पुस्तक चर्चा संभवामि युगे युगे (विवेक रंजन श्रीवास्तव – विभूति फीचर्स) श्रीमद्भगवत गीता के चौथे अध्याय के आठवें श्लोक परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे॥ से श्री कुमार सुरेश ने किताब का शीर्षक लिया है। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि दुष्टों के विनाश के लिये मैं हर युग में हर युग में […]
*संभवामि युगे युगे*
