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आज का चिंतन

मनुष्य का आत्मा ही ईश्वर प्राप्ति और प्रार्थनाओं की पूर्ति का धाम है

ओ३म् ============== मनुष्य की अपनी अपनी आवश्यकतायें एवं इच्छायें हुआ करती हैं। वह उनकी पूर्ति के लिये प्रयत्न भी करते हैं। मनुष्य जिस सामाजिक वातावरण में रहता है वहां उसे अपने बड़ों से जो शिक्षा मिलती है उसमें उसकी स्वाभाविक प्रवृत्ति हो जाती है। वह बिना छानबीन व विवेक से उन्हें स्वीकार कर लेता है। […]

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आज का चिंतन इतिहास के पन्नों से

भारत में हजारों वर्ष पूर्व भी होता था विद्युत का उपयोग

    डॉ. अशोक कुमार तिवारी कहा जाता है कि बिजली का अविष्कार अंग्रेज वैज्ञानिकों वोल्टा, कूलम्ब, अम्पीयर, एडिसन, फराडे आदि ने सत्राहवीं से उन्नीसवीं शताब्दी में किया। हमारी पाठ्यपुस्तकों में भी यही बताया जाता है। वास्तविकता यह है कि इनसे हजारों वर्ष पूर्व से बिजली का उपयोग किया जाता था। अगस्त्य संहिता जोकि 600 […]

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आज का चिंतन

ऋषि दयानंद ने सबको वेदों और मत मत मतान्तरों का अध्ययन कर असत्य को छोड़ने का परामर्श दिया

ओ३म् ========== मनुष्य के जीवन की आवश्यकता है सद्ज्ञान की प्राप्ति और उसको धारण करना। बिना सद्ज्ञान के उसका जीवन सही दिशा को प्राप्त होकर जीवन के उद्देश्य व लक्ष्य को प्राप्त नहीं हो सकता। मनुष्य एक मननशील प्राणी है। इसे मनन करना आना चाहिये और मननपूर्वक सत्य व असत्य का निर्णय करना भी आना […]

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आज का चिंतन धर्म-अध्यात्म

ऋषि दयानंद ने सबको वेदों और मत- मतान्तरों का अध्ययन कर असत्य छोड़ने का परामर्श दिया

ओ३म् ========== मनुष्य के जीवन की आवश्यकता है सद्ज्ञान की प्राप्ति और उसको धारण करना। बिना सद्ज्ञान के उसका जीवन सही दिशा को प्राप्त होकर जीवन के उद्देश्य व लक्ष्य को प्राप्त नहीं हो सकता। मनुष्य एक मननशील प्राणी है। इसे मनन करना आना चाहिये और मननपूर्वक सत्य व असत्य का निर्णय करना भी आना […]

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आज का चिंतन

क्या फलित ज्योतिष एक संकेतिक विज्ञान मात्र है या अंधविश्वास ही है

    संगीता पुरी आसमान के विभिन्न भागों में विभिन्न ग्रहों की स्थिति के कारण पृथ्वी पर या पृथ्वी के जड़ चेतन पर पडऩेवाले प्रभाव का अध्य्यन फलित ज्योतिष कहलाता है। यह विज्ञान है या अंधविश्वास, इस प्रश्न का उत्तर दे पाना समाज के किसी भी वर्ग के लिए आसान नहीं है। परंपरावादी और अंधविश्वासी […]

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प्रेम और अहंकार में अंतर

मैनें सुना है, एक बहुत पुराना वृक्ष था. आकाश में सम्राट की तरह उसके हाथ फैले हुए थे. उस पर फूल आते थे तो दूर-दूर से पक्षी सुगंध लेने आते. उस पर फल लगते थे तो तितलियाँ उड़तीं. उसकी छाया, उसके फैले हाथ, हवाओं में उसका वह खड़ा रूप आकाश में बड़ा सुन्दर था. एक […]

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वेदों में नारियों का स्थान

— आचार्या सुनीति आर्या स्वामी दयानंद के काल में भारत देश में नारी जाति की अवस्था अत्यंत दयनीय थी. एक तरफ तो १००० वर्षो से मुस्लिम अक्रांताओ द्वारा नारी जाति का जो सम्मान बलात्कार,अपहरण,हरम, हत्या, पर्दा, सौतन, जबरन धरमांतरण आदि के रूप में किया गया था वह अत्यंत शोचनीय था. दूसरी तरफ हिन्दू समाज भी […]

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ऋषि दयानंद की ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका ने वेदों का विस्तृत परिचय कराया

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। सृष्टि के आरम्भ में परमात्मा ने वनस्पति जगत सहित पृथिवी पर अग्नि, जल, वायु, आकाश आदि पदार्थ प्रदान किये थे। जब यह पृथिवी मनुष्यों के निवास के अनुकूल हुई वा बन गई तो इसमें पशु, पक्षी आदि नाना प्रकार के प्राणियों सहित मनुष्यों की रचना व उत्पत्ति की गई। मनुष्य के […]

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आज का चिंतन

ईश्वर एक सच्चिदानंद स्वरूप सर्वव्यापक तथा सर्वांतर्यामी सत्ता है

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। हमारा यह संसार एक सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, अनादि, नित्य तथा सर्वशक्तिमान सत्ता से बना है। ईश्वर में अनन्त गुण हैं। उन्हीं गुणों में उसका सत्य, चित्त व आनन्द गुण सहित सर्वव्यापक तथा सर्वान्र्यामी होना भी सम्मिलित है। अनादि व नित्य होने से वह काल से परे है। उसका आरम्भ व अन्त नहीं […]

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हर कार्य उत्तम फल वाले होंगे ,एक बार नित्य प्रातः इस भाव के साथ आचमन तो करिए

✍ *हर कार्य उत्तम फल वाले होंगे एक बार नित्य प्रातः इस भाव के साथ आचमन तो करिये* अथ आचमन मंत्रा: ओ३म् 1-अमृतोपस्तरणमसि स्वाहा।। 2-अमृता पिधानमसि स्वाहा।। 3-सत्यं यशः श्रीर्मयि श्री: श्रयतां स्वाहा।। *एक साथ संक्षिप्त, सरस, सरल, बोधगम्य काव्य* 👉 तुम्हीं उपस्तरणं, अपिधानं, कहें बिछौना ओढ़ना। अजर अमर अविनाशी भगवन, मुझे स्वयं से जोड़ना।। […]

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