलझा रहता है, अतः अधिकांश मनुष्यों को तो कभी इस विषय में विचार करने का अवसर तक नही मिलता। यदि कोई इन विषयों पर […]
दूसरों की सफलता को भी स्वीकार करें
*दूसरों की सफलता देखकर जलें नहीं, उसको स्वीकार करें। आप सुखी रहेंगे।* सभी लोग कर्म करने में स्वतंत्र हैं। अपनी स्वतंत्रता का उपयोग करते हुए सब लोग पुरुषार्थ करते हैं, जीवन में आगे बढ़ते हैं। *सबके पूर्व जन्मों के संस्कार एक जैसे नहीं हैं। वर्तमान जीवन में बचपन में माता पिता द्वारा दिए गए संस्कार […]