ओ३म् =========== सभी मनुष्यों के जीवन में माता-पिता होते हैं जो सन्तानों को जन्म देने के साथ उनका पालन भी करते हैं। सन्तान को जन्म देने में माता-पिता को अनेक कष्टों से गुजरना पड़ता है। माता-पिता यदि सन्तान की रक्षा व पालन न करें तो सन्तान का जीवित रहना भी सम्भव नहीं होता। सन्तान को […]
श्रेणी: आज का चिंतन
भारतीय संस्कृति में मनुष्य जीवन का सर्वोपरि उद्देश्य चार पुरुषार्थ- धर्म ,अर्थ ,काम और मोक्ष का पालन कर आत्मोन्नति करना और जन्म मरण के चक्र से मुक्त होकर प्रभु से मिलना है । यद्यपि योग का मुख्य लक्ष्य ईश्वर की प्राप्ति है ,साथ ही नियमित योग प्राणायाम ध्यान से असाध्य रोगों का निदान हो जाना […]
ओ३म् ========= मनुष्य को पता नहीं कि उसका इस संसार में जन्म क्यों हुआ है? उसको कोई इस बात का ज्ञान कराता भी नहीं है। मनुष्य जीवनभर संसार के कार्यों में उलझा रहता है, अतः अधिकांश मनुष्यों को तो कभी इस विषय में विचार करने का अवसर तक नही मिलता। यदि कोई इन विषयों पर […]
*दूसरों की सफलता देखकर जलें नहीं, उसको स्वीकार करें। आप सुखी रहेंगे।* सभी लोग कर्म करने में स्वतंत्र हैं। अपनी स्वतंत्रता का उपयोग करते हुए सब लोग पुरुषार्थ करते हैं, जीवन में आगे बढ़ते हैं। *सबके पूर्व जन्मों के संस्कार एक जैसे नहीं हैं। वर्तमान जीवन में बचपन में माता पिता द्वारा दिए गए संस्कार […]
ओ३म् =========== हम संसार में प्रतिदिन मनुष्यों का जन्म होते हुए देखते हैं। प्रतिदिन देश विदेश में हजारों लोग मृत्यु के ग्रास बनते हैं। ऐसा सृष्टि के आरम्भ से होता आ रहा है। हम सभी ऐसा ही अनुमान व विश्वास भी करते हैं। इस सबको समझने के बाद भी मनुष्य इस विषय को जानने का […]
ओ३म् ============= हम संसार में रहते हैं और इस सृष्टि का साक्षात् व प्रत्यक्ष अनुभव करते हैं। हम जानते व मानते हैं कि इस सृष्टि का अस्तित्व सत्य एवं यथार्थ है। हमारी सभी ज्ञान इन्द्रियां हमारे सृष्टि के प्रत्यक्ष एवं यथार्थ होने की पुष्टि करती हैं। हम आंखों से इस सृष्टि को देखते हैं, कानों […]
भौतिकवादी युग में एक-दूसरे की सुख-सुविधाओं की प्रतिस्पर्धा ने मन के रिश्तों को झुलसा दिया है. कच्चे से पक्के होते घरों की ऊँची दीवारों ने आपसी वार्तालाप को लुप्त कर दिया है. पत्थर होते हर आंगन में फ़ूट-कलह का नंगा नाच हो रहा है. आपसी मतभेदों ने गहरे मन भेद कर दिए है. बड़े-बुजुर्गों […]
–अशोक “प्रवृद्ध” आसान व सुलभ ढंग से जीवन -यापन के लिए प्रत्येक व्यक्ति को धन-सम्पदा से सम्पन्न और धन- संपदा के लिए सदैव प्रयत्नशील होना ही चाहिए, और इसमें कोई संदेह नहीं कि निष्ठापूर्वक परिश्रम अथवा साधना करने से मनुष्य को सफलता अर्थात कुछ निधियां अवश्य ही प्राप्त होती हैं। पौराणिक मान्यतानुसार अष्ट सिद्धियों […]
ओ३म् ============= संसार में अनेक मत व सम्प्रदाय हैं जो ईश्वर की सत्ता को स्वीकार करते हैं परन्तु सब मतों की ईश्वर विषयक मान्यतायें, जो कि परस्पर समान होनी चाहियें, नहीं हैं। एक वस्तु व द्रव्य परस्पर भिन्न गुणों व स्वरूप वाला कदापि नहीं हो सकता। अतः मत-मतान्तरों की मान्यताओं में कहीं न कहीं न्यूनतायें […]
ओ३म् ============= हम मनुष्य होने से चिन्तन, मनन व विचार करने के साथ सद्ग्रन्थों का पता लगाकर उनका अध्ययन व स्वाध्याय कर सकते हैं। किसी न किसी रूप में मनुष्य यह कार्य करते भी हैं। इस कार्य को करते हुए हमें इस संसार के रचयिता परमात्मा के सत्यस्वरूप व उसके गुण, कर्म, स्वभावों सहित अपनी […]