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आज का चिंतन

अविद्या से सर्वथा रहित और सद्ज्ञान से युक्त ग्रंथ है सत्यार्थ प्रकाश

ओ३म् ============== मनुष्य चेतन एवं अल्पज्ञ सत्ता है। इसका शरीर जड़ पंच-भौतिक पदार्थों से परमात्मा द्वारा बनाया व प्रदान किया हुआ है। परमात्मा को ही मनुष्य शरीर व उसके सभी अवयव बनाने का ज्ञान है। उसी के विधान व नियमों के अन्तर्गत मनुष्य का जन्म होता तथा मनुष्य के शरीर में वृद्धि व ह्रास का […]

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मनुष्य को सद्धर्म और देशहित का विचार करके ही सब काम करने चाहिए

ओ३म् ========== हम मनुष्य कहलाते हैं। हमारी पहचान दो पैर वाले पशु के रूप में होती है। परमात्मा ने पशुओं को चार पैर वाला बनाया है। उन पशुओं से हम भिन्न प्राणी हैं। हमारे पास दो पैरों पर आसानी से खड़ा होने की सामर्थ्य होती है। हम दो पैरों से चल सकते हैं। हम अपने […]

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क्या है जीवन में सुख का आधार?

  एक बार एक महात्मा ने अपने शिष्यों से अनुरोध किया कि वे कल से प्रवचन में आते समय अपने साथ एक थैली में बडे़ आलू साथ लेकर आयें, उन आलुओं पर उस व्यक्ति का नाम लिखा होना चाहिये जिनसे वे ईर्ष्या, द्वेष आदि करते हैं । जो व्यक्ति जितने व्यक्तियों से घृणा करता हो, […]

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सर्व धर्म समभाव क्या है ?

◘ स्व. राम स्वरूप —————————————————- “ईसाईयत और इस्लाम, सिद्धान्त और व्यवहार, दोनों में ही इस [सर्वधर्म-समभाव की] दृष्टि का तिरस्कार करते है। ये धर्म केवल यही नहीं मानते कि ये अन्य धर्मों से भिन्न है, ये यह भी आग्रह करते है कि ये श्रेष्ठतर है। अपने-अपने जन्मकाल से ही इन धर्मों का यह विश्वास रहा […]

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यज्ञ ही है हमारे जीवन का आधार

आचार्य करणसिह नोएडा   सप्तास्यासन्परिधयस्त्रि:सप्त समिधः कृता:।देवायद्यज्ञं तन्वाना अवध्नन् पुरूष पशुम्।।यजु• ३१\१५।। यज्ञेनयज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्।ते ह नाकं महिमानः सचन्तअत्र पूर्वे साध्या सन्ति देवा।।१६ इस यज्ञ की सात परिधिया या लपेटे हैं, 21 इसकी सुविधाएं हैं। इस चीज को विस्तृत करते हुए विद्वान लोग जानने योग परमात्मा को अपने हृदय में बांधते व स्थिर करते […]

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आज का चिंतन भारतीय संस्कृति

तीव्र गति से चलने वाले लोगों की विशेषता

*विशेष कार्य करने की इच्छा वालों को तेज चलना चाहिए, तभी वे विशेष कार्य कर पाएंगे, अन्यथा नहीं।* *जो लोग संसार में कुछ विशेष कार्य करना चाहते हैं, वे लोग पूर्व जन्म के संस्कारों के कारण तीव्र गति से चलते हैं।* अधिकतर लोग कोई विशेष कार्य नहीं करते। सामान्य रूप से पढ़ना लिखना खाना-पीना और […]

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धर्म सतकर्तव्यों के ज्ञान व पालन और असत्य कर्मों के त्याग को कहते हैं

ओ३म् -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। धर्म के विषय में तरह तरह की बातें की जाती हैं परन्तु धर्म सत्याचरण वा सत्य कर्तव्यों के धारण व पालन का नाम है। यह विचार व सिद्धान्त हमें वेदाध्ययन करने पर प्राप्त होते हंै। महाराज मनु ने कहा है कि धर्म की जिज्ञासा होने पर उनका वेदों से जो […]

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मनुष्य जीवन और उसके लक्ष्य पर विचार

ओ३म् ========== हमारा यह जन्म मनुष्य योनि मे हुआ था और हम अपनी जीवन यात्रा पर आगे बढ़ रहे हैं। हमें पता है कि कालान्तर में हमारी मृत्यु होगी। ऐसा इसलिये कि सृष्टि के आरम्भ से आज तक सृष्टि में यह नियम चल रहा है कि जिसका जन्म होता है उसकी मृत्यु अवश्य ही होती […]

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सत्यार्थ प्रकाश ग्रंथ अविद्या दूर करने के लिए लिखा गया ग्रंथ है

ओ३म् =========== ऋषि दयानन्द सरस्वती जी का सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ देश देशान्तर में प्रसिद्ध ग्रन्थ है। ऋषि दयानन्द ने इस ग्रन्थ को क्यों लिखा? इसका उत्तर उन्होंने स्वयं इस ग्रन्थ की भूमिका में दिया है। उन्होंने लिखा है कि ‘मेरा इस ग्रन्थ के बनाने का मुख्य प्रयोजन सत्य-सत्य अर्थ का प्रकाश करना है, अर्थात् जो सत्य […]

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संसार को ईश्वर की सत्ता का परिचय सर्वप्रथम वेदों से मिला है

ओ३म् ========= हमारा यह संसार1.96 अरब वर्षों से अधिक समय पूर्व बना था। तब से यह जीवों के आवागमन व ग्रहों व उपग्रहों के नियमपूर्वक गतिमान होने से चल रहा है। सृष्टि में प्रथम मनुष्य वा स्त्री पुरुष अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न हुए थे। सभी मनुष्यों सहित आंखों से दृश्य व अदृश्य भौतिक सृष्टि, प्राणी […]

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