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आज का चिंतन

ईश्वर को यदि न जाना और न पाया तो मनुष्य जीवन अधूरा और व्यर्थ है

ओ३म् =============== हम मनुष्य हैं। मनुष्य मननशील प्राणी को कहते हैं। सृष्टि में असंख्य प्राणी योनियां हैं जिसमें एकमात्र मनुष्य ही मननशील प्राणी है। अतः हम सबको मननशील होना चाहिये। विचार करने पर लगता है कि सभी लोग मननशील नहीं होते। अधिकांश लोगों को अपने बारे में व इस सृष्टि के बारे में अनेक तथ्यों […]

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हमें अपनी लौकिक और पारलौकिक उन्नति के लिए नित्य प्रति अपनी मृत्यु और परजन्म पर विचार करना चाहिए

ओ३म् ============= हम मनुष्य होने से चिन्तन, मनन व विचार करने के साथ सद्ग्रन्थों का पता लगाकर उनका अध्ययन व स्वाध्याय कर सकते हैं। किसी न किसी रूप में मनुष्य यह कार्य करते भी हैं। इस कार्य को करते हुए हमें इस संसार के रचयिता परमात्मा के सत्यस्वरूप व उसके गुण, कर्म, स्वभावों सहित अपनी […]

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ईश्वरीय ज्ञान वेद श्रेष्ठ आचरण को ही मनुष्य का धर्म बताते हैं

ओ३म् ========== धर्म और आचरण पर विचार करने पर ज्ञात होता है कि धर्म शुभ व श्रेष्ठ आचरण को कहा जाता है। जो जो श्रेष्ठ आचरण होते हैं उनका करना धर्म तथा जो जो निन्दित तथा मनुष्य की आत्मा को गिराने वाले कम व आचरण होते हैं, वह अधर्म व निन्दित होते हैं। वेदों में […]

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दुनिया में कौन अपना कौन पराया?

*आप किसे अपना मानते हैं, और कौन आपको अपना मानता है? इस बात की पहचान अवश्य करें। अन्यथा बाद में आपको पश्चाताप होगा।* जीवन में सुख दुख दोनों आते रहते हैं। सब के जीवन में आते हैं। जब आपके जीवन में सुख की परिस्थिति है, समृद्धि है संपत्ति है सब कुछ है, उस समय तो […]

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ईश्वर की आज्ञा पालन के लिए सबको अग्निहोत्र यज्ञ करना चाहिए

ओ३म् ============ परमात्मा इस संसार का स्वामी है। उसी ने इस संसार को बनाया और वही संसार का पालन कर रहा है। इस संसार को बनाने का उद्देश्य परमात्मा द्वारा अनादि तथा नित्य जीवों को उनके पूर्वजन्मों के अनुसार उनके योग्य प्राणी योनियों में जन्म देना, उनके कर्मों के अनुसार उन्हें सुख व दुःख देना, […]

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आज का निकृष्ट और उस समय का उत्कृष्ट भारतीय समाज

बलात्कार की घटनाएं नित प्रतिदिन tv समाचार पत्रों आदि में पढ़ सुन देख दिल दहल जाता है प्रश्न आता है इन बलात्कारियों की क्या सजा हो जिससे नारी सुरक्षित हो। और देश में लूटपाट जैसे जघन्य अपराध न हों । हमारे शास्त्र क्या कहते हैं आइये जानते हैं श्रुति स्मृति क्या कहती है स्त्रियों को […]

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मनुष्य को आत्मा और परमात्मा के सत्य स्वरूप को जानना चाहिए

ओ३म् ========= मनुष्य एक ज्ञान प्राप्त करने में सक्षम प्राणी को कहते हैं। मनुष्य नाम मनुष्य के मननशील व सत्यासत्य का विवेक करने के कारण पड़ा है। वेदों में मनुष्य के लिए कहा गया है ‘मनुर्भव’ अर्थात् ‘हे मनुष्य! तू मनुष्य बन।’ इसका अर्थ है कि परमात्मा ने सभी मनुष्यों को प्रेरणा की है कि […]

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यज्ञमय शाकाहार युक्त वैदिक जीवन ही सर्वोत्तम जीवन है

ओ३म् =================== वेद सृष्टि के प्राचीनतम ग्र्रन्थ हैं। वेदों के अध्ययन से ही मनुष्यों को धर्म व अधर्म का ज्ञान होता है जो आज भी प्रासंगिक एवं सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। वर्तमान में संसार में जो मत-मतान्तर प्रचलित हैं वह सब भी वेद की कुछ शिक्षाओं से युक्त हैं। उनमें जो अविद्यायुक्त कथन व मान्यतायें हैं […]

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आत्मा अनादि अविनाशी व जन्म मरणधर्मा है तथा मोक्ष की कामना से युक्त है

ओ३म् =============== संसार में तीन अनादि तथा नित्य पदार्थ हैं। यह पदार्थ हैं ईश्वर, जीवात्मा तथा प्रकृति। ईश्वर सत्य चित्त आनन्दस्वरूप एवं सर्वज्ञ है। आत्मा सत्य, चेतन एवं अल्पज्ञ है। प्रकृति सत्य एवं जड़ सत्ता है। अनादि पदार्थ वह होते हैं जिनका अस्तित्व सदा से है और सदा रहेगा। इन्हें किसी अन्य सत्ता ने उत्पन्न […]

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क्या है पुनर्जन्म के बारे में भारतीय वैदिक दृष्टिकोण ?

आज का चिंतन पुनर्जन्म सिद्धान्त समीक्षा :- प्रश्न :- पुनर्जन्म किसे कहते हैं ? उत्तर :- आत्मा और इन्द्रियों का शरीर के साथ बार बार सम्बन्ध टूटने और बनने को पुनर्जन्म या प्रेत्याभाव कहते हैं । प्रश्न :- प्रेत किसे कहते हैं ? उत्तर :- जब आत्मा और इन्द्रियों का शरीर से सम्बन्ध टूट जाता […]

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