संगीता पुरी आसमान के विभिन्न भागों में विभिन्न ग्रहों की स्थिति के कारण पृथ्वी पर या पृथ्वी के जड़ चेतन पर पडऩेवाले प्रभाव का अध्य्यन फलित ज्योतिष कहलाता है। यह विज्ञान है या अंधविश्वास, इस प्रश्न का उत्तर दे पाना समाज के किसी भी वर्ग के लिए आसान नहीं है। परंपरावादी और अंधविश्वासी […]
Category: आज का चिंतन
प्रेम और अहंकार में अंतर
मैनें सुना है, एक बहुत पुराना वृक्ष था. आकाश में सम्राट की तरह उसके हाथ फैले हुए थे. उस पर फूल आते थे तो दूर-दूर से पक्षी सुगंध लेने आते. उस पर फल लगते थे तो तितलियाँ उड़तीं. उसकी छाया, उसके फैले हाथ, हवाओं में उसका वह खड़ा रूप आकाश में बड़ा सुन्दर था. एक […]
वेदों में नारियों का स्थान
— आचार्या सुनीति आर्या स्वामी दयानंद के काल में भारत देश में नारी जाति की अवस्था अत्यंत दयनीय थी. एक तरफ तो १००० वर्षो से मुस्लिम अक्रांताओ द्वारा नारी जाति का जो सम्मान बलात्कार,अपहरण,हरम, हत्या, पर्दा, सौतन, जबरन धरमांतरण आदि के रूप में किया गया था वह अत्यंत शोचनीय था. दूसरी तरफ हिन्दू समाज भी […]
-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। सृष्टि के आरम्भ में परमात्मा ने वनस्पति जगत सहित पृथिवी पर अग्नि, जल, वायु, आकाश आदि पदार्थ प्रदान किये थे। जब यह पृथिवी मनुष्यों के निवास के अनुकूल हुई वा बन गई तो इसमें पशु, पक्षी आदि नाना प्रकार के प्राणियों सहित मनुष्यों की रचना व उत्पत्ति की गई। मनुष्य के […]
-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। हमारा यह संसार एक सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, अनादि, नित्य तथा सर्वशक्तिमान सत्ता से बना है। ईश्वर में अनन्त गुण हैं। उन्हीं गुणों में उसका सत्य, चित्त व आनन्द गुण सहित सर्वव्यापक तथा सर्वान्र्यामी होना भी सम्मिलित है। अनादि व नित्य होने से वह काल से परे है। उसका आरम्भ व अन्त नहीं […]
✍ *हर कार्य उत्तम फल वाले होंगे एक बार नित्य प्रातः इस भाव के साथ आचमन तो करिये* अथ आचमन मंत्रा: ओ३म् 1-अमृतोपस्तरणमसि स्वाहा।। 2-अमृता पिधानमसि स्वाहा।। 3-सत्यं यशः श्रीर्मयि श्री: श्रयतां स्वाहा।। *एक साथ संक्षिप्त, सरस, सरल, बोधगम्य काव्य* 👉 तुम्हीं उपस्तरणं, अपिधानं, कहें बिछौना ओढ़ना। अजर अमर अविनाशी भगवन, मुझे स्वयं से जोड़ना।। […]
-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। वेद सृष्टि के आदि ग्रन्थ होने सहित ज्ञान व विज्ञान से युक्त पुस्तक हैं। वेद जितना प्राचीन एवं सत्य मान्यताओं से युक्त अन्य कोई ग्रन्थ संसार में नहीं है। वेद से मनुष्य के जीवन के सभी पहलुओं पर प्रकाश पड़ता है और मार्गदर्शन प्राप्त होता है। वेदों के सत्यार्थ को जानकर […]
-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून हमारा मनुष्य जन्म हमें क्यों मिला है? इसका उत्तर है कि हमने पूर्वजन्म में जो कर्म किये थे, उन कर्मों में जिन कर्मों का भोग हम मृत्यु के आ जाने के कारण नहीं कर सके थे, उन कर्मों का फल भोगने के लिये हमारा यह जन्म, जिसे पूर्वजन्म का पुनर्जन्म भी […]
क्या है यह संसार और कैसे चल रहा है?
आचार्या विमलेश बंसल आर्या किसी ने पूछा ये संसार क्या है? कैसे चल रहा है?? उत्तर – संसृति इति संसारः जो सरक रहा है वही संसार है। मजे की बात है प्रकृति से उत्पन्न जड़ धर्म होते हुए भी चल रहा है बदल रहा है। आखिर कैसे?? जब जड़ है तो, कौन शक्ति है? जो […]
मोक्ष सिद्धान्त मोक्ष की अवधि यह सिद्धान्त है कि जिसका आदि होता है, उसका अन्त भी अवश्य होता है और जो अनादि होता है, उसका अन्त कभी नहीं होता । जीव अनादि है, इसलिये उसका अन्त नहीं होता । काल जीव को सत्ता से नहीं मिटा सकता परन्तु काल के अन्तराल से जीव तीन […]