आचार्य करणसिह नोएडा सप्तास्यासन्परिधयस्त्रि:सप्त समिधः कृता:।देवायद्यज्ञं तन्वाना अवध्नन् पुरूष पशुम्।।यजु• ३१\१५।। यज्ञेनयज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्।ते ह नाकं महिमानः सचन्तअत्र पूर्वे साध्या सन्ति देवा।।१६ इस यज्ञ की सात परिधिया या लपेटे हैं, 21 इसकी सुविधाएं हैं। इस चीज को विस्तृत करते हुए विद्वान लोग जानने योग परमात्मा को अपने हृदय में बांधते व स्थिर करते […]
Category: आज का चिंतन
*विशेष कार्य करने की इच्छा वालों को तेज चलना चाहिए, तभी वे विशेष कार्य कर पाएंगे, अन्यथा नहीं।* *जो लोग संसार में कुछ विशेष कार्य करना चाहते हैं, वे लोग पूर्व जन्म के संस्कारों के कारण तीव्र गति से चलते हैं।* अधिकतर लोग कोई विशेष कार्य नहीं करते। सामान्य रूप से पढ़ना लिखना खाना-पीना और […]
ओ३म् -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। धर्म के विषय में तरह तरह की बातें की जाती हैं परन्तु धर्म सत्याचरण वा सत्य कर्तव्यों के धारण व पालन का नाम है। यह विचार व सिद्धान्त हमें वेदाध्ययन करने पर प्राप्त होते हंै। महाराज मनु ने कहा है कि धर्म की जिज्ञासा होने पर उनका वेदों से जो […]
मनुष्य जीवन और उसके लक्ष्य पर विचार
ओ३म् ========== हमारा यह जन्म मनुष्य योनि मे हुआ था और हम अपनी जीवन यात्रा पर आगे बढ़ रहे हैं। हमें पता है कि कालान्तर में हमारी मृत्यु होगी। ऐसा इसलिये कि सृष्टि के आरम्भ से आज तक सृष्टि में यह नियम चल रहा है कि जिसका जन्म होता है उसकी मृत्यु अवश्य ही होती […]
ओ३म् =========== ऋषि दयानन्द सरस्वती जी का सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ देश देशान्तर में प्रसिद्ध ग्रन्थ है। ऋषि दयानन्द ने इस ग्रन्थ को क्यों लिखा? इसका उत्तर उन्होंने स्वयं इस ग्रन्थ की भूमिका में दिया है। उन्होंने लिखा है कि ‘मेरा इस ग्रन्थ के बनाने का मुख्य प्रयोजन सत्य-सत्य अर्थ का प्रकाश करना है, अर्थात् जो सत्य […]
ओ३म् ========= हमारा यह संसार1.96 अरब वर्षों से अधिक समय पूर्व बना था। तब से यह जीवों के आवागमन व ग्रहों व उपग्रहों के नियमपूर्वक गतिमान होने से चल रहा है। सृष्टि में प्रथम मनुष्य वा स्त्री पुरुष अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न हुए थे। सभी मनुष्यों सहित आंखों से दृश्य व अदृश्य भौतिक सृष्टि, प्राणी […]
ओ३म् ============== मनुष्य की अपनी अपनी आवश्यकतायें एवं इच्छायें हुआ करती हैं। वह उनकी पूर्ति के लिये प्रयत्न भी करते हैं। मनुष्य जिस सामाजिक वातावरण में रहता है वहां उसे अपने बड़ों से जो शिक्षा मिलती है उसमें उसकी स्वाभाविक प्रवृत्ति हो जाती है। वह बिना छानबीन व विवेक से उन्हें स्वीकार कर लेता है। […]
डॉ. अशोक कुमार तिवारी कहा जाता है कि बिजली का अविष्कार अंग्रेज वैज्ञानिकों वोल्टा, कूलम्ब, अम्पीयर, एडिसन, फराडे आदि ने सत्राहवीं से उन्नीसवीं शताब्दी में किया। हमारी पाठ्यपुस्तकों में भी यही बताया जाता है। वास्तविकता यह है कि इनसे हजारों वर्ष पूर्व से बिजली का उपयोग किया जाता था। अगस्त्य संहिता जोकि 600 […]
ओ३म् ========== मनुष्य के जीवन की आवश्यकता है सद्ज्ञान की प्राप्ति और उसको धारण करना। बिना सद्ज्ञान के उसका जीवन सही दिशा को प्राप्त होकर जीवन के उद्देश्य व लक्ष्य को प्राप्त नहीं हो सकता। मनुष्य एक मननशील प्राणी है। इसे मनन करना आना चाहिये और मननपूर्वक सत्य व असत्य का निर्णय करना भी आना […]
ओ३म् ========== मनुष्य के जीवन की आवश्यकता है सद्ज्ञान की प्राप्ति और उसको धारण करना। बिना सद्ज्ञान के उसका जीवन सही दिशा को प्राप्त होकर जीवन के उद्देश्य व लक्ष्य को प्राप्त नहीं हो सकता। मनुष्य एक मननशील प्राणी है। इसे मनन करना आना चाहिये और मननपूर्वक सत्य व असत्य का निर्णय करना भी आना […]