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आज का चिंतन

आर्यसमाज ज्ञान विज्ञान से पोषित सनातन वैदिक धर्म का रक्षक एवं प्रचारक है

ओ३म् ========== संसार में अनेक संगठन एवं संस्थायें हैं। इन सबमें आर्यसमाज ही एकमात्र ऐसा संगठन है जो मनुष्य मात्र के हित को ध्यान में रखकर ज्ञान व विज्ञान से पोषित सत्य सनातन वैदिक धर्म का प्रचार करता है। आर्यसमाज धर्म के नाम पर देश देशान्तर में फैले अज्ञान, अन्धविश्वास, पाखण्ड तथा कुरीतियों का सुधारक […]

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हमारा सर्वव्यापक ईश्वर परम दयालु एवं परोपकारी है

ओ३म् ========= अधिकांश लोग ईश्वर की सत्ता को तो मानते हैं परन्तु उन्हें ईश्वर के सत्यस्वरूप तथा उसके गुण, कर्म व स्वभाव का पर्याप्त ज्ञान नहीं है। ईश्वर के सत्यस्वरूप का ज्ञान वेद और वेदों पर आधारित ऋषियों के ग्रन्थ उपनिषद एवं दर्शन सहित सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका आदि ग्रन्थों से भी प्राप्त होता है। वैदिक विद्वानों […]

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मनुष्य का कर्तव्य सद्गुणों से युक्त होना तथा दुर्गुणों को हटाना है

ओ३म् =========== मनुष्य के जीवन व कार्यों पर दृष्टि डालते हैं तो वह अनेकानेक प्रकार के कार्य करते हुए दृष्टिगोचर होते हैं। वह जो कार्य करते हैं, उन कार्यों से यदि उनके जीवन उच्च व श्रेष्ठ बनते हैं, तो वह कार्य उन्हें अवश्य ही करने भी चाहियें। परन्तु हम पाते हैं कि मनुष्य बिना किसी […]

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अध्यात्मनदियों में स्नान का धार्मिक औचित्य और महर्षि दयानंद

  मनमोहन कुमार आर्य आज एक आर्य मित्र से प्रातः गंगा स्नान की चर्चा चली तो हमने इस पर उनके साथ विचार किया और हमारे मन में जो जो विचार आये उसे अपने मित्रों से साझा करने का विचार भी आया। हमारी धर्म व संस्कृति संसार के सभी मतों व पन्थों में सबसे प्राचीन व […]

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हम श्रेष्ठ वैदिक धर्म और संस्कृति के अनुयायी होने से भाग्यशाली हैं

ओ३म् ========== हमारा जन्म भारत में हुआ है। भारत ही वह देश है जो धर्म एवं संस्कृति के सृजन का केन्द्र वा उत्पत्ति स्थान है। सृष्टि के आरम्भ में वेदों का आविर्भाव इसी प्राचीन देश आर्यावर्त के तिब्बत में परमात्मा से हुआ था। समस्त वेद ही धर्म का मूल एवं आधार है। वेद की भाषा […]

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वेदों के प्रकाश से ही संसार को ईश्वर सहित धर्म आदि विषयों का यथार्थ ज्ञान हुआ है

ओ३म् ========== संसार में किस सत्ता से ज्ञान उत्पन्न व प्राप्त हुआ है? इस विषय का विचार करने पर ज्ञात होता है कि ज्ञान का प्रकाश ज्ञानस्वरूप, सर्वज्ञ, सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान तथा सृष्टिकर्ता परमात्मा से सृष्टि के आरम्भ में हुआ है। परमात्मा ही ने अपनी सर्वज्ञता, सर्वव्यापकता तथा सर्वशक्तिमान स्वरूप से असंख्य चेतन जीवात्माओं को उनके […]

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यह सृष्टि ईश्वर ने जीवों के सुख तथा मोक्ष प्राप्ति के लिए बनाई है

ओ३म् ============ एक अदृश्य सत्ता से यह जगत बना है। उसी सत्ता ने हम जीवात्माओं के शरीर भी बनायें हैं और इस सृष्टि को देखने व भोग करने में सहायक हमें दो आंखे प्रदान की हैं। इस सृष्टि को देखकर विचारशील मनुष्यों के मन, मस्तिष्क तथा बुद्धि में इस सृष्टि के कर्ता वा रचयिता को […]

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आपत्तियों से घबराएं नहीं, इनसे युद्ध करें, आप निश्चित रूप से जीत जाएंगे

आपत्तियों से घबराएं नहीं। इन से युद्ध करें। आप निश्चित रूप से जीत जाएंगे।* आपत्तियां दुख चिंताएं परेशानियां किसके जीवन में नहीं हैं? सबके जीवन में हैं। सबके सामने विषम या विपरीत परिस्थितियां आती ही रहती हैं। जिस भी व्यक्ति ने संसार में जन्म लिया है, उसे अनेक प्रकार के दुख भोगने ही पड़ते हैं। […]

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महर्षि दयानंद के तप त्याग और भावनाओं को ध्यान में रखकर हमें वेद भाष्य सहित उनके सभी ग्रंथों का अध्ययन करना चाहिए

ओ३म् ========== ऋषि दयानन्द संसार के महापुरुषों में अन्यतम थे। उन्होंने जो कार्य किया वह अन्य महापुरुषों ने नहीं किया। उन्होंने ही हमें ईश्वर के सत्यस्वरूप से परिचित कराया है। उनसे पूर्व ईश्वर का सत्यस्वरूप वेद, उपनिषद आदि ग्रन्थों में उपलब्ध था परन्तु देश के न केवल सामान्य जन अपितु विद्वानों को भी उसका ज्ञान […]

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सत्य का ग्रहण व धारण तथा असत्य का त्याग ही मनुष्य का धर्म एवं कर्तव्य

ओ३म् ========= परमात्मा ने मनुष्य को बुद्धि दी है जो ज्ञान प्राप्ति तथा सत्य व असत्य के विवेचन में मनुष्य की आत्मा की सहायक होती है। मनुष्य को सत्य व असत्य के स्वरूप को जानने का प्रयत्न करना चाहिये। सत्य को जानकर ही मनुष्य व उसकी आत्मा की उन्नति व सत्य को न जानने से […]

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